मध्य प्रदेश में डेंगू के मरीजों और मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि को लेकर हाई कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। अदालत ने राज्य सरकार को इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अदालत ने मामले पर कड़ी नजर रखी है, और इस पर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। अदालत का यह कदम राज्य में डेंगू नियंत्रण के प्रयासों की समीक्षा और जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है।
गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के नवागत मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ के समक्ष डेंगू के बढ़ते मामलों पर सुनवाई हुई। इस दौरान जबलपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता विजय बजाज की ओर से जनहित याचिका प्रस्तुत की गई, जिसमें उनके अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। याचिका में राज्य में डेंगू के बढ़ते प्रकोप और इससे होने वाली मौतों पर चिंता जताई गई है। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
अधिवक्ता आदित्य संघी ने हाई कोर्ट में दलील दी कि पूरे प्रदेश में डेंगू की स्थिति गंभीर होती जा रही है, और हर दिन अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस साल डेंगू वायरस के मजबूत वेरिएंट के कारण मौतों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नगरीय निकायों की लापरवाही के चलते डेंगू तेजी से फैल रहा है, क्योंकि नगर निगम और अन्य निकायों द्वारा आवश्यक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
संघी ने यह भी कहा कि प्रदेश में फागिंग मशीनों का सही ढंग से उपयोग नहीं किया जा रहा है। यदि उचित कीटनाशकों के साथ फागिंग की जाए और स्वच्छता बनाए रखी जाए, तो डेंगू वायरस के प्रसार को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उनका तर्क था कि यदि निकाय समय रहते कारगर कदम उठाएं, तो डेंगू की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।
बहस के दौरान यह दलील दी गई कि इंदौर में डेंगू के मरीजों की संख्या उच्चतम स्तर पर है और ग्वालियर में सबसे अधिक मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इसके बावजूद फागिंग मशीन का उपयोग केवल वीआईपी क्षेत्रों में सीमित होकर रह गया है, जबकि सघन बस्ती वाले इलाकों और गंदी बस्तियों में इसे अनदेखा किया जा रहा है। नियमानुसार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फागिंग मशीन का छिड़काव अनिवार्य रूप से होना चाहिए, लेकिन इसे लेकर लापरवाही बरती जा रही है। यह मुद्दा उठाया गया कि यदि इन क्षेत्रों में समय पर छिड़काव और उचित सफाई व्यवस्था की जाए, तो डेंगू के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल इन आवश्यक कदमों की अनदेखी हो रही है।