इंदौर, 15 अक्टूबर : अभा श्वेताम्बर जैन महिला संघ केंद्रीय इकाई द्वारा आज पोते पोतियों, दादा दादी एवं मम्मी पापा के साथ पाँच सौ लोगों को दो ऑडी में “बिन्नी और फैमिली” फ़िल्म वीरेन्द्र कुमार जैन की प्रेरणा से दिखलाई गई ।संस्थापक अध्यक्ष रेखा जैन ने कहा यह एक कहानी है जो परिवारिक रिश्तों और पीढ़ियों के बीच के अंतर (जनरेशन गैप) को दर्शाती है। इसकी खास बात यह है कि यह हल्के-फुल्के अंदाज में पारिवारिक संबंधों की जटिलताओं, पीढ़ियों के अलग-अलग दृष्टिकोणों, और जीवन की बदलती सोच को सामने लाती है।
सरोज कोठारी, निर्मला वोहरा,कौशल्या जैन,मंजू घोडावत ने कहा यह शो बताता है कि हर पीढ़ी की सोच, आदतें, और मूल्य अलग होते हैं, लेकिन इन मतभेदों को समझने और स्वीकारने से परिवार में सौहार्द बना रह सकता है। पुराने विचारों और नई सोच के बीच सामंजस्य बनाकर एक मजबूत परिवार का निर्माण किया जा सकता है। यह संदेश देता है कि हर पीढ़ी को एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और सम्मान देने की आवश्यकता है।
कामिनी जैन, अंशु दलाल,निधी जैन,सुनीता गांधी,मंजू संचेती,मोनिका करनावट,वंदना भंसाली ,ऋतु जैन,पुष्पा गुगलिया,सुशीला महाजन,शुभेच्छा झेलावत, एकता जैन,संध्या सियाल ने फ़िल्म की कहानी देखकर कहा कि दादा-दादी और पोती के बीच संबंध प्यार और सीख से भरे होते हैं। शो यह संदेश देता है कि बुजुर्ग अपने अनुभवों से नई पीढ़ी को मार्गदर्शन दे सकते हैं, वहीं नई पीढ़ी तकनीक और नई सोच के साथ उनके जीवन को आसान बना सकती है। यह आपसी समझ और सहयोग को दर्शाता है।
एकता जैन,अलका मारू,प्रभा गांधी,छाया बोरा,नीलू जैन,संगीता पोखरना,बेला कोठारी,रेखा नानावटी,सीमा बोरदिया,सुनीता जैन,इंद्रा बडेरा,ने कहा इस फ़िल्म से माता-पिता को यह सीख मिलती है कि बच्चों की परवरिश में धैर्य, समझ और संवाद बहुत जरूरी हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि हर पीढ़ी की सोच अलग हो सकती है, लेकिन बच्चों के साथ संवाद और खुलेपन से एक स्वस्थ और सकारात्मक संबंध स्थापित किया जा सकता है। मंजू धारीवाल,अमिता जैन,मंजू छिंगावत,पदमा छिपानी,सरोज भटेरा,संध्या सियाल,कुसुम लुणिया,सविता आच्छा ने कहा यह कहानी यह भी सिखाती है कि माता-पिता को अपने बच्चों के निर्णयों और जीवनशैली का सम्मान करना चाहिए, भले ही वह उनके खुद के मूल्यों से अलग हो।
फ़िल्म देखने आये पाँच सौ लोगों ने निष्कर्ष बतलाया कि “बिन्नी और फैमिली” यह दर्शाता है कि आपसी सम्मान, संवाद, और समझ ही परिवार की नींव को मजबूत बनाते हैं, चाहे जनरेशन गैप कितना भी बड़ा क्यों न हो।इसलिए अवसर मिले तो प्रत्येक परिवार की तीनों पीढ़ियों को यह फ़िल्म देखना चाहिए ।