भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआइएसएम) ने देशभर के आयुष कॉलेजों में शिक्षक बनने के लिए पात्रता परीक्षा (नेशनल टीचिंग एलिजिबिलिटी टेस्ट – एनटीईटी) को अगले शैक्षणिक सत्र से अनिवार्य कर दिया है। इस संबंध में आयोग ने इसी वर्ष अप्रैल में अधिसूचना जारी की थी। पहले इसे लागू करने की प्रक्रिया को टालने की अटकलें थीं, लेकिन अब इसे समय पर लागू किया जा रहा है। 24 सितंबर 2024 से डॉक्टरों का पंजीकरण भी प्रारंभ हो गया है, जो इस पात्रता परीक्षा के लिए आवश्यक है। इस परीक्षा का उद्देश्य आयुष कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना और योग्य शिक्षकों का चयन सुनिश्चित करना है।
देशभर में आयुर्वेद के 494 और कुल 750 आयुष कॉलेज हैं, जिनमें शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (एनटीईटी) अनिवार्य करने का फैसला लिया है। यह पात्रता परीक्षा उन नए उम्मीदवारों के लिए आवश्यक होगी, जो आयुष कॉलेजों में शिक्षक बनना चाहते हैं। हालांकि, पहले से कार्यरत शिक्षकों को इस परीक्षा को पास करने की अनिवार्यता से छूट दी गई है। यह कदम आयुष शिक्षण संस्थानों में योग्य और दक्ष शिक्षकों का चयन सुनिश्चित करने और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (एनटीईटी) पास करने वाले डॉक्टरों को ही टीचर्स कोड प्रदान किया जाएगा, और इसी कोड के आधार पर वे आयुष कॉलेजों में फैकल्टी के रूप में नियुक्ति के पात्र होंगे। इस परीक्षा के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 14 अक्टूबर है। आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता, डॉ. राकेश पाण्डेय के अनुसार, देशभर के लगभग 5,000 आयुष पीजी डिग्रीधारी डॉक्टरों के इस परीक्षा में शामिल होने की संभावना है। इस नई व्यवस्था के लागू होने से आयुष शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि यह कदम शिक्षकों की योग्यता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।