Maharashtra: CM शिंदे की सरकार ने लिया बड़ा फैसला, देशी गाय को दिया राजमाता का दर्जा

Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय संस्कृति, कृषि, और स्वास्थ्य देखभाल में स्वदेशी गाय के महत्व को देखते हुए इसे औपचारिक रूप से ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा दिया है। यह कदम भारतीय समाज में गाय की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने और उसे संरक्षित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

स्वदेशी गाय का महत्व

1. धार्मिक और सांस्कृतिक भूमिका: वैदिक काल से ही गाय को भारतीय संस्कृति में पूजनीय माना गया है। गाय का धार्मिक महत्व प्राचीन शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है, और इसे विशेष सम्मान दिया जाता है।

2. स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान: गाय का दूध अपने उच्च पोषण मूल्य के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। गाय का दूध, घी, और उससे बने अन्य उत्पाद भारतीय आहार और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

3. कृषि में योगदान: स्वदेशी गाय का गोबर और मूत्र कृषि के लिए उत्तम जैविक खाद और कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और रसायनों पर निर्भरता कम होती है।

इस घोषणा का प्रभाव

– गौ संरक्षण: ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा मिलने से स्वदेशी गायों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
– कृषि और पर्यावरण: जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कृषि क्षेत्र में रसायनों का उपयोग कम होगा और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा।
– स्वास्थ्य लाभ: गाय के दूध और अन्य उत्पादों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, इनका उपयोग बढ़ेगा और लोगों को उनके स्वास्थ्य लाभ का लाभ मिलेगा।

इस निर्णय से स्वदेशी गायों के महत्व को और भी अधिक बल मिलेगा और उनके संरक्षण की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।

मराठवाड़ा में देवरी, ललकानारी और उत्तरी महाराष्ट्र में डांगी और शवदाभ जैसी देशी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, जो कृषि और ग्रामीण जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में देशी गायों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्वदेशी गायों को ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा दिए जाने से उम्मीद है कि किसानों को इन गायों को पालने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इससे न केवल गायों के संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि उनकी संख्या में भी वृद्धि हो सकती है।

गिरावट के कारण

1. संकर नस्लों का प्रचलन: संकर नस्ल की गायों का दूध उत्पादन अधिक होता है, जिसके कारण किसानों ने अधिक उत्पादन के लिए इन्हें पालना शुरू कर दिया, जिससे देशी नस्लों की मांग कम हो गई।

2. आधुनिक कृषि पद्धतियां: रासायनिक खाद और मशीनों के बढ़ते उपयोग के कारण देशी गायों के गोबर और मूत्र का कृषि में उपयोग कम हो गया, जिससे देशी नस्लों का महत्व घटा।

सरकार की उम्मीदें

– किसानों के लिए प्रोत्साहन: यह दर्जा मिलने से किसानों को स्वदेशी नस्ल की गायों को पालने के लिए वित्तीय और संरचनात्मक सहायता मिल सकती है।
– स्थानीय नस्लों का संरक्षण: देवरी, ललकानारी, डांगी और शवदाभ जैसी देशी नस्लों के संरक्षण के प्रयास तेज होंगे, जिससे उनकी संख्या में गिरावट रुक सकती है।
– जैविक कृषि को बढ़ावा: जैविक खेती में गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग बढ़ेगा, जिससे देशी नस्ल की गायों की उपयोगिता फिर से बढ़ सकती है।

इस कदम से न केवल गायों की सुरक्षा और संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि किसानों को भी लंबे समय में लाभ हो सकता है।

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में देशी गायों के संरक्षण और उनके महत्व को बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए उन्हें ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा दिया है। यह घोषणा राज्यपाल *सीपी राधाकृष्णन द्वारा हस्ताक्षरित सरकारी आदेश के जरिए की गई है। इस आदेश में कहा गया है कि गायें प्राचीन काल से ही मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं और उन्हें ‘कामधेनु’ के रूप में मान्यता मिली है। गायों का *ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक* महत्व है और वर्तमान में देशी गायों की घटती संख्या को लेकर चिंता जताई गई है।

देशी गायों की घटती संख्या

भारत में विभिन्न क्षेत्रों में गायों की अलग-अलग नस्लें पाई जाती हैं, जिनमें से कई स्वदेशी नस्लें हैं। हालांकि, आधुनिक कृषि और पशुपालन पद्धतियों के चलते देशी गायों की संख्या में कमी आई है। सरकार को उम्मीद है कि इस निर्णय से देशी गायों की नस्लों का संरक्षण और पुनरुद्धार होगा, और किसान इन्हें पालने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

राज्य मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण फैसले

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में कुछ अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए:
1. कोतवालों के वेतन में 10% की बढ़ोतरी: इससे ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले कोतवालों को आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा।
2. ग्राम रोजगार सेवकों का मानदेय बढ़ाकर ₹8000 प्रतिमाह: यह फैसला ग्रामीण रोजगार सेवकों की वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।
3. ऑरेंज गेट से मरीन ड्राइव सबवे के काम में तेजी: यह मुंबई की प्रमुख विकास परियोजनाओं में से एक है, जिससे ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार होगा।
4. ठाणे मेट्रो रेल परियोजना में तेजी: इससे ठाणे क्षेत्र में परिवहन सुविधाओं में सुधार होगा और मेट्रो रेल नेटवर्क का विस्तार होगा।

इन सभी फैसलों से राज्य की विकास योजनाओं और स्थानीय प्रशासनिक ढांचे को मजबूती मिलेगी, साथ ही देशी गायों के संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा।