स्वतंत्र समय, मुंबई
महाराष्ट्र के मुंबई में गणपति का भव्य मंदिर है, जिसे लालबाग ( Lalbagh ) के राजा के नाम से जाना जाता है। लाल बाग के राजा की एक झलक पाने के लिए लोग लाखों की संख्या में कतारों में लगते हैं। गणेश महोत्सव पर मुंबई के लाल बाग के राजा सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। इसी बीच लाल बाग के पंडाल में दर्शन के दौरान वीआईपी और गैर-वीआईपी भेदभाव को लेकर मुंबई पुलिस कमिश्नर के समक्ष शिकायत की गई है।
Lalbagh के राजा के सामान्य दर्शन करने वालों को अपशब्द
दरअसल, यह शिकायत बॉम्बे हाई कोर्ट के एडवोकेट एडवोकेट आशीष राय, पंकज मिश्रा के द्वारा दर्ज कराई गई है। शिकायत में बताया गया है कि लालबाग ( Lalbagh ) गणपति बाप्पा महाराज के पंडाल में व्यवस्थापकों के द्वारा बाप्पा के दर्शन के दौरान छोटे बच्चे, महिला, बुजुर्ग दंपति, अपाहिज व्यक्ति, गर्भवती महिला दर्शनार्थियों के साथ भेदभाव किया जाता है। शिकायत में बताया गया है कि वीआईपी और गैर-वीआईपी दर्शन के तहत सामान्य दर्शनार्थियों के साथ पंडाल में व्यवस्थापक और अन्य लोगों के द्वारा मारपीट, अपशब्दों का प्रयोग एवं अमानवीय अत्याचार किया जाता है। इससे यह स्पष्ट है कि यह व्यवस्था लापरवाही के तहत जानलेवा दर्शन व्यवस्था की तरह है।
पुलिस अफसर, प्रबंधक कुछ नहीं बोलते
शिकायत में बताया गया है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान बप्पा के पंडाल में मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी सहित अन्य सभी सरकारी एवं पंडाल के संस्थापक सहित पंडाल प्रबंधक भी मौजूद रहते हैं। शिकायत में आगे बताया गया है कि प्रत्येक वर्ष इसी तरह की व्यवस्था के साथ आम जनता को भेदभाव के साथ तकलीफों में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दर्शन प्राप्त हो रहा है। शिकायत के तहत बताया गया है कि अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) और अनुच्छेद 21 के तहत (सामान्य जनता के भी सुरक्षा एवं अन्य सुविधा की व्यवस्था) की जानी चाहिए। दर्शनार्थियों के साथ दर्शन के दौरान भेदभाव के तहत उनके धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया जाना चाहिए।