कुक्षी: पति को अपनी किडनी देकर जीवन बचाने वाली पत्नी की यह पहली करवा चौथ है, जिसे वह दोनों के नए जीवन में उत्साह से मनाएंगी। राधा डावर और पति मंगल डावर, दोनों ही सरकारी नौकरी में हैं और कुक्षी तथा डही नगर परिषद में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
घटना को याद करते हुए, किडनी की बीमारी से ग्रसित मंगल डावर भावुक हो जाते हैं। वे मूलतः डही के कलमानी के निवासी हैं और वर्तमान में कुक्षी की अभिनंदन कालोनी में अपने दोनों बच्चों के साथ रहते हैं। उम्र में दो साल बड़ी पत्नी राधा डावर के प्रति मंगल का कहना है, “उसी की देन है मेरी यह जिंदगी।”
बीमारी और ट्रांसप्लांट
वर्ष 2022 में मंगल को किडनी की बीमारी हुई, जो सीकेडी (क्रोनिक किडनी डिजीज) के रूप में विकसित हुई। इंदौर के डॉ. शिवशंकर शर्मा से इलाज शुरू हुआ, लेकिन स्थिति डायलिसिस तक पहुँच गई। रक्त की मात्रा कम होने पर डॉक्टर ने सलाह दी कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है। राधा ने सहर्ष अपनी एक किडनी देने की स्वीकृति दी, भले ही उनके भाई और बड़ी बहन ने इसका विरोध किया। लेकिन पति और पत्नी के धर्म ने उन्हें विचलित नहीं होने दिया।
भावुक क्षण
ट्रांसप्लांट की तारीख पर राधा और मंगल के इकलौते पुत्र प्रखर डावर का जन्मदिन भी था। ऑपरेशन के पहले, दोनों ने अपने बेटे को आशीर्वाद दिया और उसे कुछ पैसे दिए ताकि वह अपना जन्मदिन मना सके। यह परिवार के लिए एक भावुक क्षण था जब दोनों एक साथ ऑपरेशन थियेटर में जाने के लिए तैयार हुए।
दोस्ती का महत्व
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद, मंगल और राधा का स्वास्थ्य तेजी से ठीक होने लगा। दोनों अब अपनी ड्यूटी पर लौट आए हैं। मंगल ने कहा कि पत्नी के बाद, उनका सबसे करीबी मित्र कृषि उपज मंडी कर्मचारी कमल डावर है, जिसने उनकी बीमारी के दौरान हर संभव सहायता की।
पत्नी राधा डावर का दृष्टिकोण
राधा ने कहा, “पति के बिना पत्नी की जिंदगी अधूरी है। मेरा पहला धर्म और कर्तव्य है पति पर आए संकट को साझा करना और संकट में उन्हें बचाना। मैंने वही किया जो एक पतिव्रता नारी करती है। हमारे दो बच्चे हैं, उन्हें भी पिता की जरूरत है।”
इस प्रकार, यह कहानी एक पत्नी की प्रेम, समर्पण और बलिदान की मिसाल पेश करती है, जो न केवल अपने पति की जान बचाती है, बल्कि उनके परिवार की एकता को भी बनाए रखती है।