पद्म भूषण, पद्म विभूषण देशभक्त भारतीय रतन नवल टाटा स्मृति शेष

– राजकुमार जैन, स्वतंत्र लेखक

28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा ने 9 अक्टूबर 2024 को इस फ़ानी दुनिया को टाटा कह दिया। सूरत में पिता नवल टाटा और माता सूनी टाटा के घर जन्मे रतन की प्रारम्भिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल में हुई जहां उन्होंने 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की फिर मुंबई के ही कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला के बिशप कॉटन स्कूल और न्यूयॉर्क शहर के रिवरडेल कंट्री स्कूल में पढ़ाई की। स्कूली शिक्षा पूर्ण होने के बाद रतन ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से उन्होंने 1962 में वास्तुकला में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की डिग्री हासिल की।
जब जेआरडी टाटा ने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष पद छोड़ते हुए रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तब कंपनी के कई दिग्गजों ने इस निर्णय का कडा प्रतिरोध किया था लेकिन बगैर कोई प्रतिक्रिया दिए टाटा संस के चेयरमैन बनने के बाद अपने कुशल नेतृत्व से रतन टाटा ने 5 बिलियन डॉलर के टाटा समूह को 100 बिलियन डॉलर की वैश्विक दिग्गज कंपनी में बदल दिया, जिसका परिचालन आज दुनिया के 100 से भी अधिक देशों में होता है।

एक महान देशभक्त भारतीय नागरिक के रूप में वो अपनी हर कारोबारी पहल में भारत को सबसे पहले रखते थे। पूरी दुनिया में बसे करोड़ों भारतीयों के लिए वो भारतीयता के प्रतीक थे। अगर टाटा का रिश्ता ‘नमक’ से है, तो रतन ‘भारत की चमक’ हैं और रहती दुनिया तक यह चमक कायम रहेगी। अपने शांत, गंभीर, विनम्र और दयालू स्वभाव और प्रेरक जीवनचर्या के चलते रतन टाटा ने टाटा समूह के लाखों कर्मचारियों और करोड़ों लोगों के मन पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

अपनी कारोबारी सूझबूझ, शालीनता, गरीमामय भविष्यवादी दृष्टीकोण, विचारों में स्पष्टता, निर्णयों में दृढ़ता और परोपकारिता के चलते उनके नेतृत्व में टाटा का नाम एक वैश्विक भरोसा बन चुका है। उन्होंने नमक से लेकर स्टील, सॉफ्टवेयर से लेकर ऑटोमोबाइल और एविएशन तक का सफर चमत्कृत कर देने वाली सफलता के साथ तय किया। रतन टाटा ने टेटली, जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) और एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस का अधिग्रहण किया, जिससे टाटा समूह की वैश्विक छवि मजबूत हुई।

यूं तो उनको अनेकों कारोबारी सम्मान मिले हैं लेकिन पद्म भूषण, महाराष्ट्र भूषण, पद्म विभूषण, नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर, असम बैभव और ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान उनके व्यक्तित्व की विशेषताओं और बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। वह मदिरा देवान या धूम्रपान जैसी प्रचलित बुराईयों से दूर थे लेकिन समय मिलने पर कार चलाना, जेट विमान उड़ाना और सप्ताहांत में मुंबई के बंदरगाह पर अपनी स्पीड बोट दौड़ाना उनके पसंदीदा शौक थे। उनका विचार था कि हर भारतीय के पास अपनी कार होनी चाहिए। इसी विचार के चलते 2008 में उन्होंने अपनी निजी देखरेख में बनी दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो लॉन्च की थी। उन्होंने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित आदर्शों के साथ कभी समझौता नहीं किया चाहे उसके लिए उनको कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पडी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को रतन टाटा के निधन की खबर आने के बाद कहा, “श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। उन्होंने अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के लिए अटूट प्रतिबद्धता के कारण कई लोगों को अपना मुरीद बना लिया था।”
ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि टाटा “व्यापार जगत के दिग्गज” थे, जिन्होंने “ब्रिटिश उद्योग को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई”।
देश के एक महान सपूत को श्रद्धांजलि देते हुए हम समस्त भारतीय यही कह सकते हैं कि उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी, और हम उन सिद्धांतों को कायम रखने का प्रयास करते रहेंगे जिनका उन्होंने इतने जुनून के साथ ताउम्र पालन किया था।