हमारे देश की नागरिकता पाकर हमसे ही दगाबाजी, आतंकवादियों के आका बनने का ख्वाब भूल जाएं मुल्ला-काजी

मुक्त हुई धारा 370 की जंजीर…देश का मुकुटमणि है कश्मीर…जम्मू कश्मीर के चुनाव बाद आतंकी घटनाएं बढ़ रही है…सफल प्रजातांत्रिक देश को देखकर पाक की त्योरियां चढ़ रही है…पाक के नापाक इरादों को जांबाज सैनिक चकनाचूर कर रहे हैं…सीमा पर निगरानी करते सिपाही सतत टैंकों में बारूद भर रहे हैं…मौत का ताण्डव रचने आये लश्कर , तैयबा के आतंकवादी निपटाये जा रहे हैं…उनको प्रश्रय देने वाले मंसूबे दुनालियों से सलटाये जा रहे हैं…सारी घटनाओं के पीछे स्थानीय कौन है…सच जानने का माद्दा इसके पीछे मौन है…

हमारे देश की नागरिकता पाकर हमसे ही दगाबाजी…आतंकवादियों के आका बनने का ख्वाब भूल जाएं चंद मुल्ला – काजी…ये बारूदी जंग कभी अमन का पैगाम नहीं होती…गोली का जवाब गोली कभी मानवता का इल्जाम नहीं होती…तुम खून की होली खेलो और दुनालियों से मनाओ दिवाली…हम क्या तुम्हारा प्रतिकार न करते हुए बजाएं खड़े खड़े ताली…तुमको हम बख़्श दें ये हो नहीं सकता…

तुम्हारा तिलक लगाकर सत्कार करें ये हो नहीं सकता…ईंट का जवाब पत्थर से हम भी देंगे…फन फैलाये नागों का सर कुचल देंगे…केसर की क्यारियों में तुम बारूद बोकर ठीक नहीं कर रहे…भाईदूज पर हमारी बहनों के भाइयों को छीनकर तुम ठीक नहीं कर रहे…बर्फीली वादियों में ये सिसकती कराहती गर्म हवाएं…तुम बम के धमाके करो और हम शांति की मशाल जलाएं…खामोश उग्रवाद के जनक हत्यारों…अपने ज़मीर से पूछो और निर्दोषों को मत मारो…तुम जिसके इशारों पर अपनी मौत का सामान जुटा रहे हो…जिसकी चरण वन्दना में अपना जीवन , घर बार लूटा रहे हो…वो खुद भिखारी की तरह दुनिया के सामने कटोरा लेकर खड़ा है…उसका पूर्व पंथ प्रधान अपनी हुकूमत हासिल करने के लिए अपनों से ही लड़ा है…

हश्र वहां सदैव वजीर तक का बुरा हुआ , सत्ता सेना की दासी है…भुट्टो भुट्टे की तरह सीक गए फिर नसीब मिली फांसी है…हमारे यहां आतंक मचाने से पहले अपने गिरेबान में झांक लो…आटा तक खाने को नहीं मिल रहा थोड़ी रेती फांक लो…हमारी सेना ठान लेगी न तो घर में घुसकर धोएगी…नफरत की जंग में जीने वालों के सीने में गोली बोएगी…एक एयर स्ट्राइक से तबाही मच गई तुम्हारी आत्मा हमेशा रोएगी…अबकी घुसे हम घर में अगर तो आतंकियों की औलादें आंसुओं से आंखे भिगोएगी…तुम गुरिल्ला युद्ध कर रहे पीठ में छुरे घोंपकर…कुछ जेहादी तुमसे खेल रहे तुम्हें हथियार सौंपकर…उनका मकसद महज भारत में तबाही मचाना है…

मजहबी जुनून में फतवे जारी कर घर घर कुरान बचवाना है…वो चाहकर भी भारत को बरबाद नहीं कर सकते…खुद खाई खोद रहे खुद को आबाद नहीं कर सकते…अपनी ही कब्र खोदने वाले कफ़न के लिए तरसेंगे…चिथड़े चिथड़े उड़ जाएंगे बदन के इतने गोले बरसेंगे…शैतानियत से कभी इंसानियत की पूजा नही होती…मानव से नफरत करने वालों की कभी हौसलाफजाई नहीं होती…अपनी शक्ल देखो आईने में थरथर कांपकर मौत को निमंत्रित कर रहे हो…क्यों कसाई बनकर बद्दुआओं से झोली भर रहे हो…अपनी आंखों के सुरमा बनकर आंसुओं का अवसाद पा रहे हो…

धमाकों की धमक पैदा करके कोई तुम जन्नत में नहीं जा रहे हो…हिफाज़त मुल्क की करके जो वफ़ा का दीप जलाते हैं…उनको जन्नत में ले जाने हेतु ज़मीं पर खुद अल्लाह आते हैं…अपनी नेकी के इरादे से कत्ल की राह छोड़ो…भारत का अभिन्न अंग है कश्मीर इसको तोड़ो नहीं जोड़ो…