Vivah panchami 2024: विवाह पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो प्रति वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान राम और माता सीता के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो त्रेतायुग में इसी दिन हुआ था। इस दिन को विवाह की संस्कृति और परंपराओं को समर्पित माना जाता है, और यह विवाहित जोड़ों के लिए एक शुभ और मांगलिक पर्व है।
विवाह पंचमी का पर्व विशेष रूप से मिथिला और नेपाल में अत्यधिक श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में इस दिन को भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह का प्रतीक माना जाता है और मंदिरों में पूजा अर्चना होती है। विवाह पंचमी का पर्व हिंदू समाज में एकजुटता और खुशहाली का प्रतीक है, जो विवाह के महत्व को रेखांकित करता है। इस साल विवाह पंचमी की तिथि को लेकर कुछ भ्रम हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक विशेष और ऐतिहासिक अवसर है, जिसे पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता के विवाह की अद्भुत प्रेम कहानी और उनके विवाह के महत्त्व को याद करते हुए मनाया जाता है। यह दिन उनके संपूर्ण जीवन और रिश्ते की पवित्रता का प्रतीक है, जिसमें सत्य, धर्म और प्रेम की महत्वपूर्ण शिक्षा दी जाती है। इस दिन को विशेष रूप से संतान सुख, परिवार की समृद्धि और पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। विवाह पंचमी के अवसर पर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं, और इस दिन के महत्व को समझते हुए परिवार में सुख-शांति की कामना करते हैं। यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने और जीवन में समृद्धि लाने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से विवाह के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी पुनः प्रकट किया जाता है, जो समाज में प्रेम और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी इस साल 5 दिसंबर 2024 को सुबह 12 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी, और इसका समापन 6 दिसंबर 2024 को सुबह 12 बजकर 07 मिनट पर होगा। हालांकि, उदय तिथि के अनुसार, यह पर्व 6 दिसंबर 2024 को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, विवाह पंचमी के दिन ध्रुव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है, जो इसे बेहद शुभ और प्रभावशाली बनाता है। ध्रुव योग खासतौर पर स्थिरता और सफलता का प्रतीक माना जाता है, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सभी कार्यों की सिद्धि का योग है और शिववास योग भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करने वाला होता है। इस दिन इन तीन शुभ योगों का संयोग होने से विवाह पंचमी का पर्व विशेष रूप से धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाएगा।
इस साल विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर दो महत्वपूर्ण योगों का निर्माण हो रहा है। पहला योग सर्वार्थ सिद्धि योग है, जो सभी कार्यों की सिद्धि और सफलता के लिए शुभ माना जाता है। दूसरा योग रवि योग है, जो 5 दिसंबर को सुबह 7:00 से शाम 5:18 बजे तक रहेगा। इसके बाद, रवि योग 5:18 बजे से शुरू होकर 7 दिसंबर को सुबह 7:01 बजे तक रहेगा। रवि योग का समय बहुत ही शुभ माना जाता है और इसे विशेष रूप से मांगलिक कार्यों के लिए लाभकारी माना जाता है।
इस दिन केले के पेड़ की पूजा करने की विशेष सलाह दी जाती है। केले का पेड़ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का प्रतीक माने जाते हैं। केले के पेड़ की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। यह विशेष रूप से उन कन्याओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है जो विवाह के योग्य हैं। इसलिए, विवाह पंचमी के दिन केले के पेड़ की पूजा करने से विवाह के लिए शुभ फल प्राप्त होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
विवाह पंचमी के अवसर पर केले के पेड़ की पूजा का तरीका
1. साफ-सफाई: सबसे पहले केले के पेड़ के आसपास की जगह को अच्छे से साफ करें।
2. गंगा जल छिड़कना: फिर, आप इस पेड़ पर गंगा जल छिड़क सकते हैं, ताकि उसकी पवित्रता बढ़े।
3. पीले रंग का धागा: इस पेड़ पर पीले रंग का धागा बांधें, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक होता है।
4. हल्दी और चंदन से तिलक: इसके बाद, पेड़ पर हल्दी और चंदन से तिलक करें।
5. फूल अर्पित करना: पूजा की शुरुआत करते हुए पेड़ पर फूल अर्पित करें।
6. धूप बत्ती और दीपक जलाना: फिर, धूप बत्ती और घी का दीपक जलाएं, ताकि वातावरण में पवित्रता और दिव्यता फैले।
7. मंत्र जाप: इसके बाद, भगवान श्री राम के मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से “राम राम राम” का जाप करें।
8. पूजन सामग्री रखना: पेड़ के आसपास अक्षत, पंचामृत, सुपारी, लौंग, इलायची और अन्य पूजन सामग्री रखें।
9. 21 बार परिक्रमा: पूजा के अंत में, केले के पेड़ की 21 बार परिक्रमा करें।
इस पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और विवाह में सफलता प्राप्त होने की संभावना होती है। यह विशेष रूप से उन कन्याओं के लिए शुभ माना जाता है, जो विवाह के योग्य हैं।