स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर में लोकायुक्त की टीम ने जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) शीला मरावी को 1 लाख रुपए की रिश्वत ( Bribe ) लेते रंगेहाथ पकड़ा है। उन्होंने एक स्कूल संचालक से उनके दो स्कूलों की मान्यता रद्द करने की धमकी देकर 10 लाख रुपए की मांग की थी। लोकायुक्त एसपी राजेश सहाय ने बताया कि दिलीप बुधानी निवासी ट्रेजर टॉउन बिजलपुर ने इसकी शिकायत थी। इसमें बताया कि वे एमपी पब्लिक स्कूल अशोक नगर और एमपी किड्स स्कूल अंजली नगर के संचालक हैं। दोनों ही स्कूल शासन से मान्यता प्राप्त हैं। इसमें वर्ष 2019-20 से 23-24 तक मान्यता के साथ स्टूडेंट्स को 5वीं और 8वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल कराया गया था।
स्कूल की जांच नहीं कराने के नाम पर मांगी Bribe
आरोप है कि आरटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा ने जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र इंदौर से सूचना के अधिकार तहत दोनों स्कूलों के छात्र/छात्राओं की 5वीं और 8वीं की परीक्षा में शामिल होने के संबंध में जानकारी मांगी थी। वह स्कूल संचालक दिलीप बुधानी को ब्लैकमेल कर रहा था कि दोनों स्कूलों की मान्यता समाप्त करा देगा। इस पर जिला परियोजना समन्वयक शीला मरावी जांच नहीं कराने और आगे भी आरटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा कोई शिकायत नहीं करेगा, ऐसा लिखवाकर देने के एवज में 10 लाख रुपए की रिश्वत ( Bribe ) मांग रही थी। बाद में ये 4 लाख रुपए तय हुआ था। इसकी पहली किस्त एक लाख रुपए शुक्रवार को दी गई थी। तभी लोकायुक्त की टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
ऑफिस की पार्किंग में ली रिश्वत की रकम
शुक्रवार शाम को दिलीप बुधानी रिश्वत की 1 लाख रुपए की पहली किस्त लेकर शीला मेरावी के राजेंद्र नगर ब्रिज के पास स्थित कार्यालय पहुंचे थे। उन्होंने मेरावी को ऑफिस के पार्किंग एरिया में एक लाख रुपए दिए। जिसे मेरावी ने अपने वाहन में रख लिए। इसी दौरान वहां पहले से मौजूद लोकायुक्त टीम ने उन्हें पकड़ लिया। शीला मरावी के खिलाफ धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 के तहत केस दर्ज किया गया है।
रेवेन्यू इंस्पेक्टर भी 40 हजार रु. की रिश्वत लेते पकड़ाया
लोकायुक्त ने एक अन्य मामले में इंदौर के देपालपुर के रेवेन्यू इंस्पेक्टर नरेश बिवलाकर को 40 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा है। उनके खिलाफ उजालिया के भगवान कुमावत ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनके व अन्य के नाम पर 0.437 हेक्टेयर जमीन है। इस पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। इसका तहसीलदार कोर्ट देपालपुर ने केस चल रहा था। 26 सितंबर 2024 को कोर्ट ने फैसला देकर कब्जा हटाने का आदेश जारी किया। आदेश का पालन रेवेन्यू इंस्पेक्टर नरेश बिवलाकर और पटवारी को कराना था। इसके ऐवज में रेवेन्यू इंस्पेक्टर नरेश बिवलाकर ने 1.5 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। पहली किस्त 70 हजार रुपए पहले ही लिए जा चुके हैं। दूसरी किस्त 80 हजार रुपए की मांग की जा रही थी। शुक्रवार को भगवान कुमावत ने रेवेन्यू इंस्पेक्टर जैसे ही 40 हजार रुपए दिए लोकायुक्त टीम ने गिरफ्तार कर लिया। निवालकर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया है।