व्यापमं की तर्ज पर AYUSH घोटाला, कॉलेजों में 1292 अपात्रों को प्रवेश

स्वतंत्र समय, भोपाल

व्यापमं घोटाले की तर्ज पर प्रदेश में आयुष ( AYUSH ) कॉलेजों में अपात्र छात्रों को एडमिशन देने का मामला सामने आया है। इस घोटाले की जांच भी हुई और रिपोर्ट भी सबमिट हुई। इसमें 7 अधिकारी अपात्र छात्रों को बैकडोर एंट्री देने के मामले में दोषी भी पाए गए। इसके बावजूद विभाग ने सिर्फ डॉ. शोभना शुक्ला व एक अन्य पर कार्रवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

AYUSH संचालनालय ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई

इस मामले की शिकायत 2020 में हुई थी और 2021 में आयुष ( AYUSH ) संचालनालय ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। कमेटी ने रिपोर्ट 2023 में सबमिट की। इसके बाद 2 लोगों पर कार्रवाई हुई, वहीं 5 पर कोई एक्शन नहीं हुआ। लीपापोती के लिए अगस्त 2024 में विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए। इन अधिकारियों पर आरोप है कि नियम विरुद्ध प्रवेश सूची का सत्यापन किया और विश्वविद्यालय को भेजा, जिससे बड़ी संख्या में अपात्र छात्रों को आयुष कॉलेजों में प्रवेश मिल गया। जांच कमेटी की पड़ताल में पता चला कि आयुष संचालनालय और मेडिकल विवि के अधिकारियों की मिलीभगत से 2016 से 2018 तक आयुष कॉलेजों में 1292 अपात्र छात्रों को एडमिशन दिए गए। 2016 और 2017 में निजी आयुष कॉलेज एमपी ऑनलाइन की काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए थे। फिर भी उन्होंने अवैध तरीके से 1120 छात्रों को प्रवेश दे दिया।

काउंसिलिंग की सूची मिलान करके भेजी थी

आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से काउंसिलिंग की सूची भेजी गई थी। कक्ष प्रभारियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन काउंसिलिंग की सूची मिलान करके समिति के पास भेज दी थी। समिति के अप्रुवल के बाद तत्कालीन आयुष मंत्री की नोटशीट पर की गई सिफारिश के आधार पर आयुक्तों ने एडमिशन की सूची पर अंतिम हस्ताक्षर किए थे। इस मामले में वंदना बोराना पिछले 10 वर्षो से जूनियर होकर भी संचालनालय में पदस्थ हैं। घोटाले के बाद भी इनके पास स्थापना जैसी महत्वपूर्ण शाखा तथा प्राइवेट कॉलेज का प्रभार भी इनके पास है। जबकि अन्य सभी आरोपी अफसर मुख्यालय से बाहर हैं।

इनके विरुद्ध नहीं की कार्रवाई

जांच के बाद डॉ. शोभना शुक्ला प्रोफेसर भोपाल, डॉ. वंदना बोराना, सहायक संचालक, डॉ. एसए नईम ओएसडी संचालनालय, डॉ. एसपी वर्मा संभागीय प्रभारी, डॉ. नीतू कुशवाह प्रोफेसर, डॉ. अंतिम नलवाया जिला आयुष अधिकारी, भोपाल तथा डॉ. प्रवीण जायसवाल के खिलाफ कार्रवाई करने लिखा गया, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।