10 हाथियों की मौत के मामले में अब हुई NGT की एंट्री

स्वतंत्र समय, भोपाल

प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 72 घंटे में 10 वयस्क और एक बच्चे सहित कुल 11 हाथियों की मौत के मामले में अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT ) भी सख्त हो गया है। मामले को संज्ञान में लेते हुए एनजीटी ने विभाग और टाइगर रिजर्व के अधिकारियों से एक सप्ताह में जवाब मांगा है।

NGT ने कई विभागों को जारी किए नोटिस

एनजीटी ( NGT ) ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मध्य प्रदेश), मुख्य वन्यजीव संरक्षक, उमरिया कलेक्टर, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी किया है। सभी को अगली सुनवाई से पहले, हलफनामे के रूप में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। एनजीटी ने इस घटना को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का संभावित उल्लंघन बताया है। इस मामले को भोपाल की रीजनल बैंच को ट्रांसफर कर दिया गया है।

मौत के बाद ये आया सामने

मामले की जांच में जुटी टीम का मानना है कि मानसून के दिनों में कोदो-बाजरा में लगने वाला संक्रमण मायकोटॉक्सिन पैदा करता है। यह जानवरों और मनुष्यों के लिए खतरनाक हो सकती है। इससे लीवर और किडनी से संबंधित समस्याएं, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। इस मामले में लगातार सक्रिय वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि हाथी 2017-18 से मध्य प्रदेश में स्थायी निवासी हो गए हैं। इस मामले में केंद्र सरकार को मध्य प्रदेश, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा के बीच के लैंड स्कैप में हाथी प्रबंधन पर गंभीरता से काम करना था, लेकिन न केंद्र सरकार गंभीर है और मध्यप्रदेश सरकार ने ही सक्रियता दिखाई। इन हाथियों की लगातार आमद से क्षेत्र में हो रहे मानव-हाथी संघर्ष रोकने में भी प्रबंधन नाकाम रहा।