इंदौर से दाहोद के बीच रेल लाइन बिछाने का काम गुणावत तक पूरा हो चुका है। इंदौर से दाहोद रेल लाइन का कार्य 2026 तक पूरा होने के दांवे किए जा रहे है। लेकिन जिस तरह से इंदौर दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट का कार्य चल रहा है वह कब तक पूरा होगा उसका कोई निर्णायक समय तय नहीं किया गया है। इस रेल लाइन पर जितनी भी समयसीमा दी गई थी। वह कई बार पूरी हो चुकी है लेकिन यह इंदौर- दाहोद रेल लाइन 16 साल बाद भी नहीं बिछ पाई है।
आदिवासी अंचल को रेल लाइन से जोड़ेगा प्रोजेक्ट
इंदौर- दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी क्षेत्र को रेल सेवाओं से जोड़ने वाला है। इस प्रोजेक्ट की धीमी गति के कारण इन क्षेत्रों का विकास भी नहीं हो पा रहा है । यह प्रोजेक्ट रेलवे के साथ गुजरात और मध्यप्रदेश राज्य के लिए भी महत्तवपूर्ण है। इस प्रोजक्ट के चलते झाबुआ, धार जिले रेल लाइन से जुड़ेगे और आदिवासी अंचल में व्यापार के अवसर शुरू होगे।
3 साल में करना था पूरा प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट को 2008 में स्वीकृत किया गया था। इस कार्य का भूमिपूजन देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 8 फरवरी 2013 को करके कार्य की शुरूआत की थी वहीं यह प्रोजेक्ट मात्र 3 साल में पूरा करने की घोषणा की गई थी। जब प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ तब इस प्रोजेक्ट की लागत 1640 करोड़ रुपए आंकी गई थी फिऱ प्रोजेक्ट की लेट लतीफी इस तरह चली की यह प्रोजेक्ट 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक का होने के बाद भी अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है।
टुकड़ों-टुकड़ों में बांट कर हो रहा कार्य
इंदौर- दाहौद रेल लाइन को अब टुकड़ों में बांटकर काम पूरा किया जा रहा है। जिसके चलते सागौर के साथ गुणावद और नौगांव, झाबुआ तथा पिटोल में नए रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्म आदि का निर्माण किया जा रहा है। इसी के चलते अब टिही से गुणावद तक अर्थवर्क पूरा हो गया है। इसी तरह गुणावद से धार के बीच अर्थवर्क का काम चल रहा है। इसी तरह इंदौर-टिही और दाहोद-कतवारा सेक्शन का काम पूरा हो चुका है। अब रेलवे के रतलाम मंडल द्वारा टिही-गुणावद-नौगांव (धार) सेक्शन पर तेजी से काम चला रहा है।
सांसद ने भी दिखाई सक्रियता
इंदौर- दाहोद रेल प्रोजेक्ट को पूरा करने में रेलवे के अधिकारियों से लगातार चर्चा करने का कार्य सांसद के द्वारा किया जाता है। इंदौर की पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने भी इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए कई बार रेलवे के अधिकारियों के सामने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं अब वर्तमान सांसद शंकर लालवानी इस प्रोजेक्ट पर लगातार निगरानी रखने की बात कह रहे है। सांसद ने भी दांवा किया है कि आगामी डेढ़ साल में काम पूरा हो जाएगा। और 2025-26 तक इस रेल लाइन पर रेलगाड़ी दौड़ने लगेगी। महू- सनावद बॉडगेज का सर्वे भी दोबारा मालगाडि़यों के आवागमन के हिसाब से कराया गया है। यहां पर ढलान कम हो और दो इंजन लगाने की जरुरत ना पड़े। इस वजह से काम में देरी हो रही है। अब देखना यह है कि यह कार्य आगामी डेढ़ साल में पूरा हो पाएगा या आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर ब्रेक लगा रहेगा।