सिंधिया ने membership अभियान में दिग्गजों को पछाड़ा

प्रवीण शर्मा, भोपाल

महज चार साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी नई पार्टी के 40 साल पुराने दिग्गजों पर सदस्यता ( membership ) अभियान में भारी साबित हुए हैं। भाजपा के नए-पुराने सांसद अभी तक सिंधिया के आधे भी नहीं पहुंच सके हैं। इक्का-दुक्का को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश सांसद पार्टी द्वारा दिए गए टारगेट को भी अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं। पार्टी के दिग्गज अब हथकंडे अपना रहे हैं तो संगठन भी अब पार्टी से ज्यादा सांसद-विधायक का टारगेट पूरा करने में जुट गया है। मंत्री और विधायकों की रिपोर्ट तो इस मामले में और भी खराब है।

membership अभियान में सिंधिया 40 हजार से ज्यादा सदस्य बना चुके

भारतीय जनता पार्टी ने 3 सितंबर से अपने संगठन पर्व की शुरूआत कर पहले सवा करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था। एक अक्टूबर से सदस्यता ( membership ) अभियान का दूसरा चरण शुरू कर ये लक्ष्य बढ़ाकर दो करोड़ कर दिया है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए सांसद, विधायकों प्रदेश भर के जनप्रतिनिधियों को अलग-अलग टारगेट सेट किया है। राज्यसभा या लोकसभा के प्रत्येक सांसद को 25 हजार सदस्य बनाना है। मगर 15 अक्टूबर तक चलने वाले अभियान को केवल गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ही अब तक पूरा कर सके हैं। रल कोड बांट दिया। सिंधिया की स्पीड इतनी ज्यादा है कि कोई दूसरे सांसद उनके आसपास भी नहीं हैं। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सिंधिया के रेफरल से अब तक 40 हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं। यह आंकड़ा रोजाना बढ़ रहा है। दूसरे नंबर पर नर्मदापुरम से पहली बार के सांसद दर्शनसिंह चौधरी का है। शिक्षाकर्मी से सांसद बने चौधरी ने अभियान के पहले चरण में ही 25 हजार का टारगेट पूरा कर लिया था और उसके बाद अब अपना खाता ही बंद कर दिया है। चौधरी का कहना है कि वे अब दूसरों के लिए सदस्य बना रहे हैं। इसी सूची में तीसरा नाम सतना सांसद गणेश सिंह का नाम है। तीन बार के सांसद सिंह भी पार्टी के टारगेट के करीब पहुंच गए हैं। वे अब तक करीब 24 हजार सदस्य अपने रेफरल से बना चुके हैं। प्रदेशाध्यक्ष व खजुराहो सांसद भी टॉप फाइव में बने रहने की कोशिश में जुटे हैं। अभी तक उनके रेफरल से 22 हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं। सबकी कोशिश है कि अगले चार दिन में वे बाकी तीन हजार सदस्य बनाकर टारगेट पूरा कर लें। हालांकि टॉप टेन की लिस्ट से उनकी लोकसभा और पन्ना जिला काफी पीछे छूट गया है। शुरूआती दस दिन में पन्ना टॉप टेन में आ गया था। पन्ना जिले के तीनों विधायकों ने सदस्यता में गंभीरता नहीं दिखाई, इससे जिले का प्रदर्शन पिछड़ गया।

रिपोर्ट कार्ड सुधारने नया तरीका

कई सांसद, विधायकों के साथ ही संगठन के नेताओं ने अपना रिपोर्ट कार्ड सुधारने के लिए अब नया तरीका अपनाया है। विभिन्न मोर्चा और प्रकोष्ठ के प्रदेश व जिलों के नेताओं को संगठन पदाधिकारियों ने अपने रेफरल कोड से सदस्य बनाने के काम में लगा रखा है। कोई मोर्चा-प्रकोष्ठ यदि एक हजार की मेंबरशिप कर रहा है तो उसमें 25 से 50 फीसदी सदस्य संगठन के बड़े नेताओं के रेफरल से बनवाना पड़ रहे हैं।

मंत्री-विधायकों के भी बुरे हाल

सांसदों के समान पार्टी के मंत्री-विधायकों के भी बुरे हाल हैं। अधिकांश अपने टारगेट के आसपास भी नहीं आ सके हैं। विधायकों को 15 हजार सदस्य बनाना हैं। मगर अब तक अधिकांश विधायकों की पर्सनल रिपोर्ट काफी कमजोर बनी हुई है। पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों की बात की जाए तो विधायक गोपाल भार्गव, भूपेंद्र ङ्क्षसह, अजय विश्नोई जैसे बड़े नाम भी अपने टारगेट से दूर हैं तो राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, आदिमजाति कल्याण मंत्री विजय शाह जैसे दिग्गज पर्सनल रेफरल से सौ का आंकड़ा ही बमुश्किल पार कर सके हैं। संभागवार रिकॉर्ड में इंदौर सबसे आगे चल रहा है तो भोपाल-नर्मदापुरम दूसरे और ग्वालियर नंबर तीन पर है। भोपाल के लिए नर्मदापुरम का सहारा काम आया है। वरना यहां के सांसद-विधायकों की पर्सनल रिपोर्ट काफी कम है। इसके उलट कांग्रेस के कब्जे वाली मध्य विधानसभा सीट पर भाजपा की सदस्यता अच्छी हो रही है।