प्रकाश पुरोहित
वरिष्ठ पत्रकार एवं व्यंग्यकार
वैसे ही भाजपा यानी मोदी-शाह नाराज रहते हैं, योगी ( Yogi ) आदित्य नाथ से। खुश कैसे हो सकते हैं, जबकि उनकी पसंद का मुख्यमंत्री बनने नहीं दिया और खुद जोर-जबर्दस्ती से सीएम बन गए। फिर पिछले लोकसभा चुनाव में अयोध्या में ही पार्टी की नाक कटवा दी और यूपी से उतने सांसद भी नहीं दे पाए, जितने कि उम्मीद की थी। राम मंदिर का सारा किया-धरा, गुड़ गोबर हो गया।
अब Yogi इस कोशिश में हैं कि भाजपा को हरियाणा में जीत नहीं मिल सके
अब योगी ( Yogi ) आदित्य नाथ इस कोशिश में हैं कि जैसे भी हो, भाजपा को हरियाणा में जीत नहीं मिल सके, यह भाजपा के चिंतकों का सोचना है। इसकी वजह यही है कि भारत और बांग्लादेश के बीच कानपुर में टेस्ट मैच खेला जा रहा है। भाजपा को ना तो मनोहर लाल से कोई उम्मीद है, ना ही सैनी से, लेकिन उन्हें यह पूरा भरोसा था कि कानपुर टेस्ट के दौरान हर ओवर के बाद दिखाए जाने वाले चुनावी विज्ञापन से जनता का मन बदल जाएगा और हारी हुई बाजी पलट भी सकते हैं। युवा, बूढ़े और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन तैयार किये गए थे। पहले ही दिन आशंका होने लगी थी कि बारिश की वजह से कुछ खेल कम होगा, लेकिन अंदेशा नहीं था कि आसमां से तो हरी झंडी मिल जायेगी, जमीन से मात खा जाएंगे। बारिश तो बंद हो गई, लेकिन जमीन को सुखाने का इंतजाम, लगता है, जान-बूझ कर या तो किया ही नहीं या फिर बिगाड़ दिया।
अब ‘एन-शिकार कुतिया गायब’ वाली हालत हो गई कि विज्ञापन टीवी पर चमकने को तैयार थे और टेस्ट मैच शुरू नहीं हो रहा था कि मैदान में पानी है। अगर आंगन ही टेढ़ा हो जाए तो भी कोई नाच सकता है, लेकिन उसमें कीचड़ हो तो कैसे नाच सकता है। सारे विज्ञापन धरे रह गए और इधर स्टेडियम का कीचड़ है कि सूख ही नहीं रहा है।
अगर ऐसे में भाजपा का चिंतक-समूह यह शक कर रहा है कि जान-बूझ कर स्टेडियम को सूखने नहीं दिया जा रहा है तो क्या गलत है। मुख्यमंत्री के नाते जिम्मेदारी तो आदित्य नाथ की भी थी ना कि बारिश का पानी स्टेडियम से जल्दी बाहर निकलवाएं। चुनाव में गिनती के दिन बचे हैं और यह सरकार तो अपने विज्ञापन के भरोसे ही चुनाव जीतती आई है। मोदी-शाह के भाषण से जीत के दिन तो अब हवा हो रहे हैं, तो जय शाह का क्रिकेट ही तो हथेली लगा सकता है ना! पिता संकट में हैं तो लायक पुत्र ही तो मदद को आएगा। कानपुर टेस्ट का सारा विज्ञापन-समय भाजपा को दिलवा दिया, मगर खेल ही शुरू नहीं हो रहा हो तो विज्ञापन को क्या चाटें? नासमझ कह सकते हैं कि स्टेडियम की जिम्मेदारी तो जय शाह की थी, मगर अमित शाह के चिरंजीव हैं तो उनके माथे ठीकरा कौन फोड़ सकता है।
गनीमत रही कि इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया वनडे सीरीज ने बचा लिया। अब ये विज्ञापन वहां दिखाए जा रहे हैं। जो बात अपने टेस्ट मैच में है, वैसी तो वनडे में नहीं आ सकती ना! कहा भी है, ‘बाकी फॉर्मेट बार-बार, टेस्ट मैच एक बार।’ हरियाणा अगर हारे तो दोष ना तो मनोहर लाल का और ना ही किसी और का, आदित्य नाथ ही दोषी ठहराए जाएंगे कि कानपुर स्टेडियम से पानी निकलवाने का इंतजाम (जानते-बूझते) नहीं किया। मोदी-शाह को तो हार का दोष लगेगा नहीं, क्योंकि उनके जिम्मे तो जीत ही रहती है ना!