Jhansi Hospital Fire Incident: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में शुक्रवार रात एक दर्दनाक आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। घटना में 35 से अधिक बच्चों को बचाया गया, जबकि कुछ झुलसे बच्चों का इलाज जारी है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, आग का कारण ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। ऑक्सीजन-समृद्ध वातावरण के कारण आग तेजी से फैल गई, जिससे हालात और गंभीर हो गए
इस हादसे को लेकर अस्पताल की लापरवाही की आलोचना हो रही है। बताया गया कि दिन में भी एक शॉर्ट सर्किट हुआ था, जिसे गंभीरता से नहीं लिया गया। राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है
इस घटना का विवरण दिल दहला देने वाला है। अगर यह किसी अस्पताल, दुर्घटना, या अन्य हादसे से जुड़ी घटना है, तो यह न केवल पीड़ित परिवारों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी त्रासदी है। नवजात शिशुओं की असमय मृत्यु और इस तरह की घटनाओं से उपजी वेदना को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
राष्ट्रपति और प्रदेश सरकार की संवेदनाएं और आर्थिक सहायता सराहनीय हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों और आपदा प्रबंधन की अधिक आवश्यकता है। पीड़ित परिवारों को न केवल आर्थिक मदद, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहारे की भी आवश्यकता होगी। यह घटना सभी को आत्मविश्लेषण करने और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए कदम उठाने का एक अवसर प्रदान करती है।
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के निक्कू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) वॉर्ड में शुक्रवार की रात लगी आग एक हृदयविदारक घटना है। इस भयावह हादसे में 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई, जो बेहद दुखद और पीड़ादायक है। आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है, लेकिन इस तरह की घटनाएं अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की गंभीर कमी को उजागर करती हैं।
सेना द्वारा स्थिति को संभालना और बचाव कार्य शुरू करना सराहनीय है, लेकिन यह घटना भविष्य में बेहतर सुरक्षा मानकों और आपातकालीन व्यवस्थाओं की आवश्यकता पर जोर देती है। ऐसे हादसे न केवल प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम हो सकते हैं, बल्कि प्रभावित परिवारों के लिए जीवनभर का दर्द छोड़ जाते हैं।
प्रदेश सरकार और प्रशासन को न केवल इस हादसे की विस्तृत जांच कर दोषियों को सजा देनी चाहिए, बल्कि अस्पतालों में सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ मानसिक और सामाजिक सहारा भी प्रदान किया जाना चाहिए।
झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुए दर्दनाक हादसे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की त्वरित प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण और आवश्यक कदम है। उन्होंने घटना का संज्ञान लेते हुए राहत और बचाव कार्यों को प्राथमिकता देने और जिम्मेदार अधिकारियों को मौके पर भेजने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश, जैसे फायर ब्रिगेड की पर्याप्त गाड़ियों का प्रबंध, घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था, और 12 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट की मांग, इस बात का संकेत देते हैं कि सरकार इस मामले में पूरी गंभीरता से कार्रवाई कर रही है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य का घटनास्थल पर जाना, प्रशासनिक स्तर पर संवेदनशीलता और जवाबदेही को दर्शाता है।
यह घटना सुरक्षा मानकों की लापरवाही और अस्पतालों में आपात स्थितियों से निपटने के लिए तैयारियों की कमी पर सवाल उठाती है। उम्मीद है कि इस हादसे के बाद राज्य सरकार अस्पतालों में सुरक्षा और आपातकालीन प्रबंधन के लिए व्यापक सुधार लाएगी। वहीं, इस दुखद घटना में जान गंवाने वाले नवजातों के परिवारों को न्याय और सहायता प्रदान की जाएगी।