इंदौर: डायरी पर प्लॉट बेचना अपराध है। टीएंडसीपी की परमिशन और नक्शा स्वीकृत होने से पहले प्लॉट की बिक्री करना भी अवैध है। ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान है, लेकिन जमीन के जादूगर भूमाफिया कानून को ठेंगा दिखाकर सारे काम अवैध तरीके से कर रहे हैं। जमीन की धोखाधड़ी से जुड़ा इसी तरह का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसकी शिकायत इंदौर पुलिस और क्लेक्टर के साथ ही गृह मंत्रालय तक पहुंच गई है। इसके बावजूद जांच और कार्यवाही करने वाले अधिकारी खामोश हैं। मामला खंडवा रोड के ग्राम दतोदा में बनाई जा रही कॉलोनी “द्वारिका बाय त्रिशा इंटरप्राइजेस” से जुड़ा है। जिसमें बिल्डर पर डायरी पर प्लॉट बेचने, रजिस्ट्री नहीं करवाने, जांच से मारने की धमकी देने और सोने का ब्रेसलेट लूट लेने का आरोप लगाया गया है। इधर मामला इंदौर के प्रशासनिक अधिकारियों और रेरा कोर्ट, भोपाल तक भी जा पहुंचा है और फरियादी खुद की जान को खतरा होने की बात कर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।
डायरी पर बेचे लगभग 55 प्लॉट, रजिस्ट्री के समय टालमटोल
शिकायतकर्ता हिमांशु ने बताया कि कि खंडवा रोड क्षेत्र में ग्राम दतोदा में त्रिशा इंटरप्राइजेस के संचालकों चार्टर्ड अकाउंटेंट अनिमेश अग्रवाल, रवि गर्ग, उत्कर्ष गर्ग द्वारा “द्वारिका” नामक कॉलोनी काटी जा रही है। मई 2023 से दिसंबर 2023 तक मैं उसी कंपनी में मैनेजर के रूप में कार्य करता था। इसी दौरान संचालकों ने मुझसे कहा कि कॉलोनी की सभी अनुमतियां मिल गई हैं और जल्द ही क्रेताओं को कब्जा भी दे दिया जाएगा। अभी कॉलोनी की बिक्री शुरू हो रही है, इसलिए सस्ते प्लॉट दिए जाएंगे। कुछ ही दिनों में दाम बढ़ जाएंगे। जो लेगा, उसका फायदा होना तय है क्योंकि कॉलोनी के विकास के साथ ही दाम भी बढ़ेंगे। अगर तुम अपने जानकारों को प्लॉट दिलवाओगे तो खरीदार का फायदा होगा और तुम्हारी नौकरी भी सुरक्षित रहेगी। इस तरह उन्होंने धोखे में रखकर 55 से ज्यादा प्लॉट डायरी बेच दिए।
बगैर रेरा और टीएंडसीपी के ही डायरी पर बेचे प्लॉट
हिमांशु ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि त्रिशा इंटरप्राइजेस के संचालकों ने बगैर टीएंडसीपी अप्रूवल और रेरा परमिशन के खेती की जमीन को नक़्शे पर प्लॉट बताकर बेच डाला। प्लॉटों के सौदे डायरी पर लिखे गए। अधिकतर खरीदारों का पैसा कैश लिया गया, जो कि अवैध है। डायरी पर एक लाख को एक हजार रुपए लिखा जाता था, ताकि किसी के पास पैसा वापस मांगने का मजबूत आधार नहीं हो। अप्रैल – मई 2023 से ही डायरी पर प्लॉट बेचना शुरू कर दिए गए थे, जबकि टीएंडसीपी की अनुमति 14 जुलाई 2023 को मिली थी और रेरा की परमिशन 9 मई 2024 को मिली।
एग्रीमेंट भी झूठा, लेटरहेड पर कर दी लीपापोती
शिकायतकर्ता ने कहा कि मैंने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को प्लॉट दिलवाकर कंपनी का फायदा करवाया, लेकिन बिल्डर अग्रवाल और गर्ग ने सभी को धोखा दिया। कंपनी ने एक प्लॉट के लिए डायरी पर करीब 6.5 लाख रुपए लिए और रजिस्ट्री भी नहीं करवाई। खरीदारों ने पूरा पेमेंट कर दिया और 2024 में जब रजिस्ट्री के लिए कहा तो बिल्डर आनाकानी करने लगा। पहले कंपनी के लेटरहेड पर ही एग्रीमेंट बनाकर लीपापोती कर दी जबकि कानूनन यह उचित स्टाम्प पर बनाया जाना चाहिए। यही नहीं रजिस्ट्री करवाने की बजाय वे टालमटोल करने लगे। आज तक किसी भी खरीदार को उन्होंने कब्जा नहीं दिया।
पहले खुद के चार्टर्ड अकाउंटेंट होने की धौंस, बाद में जान से मारने की कोशिश
कंपनी की ओर से रिश्तेदारों को प्लॉट दिलवाने वाले फरियादी हिमांशु का कहना है कि पूर्व में जब उसने डायरी पर प्लॉट बेचने से इनकार किया तो बिल्डर अग्रवाल ने कहा कि “मैं खुद चार्टर्ड अकाउंटेंट हूं और नियम, कायदे, हिसाब – किताब अच्छी तरह जानता हूं। मैं रेरा की ओर से केस लड़ता हूं और कई विभागों में मेरी ऊपर तक सेटिंग है। तुम दस्तावेजों के चक्कर में मत पड़ो। खुश रहोगे और नौकरी भी सुरक्षित रहेगी।” इस तरह धौंस दिखाकर अनिमेश अग्रवाल ने डायरी पर प्लॉटों की बिक्री की। मैंने नीलम मैनी, अंशिता मैनी, राजकुमार मैनी, निशा कपूर, दिव्या छाबड़ा, मोनिका मनवानी व कुछ अन्य जानकारों को प्लॉट दिलवा दिए। बाद में जब मैंने रजिस्ट्री करवाने का कहा तो उन्होंने नहीं करवाई। मैंने थाने में शिकायत की साथ ही अन्य ग्राहकों ने रेरा में शिकायत की तो बिल्डर्स ने मुझे जान से मारने की कोशिश की।
गवाही नहीं देने का दबाव बनाया, मारपीट कर ब्रेसलेट छीना
शिकायतकर्ता हिमांशु ने कहा कि बिल्डरों ने मुझ पर दबाव बनाया कि मैं रेरा में गवाही न दूं। लेकिन मैं नहीं माना। उन्होंने 10 अक्टूबर 2024 को मेरे भाई के माध्यम से मुझे खबर भिजवाई कि रात 8 बजे स्कीम 140 के ऑफिस पर मिलकर चर्चा करते हैं और मामला खत्म करते हैं। मैं आनंद वन फेस 2 पहुंचा तो अनिमेश अग्रवाल, रवि गर्ग, उत्कर्ष और सौरभ वर्मा ने मेरे साथ मार- पिटाई शुरू कर दी। मेरा करीब डेढ़ लाख रुपए की कीमत का सोने का ब्रेसलेट भी छीन लिया और मुझे जान से मारने की धमकी दी। सौरभ ने चाकू निकाल लिया और उत्कर्ष ने मुझ पर पिस्टल तान दी। वो मुझे मारते इससे पहले मैं उन्हें धक्का देकर जान बचाकर भाग निकला।
दर्जनभर शिकायत, फिर भी कोई कार्यवाही नहीं
धोखा देकर जिन लोगों को प्लॉट बेचे गए, वो अब रजिस्ट्री के लिए दर – दर भटक रहे हैं लेकिन कहीं से भी मदद नहीं मिल रही। प्रशासन धोखेबाज भू माफियाओं पर सख्त कार्यवाही का दावा करता है लेकिन इस मामले में सब खामोश है। प्लॉट खरीदने के नाम पर पैसा देने वाले लोग एसडीएम स्तर पर अलग – अलग शिकायत कर चुके हैं। फरियादी, पुलिस से लेकर गृह मंत्रालय और सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत कर चुके हैं लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। 10 अक्टूबर 2024 की रात हुई मारपीट की घटना के बाद भी जब फरियादी पुलिस थाने पहुंचे, तो एफआईआर दर्ज नहीं करते हुए एनसीआर बनाकर थमा दी गई और केस करने को कहा गया।
6.5 लाख के प्लॉट 15 लाख रुपए के हुए तो बेईमानी पर उतर आए
गौरतलब है कि इंदौर में जमीनों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं और इसी कारण कई बिल्डर पुराने सौदे कैंसल कर नए सौदे कर लेते हैं। शिकायतकर्ता हिमांशु ने बताया कि प्लॉट बेचने के नाम पर अनिमेश अग्रवाल और उसके पार्टनर्स ने खरीदार से 6.5 लाख रूपए प्रति प्लॉट में सौदा किया था। लगभग सभी खरीदारों से 4 से 6 महीने में पूरा पैसा ले लिया गया। परमिशन नहीं होने के कारण पहले रजिस्ट्री नहीं करवाई और अब परमिशन मिलने के बाद एक प्लॉट की कीमत करीब 15 लाख रुपए हो चुकी है। इसलिए वे रजिस्ट्री नहीं करवा रहे हैं।
पूरी राशि लेने के बाद भी बिल्डर नहीं करवा रहे रजिस्ट्री
निशा अंकित ने 2 जून 2023 को “द्वारिका बाय त्रिशा इंटरप्राइजेस” कॉलोनी में प्लॉट बुक किया था। 9 लाख 11 हजार में सौदा हुआ और बुकिंग के करीब एक वर्ष के भीतर उन्होंने पूरा पेमेंट दे दिया, लेकिन बिल्डर द्वारा रजिस्ट्री नहीं करवाई जा रही है। लगातार टालमटोल के बाद उन्होंने इसकी शिकायत प्रशासन को की है। नीलम राजकुमार मैनी ने जून 2023 में 7 लाख 15 हजार रुपए में प्लॉट बुक किया था। करीब एक वर्ष में 6 लाख 40 हजार रुपए दे चुकी हैं। लेकिन बिल्डर रजिस्ट्री करवाने को तैयार नहीं है। आनाकानी से परेशान होकर उन्होंने भी शिकायत की है। इसी तरह उनके अन्य पांच रिश्तेदारों ने भी प्लॉट बुक करवाए और लगभग पूरी राशि भी दे चुके हैं, लेकिन कॉलोनाइजर रजिस्ट्री करवाने की बजाय मनमानी पर उतर आए हैं।