स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर में 126 स्कूलों ( School buildings ) की मरम्मत के काम में पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) मंगलेश व्यास के साथ ही एडीपीसी (अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक) नरेंद्र जैन ने गंभीर वित्तीय घोटाला किया है। विभागीय जांच में साबित हुआ है कि उन्होंने स्कूलों के मरमम्त कामों में वित्तीय अनियमितता करते हुए करीब 60 लाख रुपए की राशि का गबन किया है। जांच कमेटी प्रमुख, जिला पंचायत सीईओ आईएएस सिद्धार्थ जैन ने विभागीय जांच पूरी कर संभागायुक्त दीपक सिंह को रिपोर्ट भेज दी है। इंदौर में 126 स्कूलों में मरम्मत के लिए 3.27 करोड़ रुपए की राशि आई थी। इन स्कूलों में मरम्मत का काम जितना बताया गया था वह हुआ ही नहीं और उधर ठेकेदारों को इस राशि का भुगतान कर दिया गया। बाद में जिला पंचायत सीईओ आईएएस सिद्दार्थ जैन ने मामले की मैदान में जाकर जांच की। जांच में सभी से बयान लिए तो सामने आया कि स्कूलों में 60 लाख के मूल्य की मरम्मत का काम नहीं हुआ है।
चहेते ठेकेदारों को दिया School buildings की मरम्मत का पेमेंट
जांच में यह भी सामने आया कि नियमानुसार स्कूल ( School buildings ) की मरम्मत की राशि संबंधित स्कूल के प्राचार्य के खाते में जाना थी। वहां से भुगतान होना था, लेकिन यह राशि मंगलेश व्यास, नरेंद्र जैन ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खाते में रखी। उन्होंने ठेकेदारों को सीधे ही यहां से भुगतान किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि काम की जांच के लिए जो मूल्यांकनकर्ता, तकनीकी विशेषज्ञों से जांच कराया जानी थी, वह भी नहीं कराया गया। जांच कमेटी ने खुद स्कूलों को जांचा-परखा और जांच कराई तो मरम्मत का काम सही नहीं पाया गया।
इन चहेते ठेकेदारों को दिए गए काम और पेमेंट
मंगलेश व्यास और नरेंद्र जैन द्वारा कुल 16 ठेकेदारों से स्कूलों में 110 काम कराते हुए 3.27 करोड़ रुपए का पेमेंट किया गया। इन कामों में टेंडर प्रक्रिया सही नहीं हुई और ना ही डीपीआर बनाई गई और ना ही तकनीकी मंजूरियां ली गई। इसमें इम्पैक्ट बिल्डर्स को सबसे ज्यादा 1.14 करोड़ का पेमेंट किया गया। वहीं पीएस इंटरप्राइजेस को 63 लाख, आलोक वाटर प्रूफिंग को 56 लाख, चैतन्य कंसट्रक्शन को 42 लाख, आईडब्ल्यूसी केयर को 18 लाख, एनके वाटरप्रूफिंग को 12 लाख और केएफसी कंसट्रक्शन को 7 लाख रुपए का पेमेंट किया गया। इसके साथ ही सृजन इन्फ्रा, सत्यम पटेल, प्रमोद पांडे, अजीम बिलाल कंस्ट्रक्शन, मोहसिम अली, मुकेश हार्डवेयर्स, लकी इलेक्ट्रिकल्स, केजीएन इंटरप्राइजेस और साईं धाम इंजीनियरिंग को भी भुगतान किए गए हैं।