गजानन की भक्ति के साथ सोशल Awareness


लेखिका
पीनल पाटीदार

धार जिले के कुक्षी में गणेश उत्सव के दौरान इस साल बेहद भव्य माहौल देखने को मिला। साथ ही गणेश उत्सव की जबरदस्त धूम है। हर साल की तरह इस बार भी कुक्षी में गणेश चतुर्थी के अवसर पर श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों में विशेष उत्साह देखने को मिला। इस बार शहर में 40 से अधिक भव्य पंडाल सजाए गए हैं, जिनमें गणपति बप्पा की अद्भुत और आकर्षक मूर्तियों की स्थापना की गई है। इन पंडालों की खास बात यह थी कि इसमें केवल धार्मिक श्रद्धा ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का संदेश भी दिया गया।

गणेश पंडालों में (रेप) के खिलाफ Awareness फैलाने पर दिया जोर

इन गणेश पंडालों में (रेप) के खिलाफ जागरूकता ( Awareness ) फैलाने पर जोर दिया गया। आयोजकों ने विभिन्न क्रिएटिव तरीकों से पंडालों के जरिए संदेश दिया कि समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और सम्मान महत्वपूर्ण है। पोस्टर्स, थीम्स, और मूर्तियों के माध्यम से यह संदेश फैलाया गया कि हमें महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील और जागरूक होना चाहिए। इस पहल ने दर्शकों का ध्यान खींचा और इस गंभीर मुद्दे पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। कुक्षी का यह गणेश उत्सव केवल धार्मिक महत्व तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज को जागरूक करने और बदलाव लाने का एक मंच भी बना। इस बार पंडालों ने नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया। पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई घटनाओं को लेकर भी जनता को जागरूक किया गया, और महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर संदेश दिए गए। कुक्षी के लोग ऐसे सामाजिक मुद्दों पर हमेशा सक्रिय रहते हैं और इस बार भी समाज को जागरूक करने का प्रयास किया गया।
युवाओं ने बैनर और पोस्टर लेकर महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के प्रति समाज को किया जागरूक: कुक्षी नगर के युवाओं द्वारा इस वर्ष गणेशोत्सव के दौरान नारी शक्ति और बेटी बचाओ अभियान को लेकर विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया। युवाओं ने अपने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के प्रति समाज को जागरूक किया। यह अभियान उन दर्दनाक घटनाओं के खिलाफ एक प्रतिक्रिया के रूप में था, जो हाल ही में क्षेत्र में घटीं और जिनसे समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गईं। युवाओं ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक है ताकि वे अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। गणेशोत्सव के धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल में इस जागरूकता अभियान ने सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने का काम किया। युवाओं की यह सक्रियता इस बात का प्रतीक है कि समाज अब महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर गंभीर है और इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत को समझता है।
सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को किया प्रदर्शित: पूरे शहर में गणेशोत्सव के दौरान भव्य सजावट, रंग-बिरंगी रोशनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मची हुई है। स्थानीय समुदाय ने मिलकर कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिनमें भक्तिगीत, नृत्य, झांकी, और प्रतियोगिताएं शामिल हैं। कुक्षी का गणेश उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करता है। इस वर्ष, कुछ पंडालों ने विशेष सामाजिक संदेशों पर भी ध्यान केंद्रित किया, जैसे महिला सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में जागरूकता फैलाना। गणपति विसर्जन तक यहां का माहौल भक्तिमय और हर्षोल्लास से भरा रहेगा।
अधिकांश पंडालों में की गई मिट्टी से बनी इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना: इस साल गणेश उत्सव खासतौर पर पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया गया। अधिकांश पंडालों में मिट्टी से बनी इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की गई, जिससे पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर बल दिया गया। गणेश प्रतिमाओं के निर्माण में पारंपरिक माटी का उपयोग किया गया, जिससे विसर्जन के समय जल प्रदूषण को कम करने की पहल की गई। गायत्री मंदिर परिसर से शुरू हुए चल समारोह में विभिन्न समाजों और संगठनों ने एकजुट होकर भाग लिया। यह समारोह रात 11 बजे तक चला, और गणपति बप्पा की प्रतिमा को धूमधाम से स्थापित किया गया। प्रतिदिन इस उत्सव में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं, और इस दौरान शहर में भव्य आयोजनों का आयोजन होता है।
आदिवासी समुदाय की झलक को रखा बरकरार: गणेश उत्सव के दौरान आदिवासी समुदाय की पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य की प्रस्तुति ने इस आयोजन को और भीखास बना दिया। आदिवासी और दलित समुदाय के लोगों ने दल राम लखन मित्र मंडल के गणेश जी के चल समारोह में भाग लेकर अपनी संस्कृति की सुंदरता और रंगीनता को प्रदर्शित किया। पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य करते हुए पुरुष और महिलाएं इस चल समारोह का हिस्सा बने, जिससे क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ बाहर से आए नागरिकों को भी उत्सव का आनंद मिला और उनकी थकान और चिंताओं को दूर किया। आदिवासी नृत्य और पारंपरिक वेशभूषा ने इस गणेश उत्सव में एक सांस्कृतिक समागम का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया, जिससे लोगों को अपनी पुरानी संस्कृति और परंपराओं की याद आ गई। ढोल और ड्रम की थाप पर आदिवासी नृत्य की जो ऊर्जा और उल्लास देखने को मिला, उसने युवाओं को भी अपनी जड़ों और विरासत से जुडऩे के लिए प्रेरित किया।
शिवशक्ति ग्रुप द्वारा हर साल एक नई थीम के साथ होता है आयोजन : गणेश पंडालों में शिवशक्ति ग्रुप का विशेष स्थान है। इस ग्रुप द्वारा हर साल एक नई थीम के साथ गणेशोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनता है। शिवशक्ति ग्रुप की खासियत यह है कि वे हर समाज के लोगों का सम्मान करते हैं और किन्नरों के सम्मान को भी प्रमुखता से उत्सव का हिस्सा बनाया है। किन्नरों का सम्मान और उनकी भागीदारी से यह उत्सव और भी खूबसूरत और समावेशी बन गया है। इस पहल से समाज में एकता, समर्पण, और सम्मान की भावना को प्रोत्साहन मिला है।
गणेश जी की प्रतिमाओं में देखने को मिली अन्य देवताओं की भी झलक : कुक्षी में गणेश उत्सव के दौरान विभिन्न गणेश पंडालों में कई प्रमुख समूह सक्रिय रूप से शामिल होते हैं। इनमें शिवशक्ति ग्रुप, राम लखन मित्रमंडल, कष्टभंजन देव ग्रुप और आज़ाद संगठन ग्रुप का विशेष योगदान होता है। ये सभी समूह मिलकर गणेशोत्सव को भव्यता प्रदान करते हैं और हर साल अपनी अनूठी थीम और आकर्षक पंडाल सजावट के साथ लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, कई अन्य छोटे-बड़े समूह भी इस आयोजन में बढ़-चढक़र हिस्सा लेते हैं, जो गणेश चतुर्थी की धूमधाम और सामुदायिक भावना को और भी मजबूत बनाते हैं।इस साल के गणेश उत्सव के दौरान, गणेश जी की प्रतिमाओं में सिर्फ गणपति बप्पा ही नहीं, बल्कि अन्य देवताओं की भी झलक देखने को मिली है। कई पंडालों में गणेश जी के साथ सावरिया सेठ, श्रीनाथ जी, माँ दुर्गा, हनुमान जी, तिरूपति बालाजी और भगवान राम जैसे अन्य देवताओं की मूर्तियाँ की झलक देखने को मिली हैं।
इस प्रकार की सजावट और धार्मिक विविधता से उत्सव और भी भव्य बन जाता है, जो श्रद्धालुओं के बीच एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनती है। ये अनूठी मूर्तियाँ भक्तों को अलग-अलग देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करती हैं, जिससे इस उत्सव की पवित्रता और हर्षोल्लास और भी बढ़ जाता है।
40 से भी ज्यादा पंडालों में 15 से 17 फीट तक की विशालकाय मूर्तियाँ की गई स्थापित
इस साल गणेश उत्सव की धूमधाम देखते ही बन रही है। यहाँ 40 से भी ज्यादा पंडालों में भगवान गणेश की 15 से 17 फीट तक की विशालकाय मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। इन भव्य मूर्तियों और आकर्षक पंडालों ने नगर में एक विशेष माहौल बना दिया है। हर पंडाल में अलग-अलग थीम के साथ सजावट की गई है, और भक्तों की भीड़ भगवान गणेश के दर्शन के लिए उमड़ रही है। इस दौरान 10 से 15 ढोल-नगाड़ों की गूंज ने पूरे वातावरण को उत्सवमय बना दिया। एक साथ बजते हुए इन ढोल-नगाड़ों की आवाज से पूरा नगर गणेशोत्सव की धुन में रम गया। भक्तों में उत्साह और उल्लास का माहौल देखते ही बन रहा था। इन पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ताल पर भक्तगण झूमते हुए नृत्य कर रहे थे, जिससे गणेश चतुर्थी का उत्सव और भी भव्य और आकर्षक हो गया। इस संगीत और उत्सव की ऊर्जा ने हर किसी के दिल में भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और प्रेम की भावना को और प्रबल कर दिया।