बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- ‘मंदिर हो या दरगाह… सड़क के बीच धार्मिक संरचना बाधा नहीं बन सकती

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जिसमें उसने जन सुरक्षा को सर्वोपरि बताया। कोर्ट ने कहा कि सड़क या रेलवे ट्रैक पर अतिक्रमण करने वाले किसी भी धार्मिक ढांचे, चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, को हटाया जाना चाहिए। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने बिना न्यायिक मंजूरी के देशभर में तोड़फोड़ पर रोक लगाने वाले अपने अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाते हुए इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह निर्णय कानून और व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और बुलडोजर कार्रवाई व अतिक्रमण विरोधी अभियान पर उसके निर्देश किसी भी धर्म से परे होंगे। कोर्ट ने 17 जुलाई को दिए गए अंतरिम आदेश को बनाए रखने का निर्णय लिया, जिसका मतलब है कि देश भर में लोगों की निजी संपत्ति को बुलडोजर से ढहाए जाने पर रोक जारी रहेगी। यह रोक सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक लागू रहेगी, लेकिन यदि अतिक्रमण सड़क, फुटपाथ या रेलवे लाइन पर है, तो उसे हटाने पर कोई रोक नहीं होगी। यह निर्णय कानून और सार्वजनिक सुरक्षा के प्रति अदालत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसके दिशा-निर्देश पूरे देश में लागू होंगे और किसी व्यक्ति का महज आरोपी या दोषी होना संपत्ति के ध्वस्तीकरण का आधार नहीं हो सकता। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वे सभी नागरिकों और संस्थानों के लिए अपने निर्देश जारी कर रहे हैं, न कि किसी विशेष समुदाय के लिए। पीठ ने यह भी कहा कि किसी खास धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता और उन्होंने सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीनों या जंगलों में किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण देने से इनकार किया। यह निर्णय न्यायालय की एक समानता और निष्पक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि उसके आदेश से किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करने वालों को कोई सहायता न मिले। यह टिप्पणी उस सुनवाई के दौरान आई, जिसमें कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें आरोप लगाया गया कि विभिन्न राज्यों में आरोपियों की संपत्तियों सहित अन्य संपत्तियां ध्वस्त की जा रही हैं। न्यायालय ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया कि वह अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई में निष्पक्षता बनाए रखेगा और किसी भी प्रकार के पक्षपात या अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं करेगा।