स्वतंत्र समय, इंदौर
तीस सालों के लंबे संघर्ष के बाद इंदौर के लोगों को इंदौर विकास प्राधिकरण ( IDA ) की स्कीम 171 से मुक्ति मिलने जा रही है। इस स्कीम में फंसे 6000 से ज्यादा परिवारों को उनकी जमीन पर कब्जा मिलना तय हो गया है। हाईकोर्ट में शपथ पत्र देने के बाद आईडीए ने फाइनल लिस्ट तैयार करना शुरू कर दिया है। इसके प्रकाशन के साथ ही लोग अपनी जमीन पर मकान बना सकेंगे।
IDA ने स्कीम 171 में एक दर्जन से ज्यादा समितियों की दी राहत
असल में आईडीए ( IDA ) ने स्कीम 171 में फंसी एक दर्जन से अधिक सहकारी समितियों व निजी कालोनियों को राहत देने पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए जिला प्रशासन से मिली सूची से मिलान कर फाइनल सूची बनाई जाएगी। सूची जारी होने के बाद लोगों को 60 दिन में बकाया राशि जमा करना पड़ेगी। आईडीए को इन समितियों से करीब 5 करोड़ 84 लाख रुपए मिलना है। यह राशि जमा होते ही आईडीए सभी समितियों को स्कीम 171 से मुक्त कर देगा। जानकारी के अनुसार इस स्कीम में 30 सालों से देवी अहिल्या श्रमिक कामगार, न्याय विभाग, इंदौर विकास गृह निर्माण, मजदूर पंचायत, लक्ष्मण गृह निर्माण, सूर्या, मारूति गृह, सन्नी को-ऑपरेटिव, रजत गृह, त्रिशला गृह, संजना गृह, श्रीकृपा गृह और अप्सरा गृह निर्माण सहकारी समिति के सदस्य फंसे हुए हैं।
ऐसे हुई विवाद की शुरूआत
आईडीए ने 1991-92 में यहां स्कीम 132 लागू की। यहां स्थित पुष्पविहार सोसायटी के 1150 सदस्यों के पास वर्ष 1998 से ही रजिस्ट्री थी। मगर उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर स्कीम लागू कर दी गई। आईडीए के खिलाफ लोग कोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने इस जनविरोधी स्कीम को निरस्त कर दिया। मगर आईडीए ने 2009 में इसे स्कीम 171 नाम देकर फिर से शुरू कर दिया। सदस्यों व आईडीए के बीच चल रही लड़ाई का फायदा उठाते हुए भूमाफिया को एंट्री करने का मौका मिल गया। दीपक मद्दा जैसे भूमाफिया कई समितियों में घुस गए और जमीनों के टुकड़े कर हनी, टनी व अन्य लोगों को जमीन बेच दी गई। कुछ लोगों ने आननफानन में जमीन गिरवी रखकर कर्ज भी ले लिया।
ऐसे निकला राहत का रास्ता
17 फरवरी 2020 को सरकार ने फैसला लिया कि जिस स्कीम में कोई काम नहीं हुआ, वह आज रात 12 बजे से निरस्त की जाती है। इसमें 10 फीसदी से कम काम हुआ, वह आईडीए की व्यय राशि भरवाकर मुक्त कर दी जाएगी। इसके बाद विधानसभा में एक्ट पास हुआ। बाद में शिवराज सरकार ने नियम लागू कर दिया कि राशि भ्ज्ञक्रने के लिए फार्मेट प्रकाशित किया जाएगा। दो माह के भीतर लोगों को राशि भरना होगी। जिला प्रशासन द्वारा कलेक्टर मनीष सिंह के नेतृत्व में भूमाफिया के खिलाफ अभियान चलाकर जमीनें कब्जों से मुक्त कराई गईं।
लोगों को रजिस्ट्री के आधार पर कब्जे दिलाए गए। इस लंबे संघर्ष के बाद भी लोगों को स्कीम से मुक्ति नहीं मिल पा रही थी। कलेक्टर आशीष सिंह ने पहल करते हुए स्कीम बंद कराने का आदेश दिया। अब सूची बनाई गई है। आईडीए ने भी हाईकोर्ट में शपथ पत्र दे दिया है कि हम स्कीम मुक्त कर रहे हैं। सूची फाइनल कर दी जाए। इसके बाद अब केवल प्रारूप जारी होना बचा है। आईडीए के सीईओ आरपी अहिरवार का कहना है कि फाइनल लिस्ट तैयार की जा रही है। सोसायटी और शासन से मिली सूची से इसका मिलान कर इसी सप्ताह फाइनल लिस्ट जारी कर दी जाएगी। लिस्ट के साथ जमा कराई जाने वाली राशि का ब्यौरा भी रहेगा।