स्वतंत्र समय, इंदौर
शहर के पाश एरिया रेसीडेंसी क्षेत्र में स्थित लगभग 205 साल पुरानी रेसीडेंसी कोठी का शीघ्र नामकरण होने जा रहा है। शुक्रवार को मेयर इन काउंसिल की बैठक ( MIC Meeting ) में निर्णय लिया गया है कि की रेसीडेंसी कोठी का नाम शिवाजी वाटिका कोठी रहेगा।
MIC Meeting में गड्ढों का मामला भी चर्चा में रहा
मेयर इन काउंसिल की बैठक ( MIC Meeting ) में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के कारण शहर में जगह-जगह हो रहे गड्ढों को लेकर मामला काफी देर चर्चा में रहा। ब्रिज व फ्लायओव्हर के नीचे हॉकर्स झोन व स्पोर्टस एक्टिविटी की स्वीकृति दी गईं है। बैठक में 1500 करोड़ से अधिक के विकास कार्यो की स्वीकृति प्रदान की गईं। महापौर पुष्य मित्र भार्गव की अध्यक्षता में हुई एमआईसी की बैठक में शहर से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा कर निर्णय लिए गए है। बैठक में बैठक में आयुक्त शिवम वर्मा, महापौर परिषद सदस्य, राजेन्द्र राठौर, निरंजनसिंह चौहान, अश्विन शुक्ल, जीतु यादव, नंदकिशोर पहाडिया, राकेश जैन, राजेश उदावत, अभिषेक शर्मा, मनीष शर्मा मामा, समस्त अपर आयुक्त, समस्त विभाग प्रमुख व अन्य उपस्थित थे।
रेसीडेंसी कोठी का होगा नामकरण
लगभग 205 साल पुरानी रेसीडेंसी कोठी का जल्द ही नामकरण होने जा रहा है। एमआईसी की बैठक में निर्णय लिया गया है की रेसीडेंसी कोठी का नया नाम शिवाजी वाटिका रहेगा। नामकरण की प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएंगी। इस नाम को लेकर लगभग आधे घंटे तक सदस्यों और अफसरों के बीच चर्चा होती रही।
बाद में सभी की सहमति से रेसीडेंसी का नाम शिवाजी वाटिका रखने का फैसला किया गया है।
ईस्ट इंडिया कंपनी की सीट थी कोठी
1820 के दशक में बनी रेसीडेेंंसी कोठी ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश शासन के रसिडेंट की सीट थी। बाद में यह सेंट्रल इंडिया के लिए गवर्नर जनरल के एजेंट की सीट बन गई। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों ने कोठी को उड़ाने की योजना भी बनाई थी, क्योंकि यह ब्रिटिश सरकार की गतिविधियों का केंद्र था। फिलहाल यह इमारत इंदौर का सरकारी गेस्ट हाउस है, जिसमें सरकारी अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठकें होती हैं। बताया गया है की 205 साल पुरानी रेसीडेंसी कोठी पर 1970 से 2003 तक यहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री आते रहे हैं।
एमआईसी सदस्य बोले- गड्ढों से पूरा शहर परेशान
स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के कारण शहर में जगह-जगह हो रहे गढ्डों को लेकर मामला काफी देर चर्चा में रहा। एमअईसी सदस्य जीतू यादव बोले कि शहर में दो बड़ी समस्याओं से लोग परेशान है। एक तो शहर के कई हिस्सों में सडक़े खुदी पड़ी है और दूसरा जगह जगह बड़े बड़े गड्ढ़ों ने परेशान है। लोग को नहीं पता रहता कि किसी विभाग ने गड्ढे खोदे है। वे नगर निगम को जानते है। निगम के विभागों में तालमेल नहीं है। नर्मदा पाइप का रिसाव खोजने के लिए जगह-जगह गड्ढे खोद दिए जाते है और फिर उन्हें समय पर नहीं भरा जाता। इससे ट्रैफिक भी प्रभावित हो रहा है। गड्ढों का प्राथमिकता से भरा जाना चाहिए। इस पर महापौर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा की हम एक एजेंसी तय कर देते है, तत्काल सडक़ों के गड्ढे भरे। इससे राहत मिलेगी। बैठक में महापौर परिषद सदस्य मनीष शर्मा ने कहा कि बैनर, पोस्टर हटाने में भेदभाव नहीं होना चाहिए। कुछ लोगों के बैनर, पोस्टर नहीं हटते, तो कुछ के लगाते ही हटा दिए जाते है। बैठक में कुछ इलाकों के नक्शे मंजूर नहीं होने का मुद्दा भी उठा।
500 करोड़ के काम होंगे 29 गांवों में
मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने बताया कि नगर निगम में शामिल शहर के 29 गांवों के कई इलाकों में सीवरेज लाइन नहीं बिछाई गई है। इसके अलावा नर्मदा लाइन भी नहीं है। उन इलाकों में 500 करोड़ रुपए के काम इस साल शुरू होंगे। इसके अलावा शहर के चार मल्टी लेवल पार्किंग की छतों पर बच्चों के लिए झूले-चक्करी और फूड जोन बनाए जाएंगे। भार्गव ने बताया कि नगर निगम का नया पोर्टल भी सप्ताह भर में शुरू होने जा रहा है।
इन पर हुए निर्णय…
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इंदौर शहर के टंटया भील भंवरकुंआ चौराहा, फुटीकोठी सेवालाल महाराज सेतु खजराना चौराहा व केसरबाग फलायओव्हर के नीचे हॉकर्स झोन, स्पोर्टस एक्टिविटी आदि विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
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निगम द्वारा संचालित रीजनल पार्क में पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशीप पीपीपी मॉडल पर एम्युमेंट पार्क का विकास व पार्क का नवीनीकरण किया जाएगा।
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इसी प्रकार प्राणी संग्रहालय में पीपीप मॉउल आधार पर 14 डी सिनेमा थ्रियेटर व वर्चुअल जंगल सफारी का निर्माण व 15 वर्ष संचालन संधारण के कार्य की निविदा की स्वीकृति प्रदान की गई।
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शहर के समस्त वार्डो में चार पैकेज के माध्यम से सीवर लाईन व चेम्बर सफाई के लिये आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
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शहर में होर्डिग्स व ठेले के लिये बनेगा जीरो टॉरेंस झोन । ठ्ठ शहर की 5 प्रमुख सडको को ठैला मुक्त किया जाएगा।
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शहर में प्रमुख स्थानो व बाजारो को विद्युत तारो के जाल से मुक्त करने की स्वीकृति दी गई है।
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इंदौर शहर के चिहिंत स्थानो पर जनसुविधा हेतु फुटओव्हर ब्रिज का निर्माण किया जाएगा।