सात सालों के अंतराल के बाद बहुप्रतीक्षित हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) के लिए वेदांता लिमिटेड ने आज अपनी टीम कलिंगा लांसर्स के खिलाड़ियों का आधिकारिक परिचय दिया। इससे पहले एचआईएल के लिए हुई खिलाड़ियों की नीलामी में वेदांता ने दबदबे के साथ प्रदर्शन किया और इस तरह कंपनी ने कामयाबी के साथ एक दुर्जेय टीम का गठन कर लिया है। कलिंगा लांसर्स में उभरती प्रतिभाओं और अनुभवी खिलाड़ियों का सामंजस्य है जिसके चलते यह टीम आगामी टूर्नामेंट की एक मजबूत दावेदार बन गई है।
नीलामी के दौरान कंपनी की रणनीति का परिणाम यह हुआ कि एक बहुत उम्दा टीम गठित हो गई। इस टीम में एक ओर ऐरन ज़ालेव्स्की, अलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स और थिएरी ब्रिंकमैन जैसे जानेमाने खिलाड़ी हैं तो दूसरी ओर रोशन कुजुर और मुकेश टोप्पो जैसे उभरते युवा भारतीय सितारे हैं; इस तरह सभी पोज़िशनों पर टीम की ताकत में इजाफा हुआ है। टीम में अनुभवी खिलाड़ियों और युवा खिलाड़ियों की ऊर्जा का संतुलन कलिंगा लांसर्स को इस साल की एचआईएल में सबसे प्रतिस्पर्धी टीमों में से एक बनाता है।
कलिंगा लांसर्स का पूरा दस्ताः
डिफेंडरः संजय (रु. 38 लाख), मनदीप मोर (रु. 19 लाख), अलेक्ज़ेंडर हेंड्रिक्स (रु. 23 लाख), आर्थर वैन डोरेन (रु. 32 लाख), एंटोईने किना (रु. 16 लाख), प्रताप लाकड़ा (रु. 2 लाख), सुशील धनवार (रु. 2 लाख), रोहित कुल्लू (रु. 2 लाख)
मिडफील्डरः ऐरन ज़ालेव्स्की (रु. 27 लाख), मोरिऐंगथेम रबिचंद्रा (रु. 32 लाख), ऐनरिक गोंज़ालेज़ (रु. 10 लाख), मुकेश टोप्पो (रु. 5 लाख), रोशन कुजुर (रु. 12.5 लाख), निकोलस बांडुरक (रु. 5 लाख)
फॉरवर्डः बॉबी सिंह धामी (रु. 20 लाख), दिलप्रीत सिंह (रु. 34 लाख), थिएरी ब्रिंकमैन (रु. 38 लाख), अंगद बीर सिंह (रु. 26 लाख), रोशन मिंज़ (रु. 2 लाख), गुरसाहिबजीत सिंह (रु. 6 लाख), दीपक प्रधान (रु. 2 लाख)
गोलकीपरः कृष्ण पाठक (रु. 32 लाख), टोबियस रेनोल्ड्स-कॉटेरिल (रु. 2 लाख), साहिल कुमार नायक (रु. 2 लाख)
कलिंगा लांसर्स की टीम में 24 खिलाड़ी शामिल हैं, जिनमें 8 विदेशी खिलाड़ी हैं जिनकी शेष राशि रु. 10.5 लाख है।
वेदांता यह सुनिश्चित करेगी कि कलिंगा लांसर्स को आला दर्जे का इंफ्रास्ट्रक्चर, उन्नत प्रशिक्षण सुविधाएं और विश्व स्तरीय सपोर्ट स्टाफ का लाभ मिले; जिनका लक्ष्य पूरे सीज़न के दौरान खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में मदद पहुंचाना है। यह टीम उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह सुसज्जित है। इस टूर्नामेंट में विजय प्राप्त करने के लिए जो संसाधन और सहयोग चाहिए वह सब टीम के लिए उपलब्ध हैं।
इस नवगठित टीम के बारे में वेदांता एल्यूमिनियम के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुनील गुप्ता ने कहा, ’’भारत की खेल संस्कृति में हॉकी की जड़ें बहुत गहरी हैं और कलिंगा लांसर्स के माध्यम से इस खेल की वृद्धि में योगदान करने पर हमें गर्व है। एक टीम का स्वामित्व होना और नई पीढ़ी को प्रेरित करते हुए खेल को मजबूती प्रदान करना हमारे लिए सम्मान की बात है। हॉकी के अलावा भी वेदांता जमीनी स्तर पर विविध खेलों को सहयोग देने के लिए समर्पित है जिनमें तीरंदाजी, कराटे व फुटबॉल शामिल हैं। यह दर्शाता है कि हम देश भर में सर्वांगीण प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए समर्पित हैं।’’
रणनीति निदेशक डेविड जॉन ने अपना उत्साह साझा करते हुए कहा, ’’हमने एक ऐसी टीम निर्मित की है जो न सिर्फ प्रतिभाशाली है बल्कि सफलता हेतु प्रतिबद्ध भी है। हमारी रणनीति अनुशासन और तीव्र गति के खेल पर बल देगी ताकि स्कोरिंग की अधिकतम संभावनाएं बन सकें। असाधारण प्रशिक्षण परिवेश व इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ हमारे पास हमारे सपोर्ट स्टाफ की विशेषज्ञता है, ऐसे में मुझे यकीन है कि हमारी टीम हर चुनौती को दमदार टक्कर देगी। हमारा लक्ष्य है बेहतरीन हॉकी का प्रदर्शन करना और इस साल के एचआईएल में अपनी एक दमदार पहचान छोड़ना।’’
वेदांता द्वारा कलिंगा लांसर्स का अधिग्रहण केवल खेल उत्कृष्टता के बारे में नहीं है बल्कि यह ओडिशा में कंपनी के व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास प्रयासों का भी हिस्सा है। कलिंगा लांसर्स में निवेश कर के वेदांता का लक्ष्य है हॉकी संस्कृति को मजबूती देना, स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देना और खेलों के प्रोत्साहन हेतु समुदायों को अपने साथ जोड़ना।
ओडिशा में वेदांता की उपस्थिति बहुत व्यापक है, कंपनी झारसुगुडा में भारत का सबसे बड़ा एल्युमिनियम प्लांट (1.8 एमटीपीए) चला रही है और कालाहांडी में एक अत्याधुनिक एल्यूमिना रिफाइनरी (3.5 एमटीपीए) भी है। वेदांता एल्युमिनियम ने राज्य में 1,00,000 से अधिक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा की हैं, इससे भारत के औद्योगिक परिदृश्य में ओडिशा की स्थिति और अधिक पुख्ता हुई है।
इसके अतिरिक्त, कोयला, बॉक्साइट, फेरोक्रोम व आयरन ओर में निवेश के जरिए वेदांता ’मेक इन इंडिया’ के ध्येय को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। काबिले गौर है कि कंपनी भारत के सकल एल्युमिनियम उत्पादन में 50 प्रतिशत का योगदान देती है और आयात पर देश की निर्भरता को कम कर रही है।