कहने को तो इंदौर में पुलिस कमिश्नरी लागू है मगर कानून व्यवस्था की इतनी बदहाल स्थिति पहले कभी नजर नहीं आई… इसका सबसे बड़ा कारण है, थानों पर नेताओं का कब्जा… थाना प्रभारियों की हालत यह है कि वे पुलिस कमिश्नर को भी कुछ नहीं समझते और सांसद, विधायक, मंत्री सहित अन्य बड़े नेताओं के हुक्म बजाते है… बीते दिनों की कई घटनाएं इसका सबूत है कि इंदौर के थाने किस ढर्रे पर चल रहे हैं… सेना के जवान पीटा रहे हैं तो सड़कों पर रोड रेज की घटनाएं बढ़ रही है…
अभी एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मेडिकेप्स के सामने गाड़ी पर चढ़कर हमला बोला जा रहा है… दूसरी तरफ़ एक मंत्री के पार्टनर बताएं जा रहे कंफेशनरी मालिक की हिम्मत देखिए कि उसने फिल्मी स्टाइल में अपने ही सीए को ना सिर्फ 36 घंटे तक बंधक बनाया, बल्कि समूची कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले ली… मजे की बात है कि यह सारा घटनाक्रम विजय नगर थाने के जरिए निपटाने के प्रयास किए जबकि मामला लसुड़िया थाने का था… गनीमत रही कि मीडिया तक यह मामला पहुंचा और उसने तो हल्ला मचाया ही, वहीं चार्टर्ड एकाउंटेंट और टीपीए एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की और फिर थाने पर एफआईआर दर्ज हो सकी…
बताया जाता है कि कन्फेक्शनरी फैक्ट्री मालिक की मंत्री जी के साथ ना सिर्फ नजदीकी है, बल्कि 30-40 खोके का लेन-देन भी है, जो अब फंसा होने के चलते मंत्री जी के दबाव में पुलिस को मूकदर्शक बनना पड़ा… जाम गेट की घटना ने तो सारी पोलपट्टी ही खोल दी, जिसमें पुलिस के ही मुखबीर ने उक्त कांड को अंजाम दिया.. देश भर में मचे हल्ले के चलते आरोपी पकड़ाए … सवाल यह भी है कि इस कांड के जिन आरोपियों पर अब गंभीर अपराध बताए जा रहे हैं वे छुट्टे किस तरह घूम रहे थे..? मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जो कि सख्त फैसले लेने के लिए चर्चित हैं, अब उनसे गुज़ारिश है कि वे इंदौर के थानों को नेताओं के चंगुल से मुक्त कराएं…
किसी गरीब-गुरबे , शोषित या पीडि़त के साथ अन्याय होने पर तो नेताओं की दखलअंदाजी समझ में आती है, मगर भू माफिया,सट्टे, जुएं, शराब से लेकर ड्रग्स या अन्य तमाम अनैतिक कार्यों में लिप्त काले-पीले चेहरों को बचाने के लिए इंदौरी नेतानगरी क्यों जरूरत से ज्यादा सक्रिय नजर आती है..? मुख्यमंत्री चूंकि इंदौर के प्रभारी मंत्री भी है और साथ में गृह मंत्रालय भी उन्हीं के पास है… ऐसे में अब यह सुनिश्चित होना चाहिए कि इंदौर पुलिस बेवजह के राजनीतिक दबाव-प्रभाव से मुक्त हो और थानों पर चल रही अराजकता थमे…! जिम्मेदार आला अफसरों से भी अगर मुख्यमंत्री इस मामले में फीडबैक लेंगे तो उन्हें सच्चाई पता लग जायेगी.. जय महांकाल
राजेश ज्वेल