Corruption के 274 मामलों में सरकार को देनी होगी 3 माह में अभियोजन की मंजूरी

स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र के लोकायुक्त तथा ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार ( Corruption ) को लेकर 274 मामले दर्ज हैं। इन दोनों ही संस्थाओं ने सरकार से इन प्रकरणों में अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेज रखे हैं, लेकिन सरकार अभियोजन की मंजूरी देने में लेतलाली बरत रही है। अब केंद्र सरकार ने नियमों में परिवर्तन कर ऐसे मामलों में 3 माह के भीतर अभियोजन की स्वीकृति देने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं।

जीएडी ने Corruption के पेंडिंग मामलों पर जताई नाराजगी

केंद्रीय कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय (डीओपीटी) ने 18 अक्टूबर को सभी मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार ( Corruption ) के पेंडिंग मामलों में नाराजगी जताई है। डीओपीटी ने क्रप्शन के मामलों में अभियोजन की मंजूरी देने में विलंब किए पर कहा कि इन प्रकरणों में 3 माह के भीतर अभियोजन की स्वीकृति दी जाए। यह पत्र केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एपी दास जोशी के हस्ताक्षर से जारी किया गया है,जो सीएस कार्यालय को 29 अक्टूबर को मिला है। इसमें कहा गया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-19 में संशोधन किया गया है। अभियोजन की मंजूरी देने में विलंब को लेकर किए गए परीक्षण से पता चला की राज्यों की स्थिति बेहतर नहीं है।

एक आईएएस पर 25 केस दर्ज

वर्तमान में लोकायुक्त तथा ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार को लेकर 274 मामले दर्ज किए हैं। लोकायुक्त में सेवानिवृत्त आईएएस रमेश थेटे के विरुद्ध 25 प्रकरण दर्ज है। अधिकांश प्रकरणों में रमेश थेटे के साथ तहसीलदार आदित्य शर्मा भी आरोपी बनाए गए हैं। इनके विरुद्ध वर्ष 2013 में ही अलग-अलग तारीखों को विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर वर्ष 2014 और 2015 में अभियोजन स्वीकृति मांगी गई है, लेकिन सरकार ने अभियोजन स्वीकृति के प्रस्ताव पेंडिंग पडेÞ हुए है। वहीं 8 वर्तमान और सेवानिवृत्त आईएएस सहित अन्य अधिकारियों के विरुद्ध राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में क्रप्शन के मामले दर्ज हैं और ईओडब्ल्यू द्वारा भी मांगी गई अभियोजन की मंजूरी नहीं मिली है। पिछले दिनों कैबिनेट ने करीब आधा दर्जन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी है।

जीएडी ने संबंधित अफसरों को लिखा पत्र

सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) ने 21 नवंबर को सभी विभागाध्यक्ष, प्रमुख सचिव, संभागीय कमिश्नर तथा कलेक्टरों को पत्र लिखते हुए डीओपीटी के निर्देशों का हवाला देते हुए लंबित अभियोजन के प्रकरणों में कार्रवाई करने को कहा है। वैसे सबसे आईएएस अधिकारियों से जुडेÞ मामले जीएडी में ही लंबित हैं।