Surya Grahan: सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक साथ, जानिए सूतक काल रहेगा या नहीं, इन राशियों को होगा लाभ

साल 2024 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर, बुधवार को होगा। यह ग्रहण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सर्व पितृ अमावस्या के दिन पड़ रहा है। इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है, जो पितृ तर्पण के लिए समर्पित होता है।

सूर्य ग्रहण के विशेष पहलू

– वलयाकार सूर्य ग्रहण: यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढकने के बजाय उसके मध्य भाग को ढकेगा, जिससे सूर्य के चारों ओर एक रिंग दिखाई देगी।
– खगोल वैज्ञानिक दृष्टिकोण: खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, यह ग्रहण विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर दिखाई देगा। इसे देखने के लिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी, जैसे विशेष ग्रहण चश्मा या अन्य सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना।

धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

– इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, खासकर पितरों को समर्पित।
– ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के समय किए गए कार्यों का विशेष फल मिलता है, इसलिए इसे सकारात्मक ऊर्जा और शुभता के साथ मनाने की सलाह दी जाती है।

यह सूर्य ग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से रोचक है, बल्कि इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी है, जिससे यह दिन विशेष बनता है।

साल 2024 का 2 अक्टूबर का सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में ही देखा जा सकेगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी लागू नहीं होगा। सूतक काल वह समय होता है जब ग्रहण से पहले के कुछ घंटे में विशेष धार्मिक कार्यों को करने से मना किया जाता है।

पहले सूर्य ग्रहण का उल्लेख

– साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को था, जो एक पूर्ण सूर्य ग्रहण था, लेकिन यह भी भारत में नहीं दिखाई दिया था।

विशेष बातें

– दृश्यता: दक्षिण अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में लोग इस वलयाकार सूर्य ग्रहण का अनुभव कर सकेंगे, जबकि अन्य क्षेत्रों में इसे देखना संभव नहीं होगा।
– धार्मिक महत्व: भारत में इस ग्रहण के दौरान कोई विशेष धार्मिक अनुष्ठान या सावधानियों की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

इस प्रकार, यह ग्रहण खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन भारतीय संदर्भ में इसका विशेष धार्मिक या ज्योतिषीय महत्व नहीं रहेगा।

2 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण कई कारणों से खास है

खासियतें

1. हस्त नक्षत्र और कन्या राशि: यह ग्रहण हस्त नक्षत्र में और कन्या राशि में होने जा रहा है, जो इसे विशेष बनाता है। कन्या राशि बुध द्वारा शासित होती है, जो वाणी, बुद्धि और व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है।

2. मिथुन राशि: इस ग्रहण का लाभ मिथुन राशि वालों को होगा। उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होने की संभावना है, और करियर में सफलता मिलने की संभावना भी बढ़ रही है। नए अवसरों के खुलने से उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

3. कर्क राशि: कर्क राशि वालों के लिए यह समय भी शुभ रहेगा। उन्हें हर काम में सफलता मिलेगी, और परिवार का सहयोग भी प्राप्त होगा। यह समय उनके लिए व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सकारात्मक बदलाव का संकेत देता है।

अन्य राशियों पर प्रभाव

– तुला और मकर: तुला राशि वालों को भी लाभ हो सकता है, जबकि मकर राशि वालों को सतर्क रहना होगा। उन्हें अपने निर्णयों में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

इस सूर्य ग्रहण के दौरान किए गए कार्यों और विचारों का विशेष महत्व हो सकता है, इसलिए यह समय शुभ संकल्पों और नई योजनाओं के लिए उपयुक्त रहेगा।

सूर्य ग्रहण का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है, और ग्रहण के बाद दान करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने की परंपरा है। यद्यपि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा, फिर भी दान का महत्व बना रहता है। सूर्य ग्रहण के बाद निम्नलिखित चीजों का दान करना शुभ माना गया है:

ग्रहण के बाद दान करने वाली चीजें

1. चना: चने का दान करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है।
2. गेहूं: गेहूं का दान जीवन में स्थिरता लाता है और आर्थिक समस्याओं को दूर करता है।
3. गुड़: गुड़ का दान करने से सुख-समृद्धि और रिश्तों में मधुरता आती है।
4. दाल: दाल का दान ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और अच्छे स्वास्थ्य और उन्नति की प्राप्ति होती है।

दान का महत्व

– सूर्य ग्रहण के बाद दान करने से ग्रहों के विपरीत प्रभावों को कम किया जा सकता है।
– धार्मिक मान्यता के अनुसार, दान से जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।

इन दानों से व्यक्ति के सभी कार्य बिना बाधा के पूरे होने की संभावना बढ़ती है, और किस्मत चमक उठती है।