स्वतंत्र समय, इंदौर
कन्फेक्शनरी कारोबार के नटवरलाल के नाम से मशहूर संजय जैसवानी ( Jaiswani ) के मामले में एक और नया खुलासा हुआ है। बाजार से 10,000 करोड़ जुटाने के लिए जैसवानी ने गेम प्लॉन किया था लेकिन इसी बीच बाजार की देनदारियां बढ़ती गई। वहीं आईपीओ के इंतजार में फाइनेंसर ने भी राशि मांगनी शुरू कर दी। बैंकों की भी देनदारी ढाई सौ करोड़ के करीब हो गई। कंपनी का टर्नओवर भी गिरने लगा। इसी के चलते जैसवानी ने सीए निशिथ नाहर को बंधक बनाने, उसके दोस्त रोहित के साथ ही मास्को के कारोबारी मित्र गौरव अहलावत पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया।
Jaiswani ने मुंबई से 50 करोड़ रुपए भी उठाए थे
जैसवानी ( Jaiswani ) साल 2021 से आईपीओ का गेम प्लान करने में लगा हुआ था। इसके लिए उसने बाजार से मुंबई के एक फायनेंसर से प्री आईपीओ के लिए 50 करोड़ रुपए भी उठाए थे। शुरुआती टारगेट बाजार से 4 हजार करोड़ जमा करने का था लेकिन हाईप्रोफाइल दोस्तों से फंडिंग मिलने के कारण पहले वाला आईपीओ टाल दिया गया और साल 2023 में 10,000 करोड़ का आईपीओ लाने का टॉरगेट प्लान किया।
टर्नओवर बढ़ाने का खेल
सामान्य तौर पर आईपीओ का नियम होता है कि वह टर्नओवर के पांच गुना तक आ सकता है, यानी यदि करोबार सौ करोड़ का है तो वह बाजार में 500 करोड़ का आईपीओ ला सकता है। शुरुआत में केम्को ग्रुप का टर्नओवर औसतन 300 करोड़ के करीब का था। इसे बढ़ाने के लिए उसने कई और कंपनियों को साथ में लेना शुरू किया। इसी में जीआरवी बिस्किट की शेयर होल्डिंग अपने पास शिफ्ट करना भी अहम था। साथ ही मुंबई के फायनेंसर व अन्य हाईप्रोफाइल मित्रों से लंबा फाइनेंस लिया गया, जिसे ग्रुप में लगाया गया ताकि टर्नओवर अधिक से अधिक बढ़ाकर दिखाया जा सके। इन सभी को प्री आईपीओ शेयर देने की डील हुई, यानी इसके तहत शेयर बाजार में आईपीओ लांच से पहले इन्हें शेयर का एक बड़ा हिस्सा दिया जाएगा, जिससे यह मुनाफा कमा सकेंगे। इससे सभी कारोबारी हाईप्रोफाइल मित्रों एक बड़ी राशि यहां फंसा दी। एक और खेल हुआ, ग्रुप की ही कंपनियों में आपस में खरीदी-बिक्री दिखाई गई, जिससे कागजों पर टर्नओवर अधिक से अधिक हो सके। साथ ही बैंकों से भी जमकर लोन लिए गए। हुआ यह कि इन सभी से इसका टर्नओवर 700 करोड़ के करीब तक पहुंच गया।
टर्नओवर बढ़ाने के लिए कैम्को मार्ट का प्लान
700 करोड़ के टर्नओवर से यह आईपीओ करीब चार हजार करोड़ का आ सकता था, लेकिन इसकी तैयारी होने के बाद जैसवानी की मंशा और लक्ष्य दस हजार करोड़ की हुई। इसके लिए उसने कैम्को मार्ट का प्लान किया, जो डी मार्ट की तर्ज पर था। इसमें लोगों से जमकर पैसा लगवाया, फ्रेंचाइजी दी और यह जगह-जगह खोले गए। इससे फायदा यह होता कि टर्नओवर अधिक बढ़ जाता और इसे बढ़ाकर करीब दो हजार करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य था। इससे आईपीओ आसानी से दस हजार करोड़ का आ जाता।
250 करोड़ की देनदारी,फाइनेंसरों ने फंड वापस मांगा
इसी बीच बाजार की देनदारियां बढ़ती गई। वहीं आईपीओ के इंतजार में फाइनेंसर ने भी राशि मांगनी शुरू कर दी। बैंकों की भी देनदारी ढाई सौ करोड़ के करीब हो गई। साल 2023 में आईपीओ लाने की बात हुई थी, इसे 2024 किया गया और फिर अब 2025 में लाने का नया अश्वासन दिया। देनदारों का सब्र का बांध टूटने लगा और करीबी लोगों ने अपना फंड वापस मांगना शुरू कर दिया।
इसलिए सीए को बंधक बनाने और धोखाधड़ी की हुई शिकायत
इन दबावों के बीच केम्को ग्रुप का टर्नओवर में गिरावट आने लगी, क्योंकि बाजार की ही देनदारी 70 करोड़ से अधिक की हो गई, लोगों ने बिना एडवांस कच्चा माल देना भी बंद कर दिया। हालत यह हुई कि जो महीने की टर्नओवर 60 से 70 करोड़ रुपए थी, वह घटकर 30 से 40 करोड़ रुपए के बीच आ गया। ऐसे में आईपीओ की स्कीम फेल होने का खतरा पैदा हो गया। जब इस गिरते टर्नओवर को देखा तो जैसवानी ने अपने ही रिश्तेदार कंचन, नितिन जेवनानी के साथ ही सीए निशिथ नाहर, उनके मित्र रोहित इन सभी के साथ ही रशियन कारोबारी मित्र गौरव अहलावत पर धोखाधड़ी करने के आरोप लगा दिए और इनकी थाने में शिकायत की। उधर सीए को बंधक बनाने में सीए एसोसिएशन एकजुट हुआ और जैसवानी पर एफआईआर हो गई।