व्यंग्य कविता, कुत्तों का प्रेम

कुत्तों का आतंक है , गली-गली में आज ।
उनको मत खदेडना , हे पशु प्रेमी समाज ।

वो घुर्राता हो तुम पर , तुम उसको मत डांटना ।
तुमको भले वो काट ले , तुम उसको मत काटना ।

मूक पशु है वो भला , उससे कैसी बैर ।
पत्थर मारोगे यदि , नहीं तुम्हारी खैर ।

नसबंदी तो अंधी है , बढ़ते रहेंगे श्वान ।
सबका मुंह जो बंद करे , वो ठेकेदार महान ।

चोरों की क्या है मजाल , जो करे तिजोरी खाली ।
मालिक को ही नोच गई , पालतू कुत्तिया काली ।

श्वान निद्रा बहुत जरूरी , जाग सके तो जाग ।
फाइट तुम मत करना , बाईट करे जब डॉग ।

टोस्ट – बिस्किट खा रहे , चाय पीकर कड़क ।
कुत्ते खातिर कार बनी , इंसानों के लिए सड़क ।

तेरी मेहरबानियां में देख , जैकी श्रॉफ का सीन ।
अब मोती जैसे कुत्ते कहाँ , है कुत्तईवाड़ा हीन ।

कुत्ते बोलकर गाली देना , पाप माना जायेगा ।
सशक्त कुत्ता कानून , शीघ्र पटल पर आएगा ।

जंजीर डाल कुत्ता रखना , अपराध श्रेणी होगी ।
वर्षों तक गुलामी यहां , प्रिय कुत्तों ने भोगी ।

लुप्त होती नस्ल का , शीघ्र संरक्षण होगा ।
पुलिस थानों में पदनाम , इंचार्ज कुत्ता दरोगा ।

नई सदी में कुत्तों की , भी सरकार होगी ।
डॉक्टर कुत्ता चाटकर , मरीज करेगा निरोगी ।

पार्क टहलते कुत्ते भी , जब इलू इलू करेंगे ।
उनके खोटे काम की , शिकायत से हम डरेंगे ।

घी चुपड़ी रोटी देना , सदा परोपकार होगी ।
हर जगह पर कुत्तों की , जयजयकार होगी ।