प्रवीण शर्मा, भोपाल
लड़कियों ( Daughters ) को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए सरकार नए-नए अभियान चला रही है। उन्हें पढ़ाने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं भी चला रही हैं। प्रदेश भर में गांव की बेटी योजना में 30 फीसदी तो प्रतिभा किरण की 45 फीसदी छात्राओं को योजना की राशि का पेमेंट नहीं हुआ है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों में यह 95 प्रतिशत छात्राओं को भी कॉलेजों ने पेमेंट नहीं किया है। जबकि सरकार से राशि काफी पहले जारी हो चुकी है। बड़े शहरों में गांव और शहरों की प्रतिभाशाली गरीब लड़कियों की राशि सरकारी कालेज ही सालों से अपने खातों में ही रखे बैठे हैं।
Daughters की प्रतिभा किरण योजना में लापरवाही
लड़कियों ( Daughters ) की शिक्षा के प्रति कॉलेजों की यह लापरवाही गांव की बेटी और प्रतिभा किरण योजना में सामने आई है। उच्च शिक्षा विभाग इन दोनों योजनाओं में पात्र पाई गईं छात्राओं की राशि कॉलेजों को हर साल जारी कर रहा है। इस बार भी जुलाई में बजट पारित होते ही इन दोनों योजनाओं का पैसा मंजूर कर चुका है। मगर प्रदेश के अधिकांश कॉलेज बीते दो-तीन सालों से ये राशि छात्राओं को नहीं बांट रहे हैं। इसके चलते योजनाओं की पात्र छात्राओं में से 95 फीसदी की राशि उनके खातों में कॉलेज डाल ही नहीं रहे हैं। जबकि विभाग की ओर से शत प्रतिशत छात्राओं की राशि स्वीकृत की जा चुकी है। लड़कियों की शिक्षा को लेकर सरकारी कॉलेजों की लापरवाही के कारण प्रदेश भर में गांव की बेटी योजना में पात्र पाई गईं 30 हजार 452 लड़कियों को राशि का भुगतान नहंी हो सका है तो प्रतिभा किरण योजना में भी 45 फीसदी से ज्यादा छात्राओं को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सका है।
ये हैं टॉप टेन लापरवाह जिले…
गांव की बेटी :
जिला स्वीकृत लंबित
राजगढ़ 3553 2104
जबलपुर 2384 1551
सागर 6934 1501
भिंड 1513 1350
भोपाल 1416 1348
टीकमगढ़ 3347 1295
कटनी 2371 1240
शहडोल 1806 1208
मंडला 1724 1139
विदिशा 2744 1134
प्रतिभा किरण :
जिला स्वीकृत लंबित
भोपाल 1863 1788
जबलपुर 308 283
सागर 372 273
उज्जैन 293 271
दमोह 447 268
मंडला 165 125
बैतूल 262 91
बालाघाट 178 76
इंदौर 217 62
रायसेन 112 50
बड़े शहरों के कॉलेज बड़े लापरवाह
राजधानी की बात करें तो भोपाल जिले के कॉलेज दोनों ही योजनाओं को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। बड़े शहरों में गांव की बेटी की तुलना में शहर की गरीब बस्तियों में रहने वाली प्रतिभावान छात्राओं के मामले ज्यादा हैं। भोपाल जिले के कॉलेज बीते सालों में बमुश्किल 5 फीसदी छात्राओं की रािश ही बांट सके हैं, बाकी 95 प्रतिशत की राशि का भुगतान अभी तक पेंडिंग ही बना हुआ है। भोपाल में गांव की बेटी योजना के लिए 1970 छात्राओं ने एप्लाई किया था, इनमें से विभाग ने स्क्रूटनी के बाद 1627 के प्रकरण मंजूरी के लिए भेजे। इनमें से विभाग ने मंजूर किए 1416 आवेदन। इनकी राशि भी जारी कर दी गई, लेकिन जिले में अब तक मात्र 68 छात्राओं को ही योजना की राशि बांटी। शेष 1348 का पेमेंट पेंडिंग है। इसी प्रकार प्रतिभा किरण योजना में 2434 ने आवेदन किया, इनमें से 1863 के लिए राशि मंजूर की गई, लेकिन कॉलेजों द्वारा अब तक मात्र 75 को ही पेमेंट किया गया। बाकी 1788 छात्राएं फस्र्ट ईयर से ही पेमेंट का इंतजार कर रही हैं। ग्वालियर ने गांव की बेटी योजना में 1023 की स्वीकृत में से 868 को राशि नहीं बांटी। वहीं इंदौर ने 3128 में से 660 को राशि नहीं दी। शहरी छात्राओं को कॉलेजों में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही प्रतिभा किरण योजना में पात्रों की संख्या कम होने के बाद भी कई जिलों में एक भी छात्रा को पेमेंट नहीं किया है।