स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
बाल विवाह ( Child Marriage ) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा-बाल विवाह रोकने के लिए हमें अवेयरनेस की जरूरत है, सिर्फ सजा के प्रावधान से कुछ नहीं होगा।
Child Marriage पर सीजेआई ने की टिप्पणी
सीजेआई ने कहा-हमने बाल विवाह ( Child Marriage ) की रोकथाम पर बने कानून (पीसीएमए) के उद्देश्य को देखा और समझा। इसके अंदर बिना किसी नुकसान के सजा देने का प्रावधान है, जो अप्रभावी साबित हुआ। हमें जरूरत है अवेयरनेस कैंपेनिंग की। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलेंटरी एक्शन ने 2017 में लगाई थी। एनजीओ का आरोप था कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को शब्दश: लागू नहीं किया जा रहा है।
कोर्ट ने जागरुकता अभियान पर उठाए सवाल
इसके पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण जैसे विशिष्ट कार्यक्रमों पर सवाल उठाते हुए कहा था – ये कार्यक्रम और व्याख्यान वास्तव में जमीनी स्तर पर चीजों को नहीं बदलते हैं। हम यहां किसी की आलोचना करने के लिए नहीं हैं। यह एक सामाजिक मुद्दा है। सरकार इस पर क्या कर रही है।