Vivah Panchami 2024: कब है विवाह पंचमी जानें सही डेट और पूजा मुहूर्त, श्रीराम व माता जानकी का होगा विवाह

Vivah Panchami 2024: मार्गशीर्ष मास, जिसे अगहन मास भी कहा जाता है, पवित्र कार्तिक मास की समाप्ति के बाद शुरू होता है। यह महीना हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है और विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस वर्ष, मार्गशीर्ष मास 16 नवंबर 2024 से शुरू होकर 15 दिसंबर 2024 तक चलेगा।

इस माह के प्रमुख व्रत और त्योहार

1.भैरव अष्टमी: भगवान कालभैरव की पूजा का विशेष दिन।
2.उत्पन्ना एकादशी: विष्णु भक्तों के लिए विशेष महत्व रखने वाली एकादशी, जो मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बताती है।
3.विवाह पंचमी: भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का शुभ दिन।

इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और गीता पाठ का भी विशेष महत्व होता है। इसे धर्म और भक्ति का महीना माना जाता है, जिसमें पूजा-पाठ, व्रत, और दान का फल कई गुना अधिक होता है। मार्गशीर्ष मास (अगहन महीना) को श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की आराधना के लिए अत्यधिक पवित्र माना गया है। इस महीने में पूजा-अर्चना, व्रत, दान और सत्कर्म करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि पापों का नाश भी होता है।

इस महीने के धार्मिक कार्य और उनके महत्व

1.श्रीकृष्ण और विष्णु पूजा:
इस मास में भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु की आराधना करने से विशेष फल मिलता है। श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ शुभ माना जाता है।

2.शंख पूजा:
शंख को लक्ष्मी और विष्णु का प्रतीक माना जाता है। इस महीने शंख की पूजा और जल अर्पण करने से धन-संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

3.नदी स्नान:
पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अत्यधिक है। इसे आत्मा को शुद्ध करने और पापों से मुक्ति पाने का सरल मार्ग माना गया है।

4.दान:
अगहन मास में अन्न, वस्त्र, धन, और गौदान जैसे कार्यों का विशेष महत्व है। इससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

5.भजन-कीर्तन:
इस माह में भगवान के नाम का जप, भजन, कीर्तन और सत्संग करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।

6.पूजा-पाठ और व्रत:
विशेषकर गीता पाठ, विष्णु पूजा, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को करने से परिवार में खुशहाली और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

यह महीना भक्ति, संयम, और सत्कर्मों का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि मार्गशीर्ष मास उनके लिए अत्यंत प्रिय है, और इस माह में उनकी भक्ति करने वाले भक्तों को उनके विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मार्गशीर्ष मास का नामकरण चंद्रमा के मृगशिरा नक्षत्र में स्थित होने के कारण हुआ है। यह महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है। श्रीकृष्ण ने भी इस मास को सबसे प्रिय महीना कहा है।

मार्गशीर्ष मास का धार्मिक महत्व

1.भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति और भागवत कथा:
इस माह में श्रीकृष्ण की पूजा और भागवत कथा सुनने और सुनाने का विशेष महत्व है। इससे व्यक्ति को मोक्ष और अपार शांति की प्राप्ति होती है।

2.यमुना नदी में स्नान:
इस मास में यमुना नदी के तट पर स्नान करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है।

मार्गशीर्ष मास के प्रमुख व्रत और त्योहार

1.संकष्टी चतुर्थी:
भगवान गणेश की पूजा के लिए यह दिन शुभ है। यह व्रत व्यक्ति की बाधाओं को दूर करता है।

2.कालभैरव जयंती:
इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा करने से भय, रोग, और शत्रुओं का नाश होता है।

3.विवाह पंचमी:
यह भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का पावन दिवस है। इस दिन भगवान राम और सीता की पूजा का विशेष महत्व है।

4.गीता जयंती:
इस दिन श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों का स्मरण किया जाता है। गीता का पाठ करने से व्यक्ति को ज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।

5.मोक्षदा एकादशी:
मोक्ष प्राप्ति के लिए यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत और विष्णु पूजा करने से जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

अन्य धार्मिक कार्य

•इस मास में दान, सत्संग, और भजन-कीर्तन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
•भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
मार्गशीर्ष मास धर्म, भक्ति और आत्मा की शुद्धि का महीना है। इस मास में किए गए धार्मिक कर्मों का फल कई गुना अधिक मिलता है।