नई दिल्ली।आरबीआई ने हाल में अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च की है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि वह डिजिटल रुपये पर बहुत सावधानी के साथ आगे बढ़ रहा है ताकि इसकी क्लोनिंग से बचा जा सके। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ट्रायल फेज में है। आरबीआई डिजिटल रुपये की पेशकश को लेकर बहुत ही सतर्कता तथा ध्यानपूर्वक आगे बढ़ रहा है। इसकी वजह यह है कि अगर इसके साथ क्लोनिंग या इस तरह की कुछ ऊंच-नीच हुई तो यह बेहद रिस्की हो सकता है। उन्होंने साथ ही कहा कि रुपये में सीमा-पार व्यापार के लिए केंद्र सरकार और आरबीआई की दक्षिण एशियाई देशों से बात चल रही है।
होलसेल डिजिटल रुपये के लिए आरबीआई की सीबीडीसी की पायलट परियोजना पिछले साल एक नवंबर को की गई थी। इसकी सफलता के बाद एक दिसंबर को केंद्रीय बैंक ने रिटेल सीबीडीसी की पायलट परियोजना शुरू की थी। आईएमएफ के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि 2022-23 के लिए वैश्विक व्यापार दृष्टिकोण के साथ, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में व्यापक अंतर-क्षेत्रीय व्यापार से ग्रोथ और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के स्तर पर, सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम है साझा लक्ष्यों और चुनौतियों पर एक दूसरे से सीख लेना। सीमा पार व्यापार में रुपये को बढ़ावा देना और सीबीडीसी जिसकी दिशा में आरबीआई ने पहले ही आगे बढ़ना शुरू कर दिया है, इन क्षेत्रों में भी सहयोग को और बढ़ाया जा सकता है।
कैसे पार होगी चुनौती:
शक्तिकांत दास ने कोरोना, महंगाई, वित्तीय बाजार में सख्ती और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए जो नीतिगत प्राथमिकताएं हैं उन्हें रेखांकित किया। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अनेक बाहरी झटकों से दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर मूल्य दबाव आया है। महंगाई को सफलतापूर्वक कम करने के लिए विश्वसनीय मौद्रिक नीति कार्रवाई, लक्षित आपूर्ति-पक्ष हस्तक्षेप, राजकोषीय व्यापार नीति और प्रशासनिक उपाय प्रमुख साधन बन गए हैं। दास ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।