300 करोड़ के BRTS की विदाई

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर में जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत 300 करोड़ रु. की लागत से बना बीआरटीएस ( BRTS ) कॉरिडोर की इंदौर से विदाई लगभग तय मानी जा रही है। राज्य सरकार ने शहर की टै्रफिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए राजीव गांधी चौराहे से निरंजनपुर चौराहे तक बने बीआरटीएस कॉरिडोर को तोडऩे का ऐलान किया है।  तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कार्यकाल में बीआरटीएस बनाया गया था , 10 साल बाद यहीं बीआरटीएस वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल में टूटेगा। बीआरटीएस पर जनता की सुविधा के लिए दो बड़े प्रोजेक्ट फूट ओव्हर ब्रिज और एलिवेटेड कॉरिडोर आने वाले थे , लेकिन दोनों ही प्रोजेक्ट कागजों पर ही सिमट गए। इसी साल अप्रैल माह में तोड़ दिया गया था।

60 से 70 हजार यात्री BRTS में आई बसों में सफर करते हैं

साल 2013 में इंदौर में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरूआत हुई। इंदौर में 11.54 किलोमीटर का बीआरटीएस ( BRTS ) कॉरिडोर बनाया गया है, जो निरंजनपुर से लेकर राजीव गांधी चौराहा तक है। पूरे कॉरिडोर में 14 बस स्टाप आते हैं। इस बीआरटीएस पर वर्तमान में प्रतिदिन सुबह सात बजे से रात 10 बजे तक लगभग 59 आई बसें ( 29 सीएनजी बस और 30 इलेक्ट्रिक बस ) दौड़ती है ओर इसमें हर रोज लगभग 60 से 70 हजार यात्री इसमें सफर करते है। बताया गया है की बीआरटीएस कॉरिडोर लगभग 300 करोड़ रु की लागत से तैयार किया गया था।

बड़ी संख्या में नौकरीपेशा और स्टूडेंट्स करते हैं सफर

बीआरटीएस कॉरिडोर शहर के बीचों बीच है, और ये लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इस रूट पर कई शैक्षणिक संस्थाएं, अस्पताल और कॉपोर्रेट ऑफिस हैं। यही वजह है कि बीआरटीएस में चलने वाली क-इवर में बड़ी संख्या में रोजाना यात्री सफर करते हैं। नौकरीपेशा वर्ग बसों का उपयोग करता है। एआईसीटीएसएल के अफसरों की माने तो औसतन 60 से 70 हजार यात्री इसमें रोजाना सफर करते हैं। बता दें, इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों में बड़ा वर्ग स्टूडेंट्स का है।

तब से ही नजर लगी हुई थी इंदौर बीआरटीएस पर

बीआरटीएस के कारण भोपाल की टै्रफिक व्यवस्था और लोगों की परेशानी काफी बढ़ चुकी थी। आए दिन टै्रफिक जाम होता था। जनप्रतिनिधियों तथा आम जनता की लगातार शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी की सहमति से बीआरटीएस तोडऩे का फैसला लिया। भोपाल का बीआरटीएस तोडऩे के बाद से ही इंदौर के बीआरटीएस पर नजर लगी हुई थी। आखिरकार सरकार ने इंदौर के बीआरटीएस को तोडऩे का ऐलान कर ही दिया।

दो प्रोजेक्ट आते-आते रुक गए

बीआरटीएस कॉरिडोर के आठ जक्शनों पर फूट ओव्हर ब्रिज बनाने का प्रोजेक्ट लाया गया था। तात्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कॉरिडोर पर 8 एफओबी बनाने की मंजूरी भी प्रदान कर दी थी। साथ ही 8 स्थानों का चयन भी कर लिया गया था, लेकिन प्रोजेक्ट को लेकर अफसरों ने जरा भी रुचि नहीं दिखाई और कागजों पर ही सिमट कर रह गया। इसी प्रकार इसी कॉरिडोर पर लगभग 300 करोड़ रुपए की लागत से एलआईजी से तीन इमली चौराहे तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन ब्रिज के डिजाइन के चक्कर पूरा प्रोजेक्ट ही अटक गया। आखिरकार यह प्रोजेक्ट भी हमेशा के खत्म हो गया।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा-

भोपाल में जैसे बीआरटीएस हटाया गया है, उससे यातायात में सुविधा मिली है। इंदौर में भी बीआरटीएस को लेकर हमें लोगों की शिकायतें मिल रही हैं, जो भी तरीका लगाना पड़ेगा, इसे हटाएंगे। कोर्ट के सामने भी हम अपना पक्ष रखेंगे। सब लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए हमने निर्णय लिया है। उम्मीद है कि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

दो शहरों में बीआरटीएस को तोड़े

केंद्र सरकार ने टै्रफिक सुधार के लिहाज से देश के 9 शहरों में बीआरटीएस परियोजना लागू की थी, दिल्ली और भोपाल में कॉरिडोर के कारण टै्रफिक व्यवस्था चरमाई रही थी। लोगों की परेशानी को देखते हुए पहले दिल्ली सरकार ने बीआरटीएस को तोड़ा इसके बाद इसी साल अप्रैल माह में मोहन सरकार ने भोपाल के बीआरटीएस को तोडऩे के निर्देश दिए। वर्तमान में देश में 7 शहरों में बीआरटीएस कारिडोर परियोजना चल रही है।