लेखक
राजेश राठौर
जब ‘आप’ ( AAP ) पार्टी बनी थी तो उसका जन्म इसलिए हुआ था कि भ्रष्टाचार मुक्त पार्टी बन रही है। देश-विदेश के लोगों ने खूब सहयोग भी किया था लेकिन क्या कारण है कि कुछ समय बाद ही ‘आप’ पर आरोप लगने लग गए। आरोप लगना बड़ी बात नहीं है लेकिन ‘आप’ को तो सावधान रहना चाहिए था।
AAP से शराब कांड में गलती कहां हुई
जब ‘आप’ ( AAP ) को पता था कि ‘आप’ पर कई निगाहें लगी हुई हैं तो ऐसा कोई काम नहीं करना था जिसका ‘आप’ जवाब नहीं दे पाएं। ‘आप’ को लेकर लोगों को न केवल उम्मीदें थी बल्कि एक भरोसा भी था कि ‘आप’ देश में बदलाव लाएंगे। दिल्ली के स्कूल और अस्पताल ‘आप’ ने ठीक करके संकेत तो अच्छे दिए थे तो फिर शराब कांड में गलती कहां हुई। ‘आप’ को तो पता होना चाहिए था कि यदि ‘आप’ कपड़े के थान से निकली एक चिन्दी बराबर भी गलती करेंगे तो ‘आप’ के दुश्मन उसको थान बना देंगे। माना कि ‘आप’ ने गलत कुछ नहीं किया। ‘आप’ को फंसा दिया लेकिन कल रात को जो टीवी पर देखा, उसको लेकर निराशा हुई। जिस तरह से गुंडे-बदमाश, सटोरिए जेल से जमानत पर छूट कर समाजसेवी बन जाते हैं ठीक उसी तरह ‘आप’ ने भी जमानत पर छूटने के बाद ऐसा जुलूस निकाला, जैसा कोई ‘आप’ देश की आजादी की लड़ाई जीतकर आ गए हों। जब सवाल इस बात पर उठ रहे थे कि ‘आप’ पर आरोप लगे, 177 दिन जेल में रहे, तो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया। जब ‘आप’ निष्कलंक थे तो पार्टी के किसी भी मंत्री या विधायक को मुख्यमंत्री बना सकते थे। जब ‘आप’ कोर्ट से सभी आरोपों से बरी हो जाते तब ‘आप’ फिर से मुख्यमंत्री बन जाते।
देश में कई खड़ाऊ मुख्यमंत्री हैं तो ‘आप’ भी अपनी पत्नी को ही मुख्यमंत्री बना देंते। जिस तरह का जुलूस जेल से छूटने के बाद ‘आप’ का निकला है उसको देखकर तो गुुंडे-बदमाशों की याद आ गई, जिनके लिए नारे लगते हैं कि ‘भैया जी छूट गए, जेल के ताले टूट गए’। उसी तर्ज पर ‘आप’ ने रोड शो निकाल दिया, इससे जनता का क्या फायदा हुआ। ‘आप’ तो दूसरों से अलग थे तो फिर ‘आप’ घटिया नेताओं की सूची में अपना नाम क्यों लिखवाने में लगे हुए हो। अभी भी वक्त है संभल जाओ, नहीं तो ‘आप’ पार्टी का भी दूसरे क्षेत्रीय दलों की तरह जनाना निकलने में देर नहीं लगेगी। ‘आप’ अब जो भी काम करो वो और ज्यादा पारदर्शी तरीके से हो, यह बहुत जरूरी हो गया है। अभी तो ‘आप’ के ऊपर कीचड़ ही उछला है कहीं ऐसा न हो कि इस तरह की गलती करने पर पूरे शरीर पर ‘काला डामर’ न पुत जाए। ‘आप’ से उम्मीद है इसलिए जनता ‘आप’ की बात करती है। बाकी ‘आप’ जानो, ‘आप’ का काम जाने।
– राजेश राठौर