Ashwini Vaishnav: फेक न्यूज लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताई ये हैं चुनौतियां

Ashwini Vaishnav: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर कहा कि वर्तमान में हम चार प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इनमें फर्जी खबरें और गलत सूचनाएं, प्लेटफार्मों द्वारा उचित मुआवजा न मिलना, एल्गोरिदम का पूर्वाग्रह, और बौद्धिक संपदा पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव शामिल हैं। वैष्णव ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में यह बातें साझा की और बताया कि फर्जी खबरें आज लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे के रूप में उभरी हैं।

हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य समाज में प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है। इस दिन को लेकर वैष्णव ने कहा कि समाज में प्रेस की जिम्मेदारीपूर्ण और स्वतंत्र भूमिका का महत्व हमेशा से बहुत बड़ा रहा है।

फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं पर चिंता

वैष्णव ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि गलत सूचना फैलने का खतरा न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जागरूक नागरिक भी कभी-कभी फर्जी खबरों के शिकार हो जाते हैं। गलत जानकारी के चलते कई बार बड़े पैमाने पर प्रदर्शन, दंगे और विरोध-प्रदर्शन होते हैं, खासकर विकसित देशों में। यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब प्लेटफार्मों द्वारा इन फर्जी खबरों को नियंत्रित नहीं किया जाता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि किसी प्लेटफार्म पर फेक न्यूज फैलाई जा रही है, तो उस प्लेटफार्म को भी जिम्मेदारी के दायरे में लाया जाना चाहिए।

पारंपरिक मीडिया और डिजिटल मीडिया के बीच असमान प्रतिस्पर्धा

वैष्णव ने इस अवसर पर मीडिया के सामने उपस्थित चार प्रमुख चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पारंपरिक मीडिया, जो पहले खबरों के मुख्य स्रोत के रूप में कार्य करता था, अब आर्थिक रूप से नुकसान का सामना कर रहा है। यह स्थिति इसलिए है क्योंकि अब खबरें पारंपरिक मीडिया की तुलना में तेजी से डिजिटल प्लेटफार्मों से प्रसारित हो रही हैं।

लोकतंत्र और मीडिया के लिए खतरा

उन्होंने आगे कहा कि फर्जी खबरों का फैलना न केवल मीडिया के लिए, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी एक गंभीर खतरा है। क्योंकि जब प्लेटफार्मों पर सत्यापित जानकारी की कमी होती है, तो झूठी और भ्रामक सूचनाएं आसानी से फैल जाती हैं। यहां तक कि जागरूक नागरिक भी इन गलत सूचनाओं का शिकार हो जाते हैं, जो लोकतंत्र की बुनियादी समझ को प्रभावित कर सकता है।