Sudarshan Bridge कराता है भगवान श्रीकृष्ण की अनुभूति

द्वारिका से विपिन नीमा

द्वारका (गुजरात )। किसी भी बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण में इंजीनियरिंग किस तरह से की जाती है इसका सबसे बड़ा उदाहरण गुजरात का सुदर्शन सेतु ( Sudarshan Bridge ) या ब्रिज है। गुजरात में ओखा मुख्य भूमि और भेट द्वारका को जोडऩे वाले लगभग 2.32 किलोमीटर लम्बे केबल – आधारित ‘सुदर्शन सेतु’ यानी ब्रिज को ऐसा डिजाइन किया हैं जो भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन की अनुभूति कराता हैं।

Sudarshan Bridge के निर्माण की लागत 1100 करोड़

इस ब्रिज की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुदर्शन ब्रिज ( Sudarshan Bridge ) के दोनों तरफ बनाए गए 2.50 मीटर चौड़े वॉकिंग कॉरिडोर ( फुटपाथ) की दीवार पर भागवत गीता के श्लोक, विष्णु सहस्त्रनाम, भगवान श्रीकृष्ण की लीला का चित्रण तथा भगवान श्रीकृष्ण के मस्तक पर लगने वाला मोर पंख की अंकित है। लगभग 1000 करोड़ रुपए की लागत से बने इस ब्रिज पर से प्रतिदिन 40 से 50 हजार वाहन रोज गुजरते हैं। यह ब्रिज इतना भव्य और खूबसूरत है कि यहाँ से गुजरने वाले पर्यटक, यात्री अपने मोबाइल से सेल्फी, वीडियो तथा रील बनाकर इस क्षण को यादगार बना रहे हैं। ब्रिज के ऊपर की सुंदरता के साथ-साथ नीचे भी समुद्री लहरें इसकी भव्यता में चार चाँद लगा रहे हैं। रात को जब ब्रिज की रंग बिरंगी लाइट जलती है तब इसकी सुंदरता दोगुनी हो जाती हैं। ब्रिज को देखकर अमिताभ बच्चन का वह विज्ञापन याद आ जाता हैं, जिसमें वह कहते हैं एक बार गुजरात तो आईए।

ब्रिज की दीवार पर अंकित है…

  1. गीता के श्लोक
  2. विष्णुसहस्रनाम
  3. कृष्ण की लीलाओं का चित्रण
  4. मोर पँख

इंजीनियरिंग डिजाइन भव्यता देखने लायक…

  1. सेल्फी
  2. वीडियोग्राफी
  3. फोटोग्राफी
  4. रील

जब ब्रिज पर जाकर देखा तो

यह पुल 34 स्तंभों पर टिका है। ये सभी स्तंभ पानी में खड़े हैं। खंभे बांसुरी की शक्ल में बने हैं। पुल को बनाने में कंक्रीट और स्टील का उपयोग किया गया है। लगभग 1000 करोड़ रु. की लागत से बने इस पुल पर गाड़ी, मोटर साइकिल से तो जा ही सकते हैं, पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए अलग से रास्ता बनाया गया है। इस पुल से जाने वाले लोग स्वयं को भगवान श्रीकृष्ण से जोड़ पाएं, इसके लिए कई उपाय किए गए हैं। पुल की दीवारों पर कई स्थानों पर मोर पंख अंकित हैं। इसके साथ ही हर तीन-चार मीटर पर पत्थरों पर गीता के श्लोक भी लिखे गए हैं। बगल में इनके भावार्थ गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में हैं। ‘विष्णुसहस्रनाम’ भी स्थान-स्थान पर अंकित है, ताकि भक्त आते-जाते भगवान विष्णु के 1,000 नामों का जाप कर सकते हैं। पुल के कुछ हिस्सों पर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को भी चित्रित किया गया है।

8 माह पूरे हो रहे हैं ब्रिज के

आगामी 25 सितंबर को ब्रिज के 8 महीने पूरे होने जा रहे हैं। इसी साल 25 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे बड़े केवल आधारित पुल सुदर्शन सेतु का उद्घाटन किया था। इस ब्रिज पर कई विशेषताएं हैं। आकर्षक लाइटिंग, नीड एंड क्लीन सडक़, तो हैं ही साथ ही फुटपाथ के ऊपरी हिस्सों पर सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो एक मेगावाट बिजली पैदा करते हैं। यहाँ के लोंगो ने बताया की इस पुल के निर्माण में स्टील और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है। बेट द्वारका ओखा बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जो द्वारका शहर से लगभग 30 किमी दूर है, जहां भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर स्थित है।

शाम होते ही ब्रिज पर बढ़ जाती है पर्यटकों और श्रद्धालुओं की भीड़

सुदर्शन सेतु इतना खूबसूरत है कि यदि आप एक शांत और सुंदर वातावरण में कुछ समय बिताना चाहते हैं. तो उसके लिए यह ब्रिज सबसे उत्तम हैं। यहां आकर न केवल आप अपनी तस्वीरें के माध्यम से यादे संजो सकते है।. इसके साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी पूरा आनंद ले सकते हैं। यही नहीं यहाँ की हवा में ताजगी और ठंडक का एहसास भी होता है। प्रतिदिन शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक ब्रिज पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। ढलती शाम, समुद्री की लहरें, ठंडी ठंडी हवाओं और ब्रिज की रंग बिरंगी रोशनियों के बीच पर्यटक और श्रद्धालु कुछ समय ब्रिज पर रुक कर सेल्फी लेते हैं, वीडियोग्राफी करते हैं और रील बनाते हैं।