Children Eye Problem: हर तीसरा बच्चा है इस खतरनाक बीमारी का शिकार, इस आदत में न किया सुधार तो कई गुना बढ़ सकते हैं मामले

Children Eye Problem: बच्चे अपनी संवेदनशीलता के कारण बीमारियों का आसानी से शिकार बन जाते हैं, और हाल के वर्षों में मायोपिया नामक एक आंखों की बीमारी बच्चों में तेजी से बढ़ रही है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हर तीसरा बच्चा मायोपिया से पीड़ित है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो 2050 तक करीब 40 प्रतिशत बच्चों को यह समस्या हो सकती है।

मायोपिया क्या है?

मायोपिया, जिसे निकट दृष्टिदोष भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं, जबकि नजदीक की वस्तुएं साफ नजर आती हैं। यह समस्या अपवर्तन त्रुटि के कारण होती है। मायोपिया से पीड़ित बच्चों को कम उम्र में ही चश्मा लगाना पड़ता है। इसके कारण वे टीवी, स्कूल के ब्लैकबोर्ड, या सड़क पर लगे साइनबोर्ड को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते।

मायोपिया के लक्षण

मायोपिया के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:

  1. दूर की चीजों का साफ न दिखना।
  2. दूर की वस्तुओं को देखने के लिए आंखों पर जोर डालना।
  3. आंखों में तनाव और थकान महसूस होना।
  4. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
  5. बार-बार सिरदर्द होना।

मायोपिया के बढ़ते मामलों के कारण

आजकल बच्चों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है, जबकि शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं। छोटे बच्चे घंटों मोबाइल फोन, लैपटॉप या टीवी पर समय बिताते हैं, जिससे उनकी आंखों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से उनकी आंखों की रोशनी कम उम्र में ही कमजोर हो रही है। इसके अलावा, आनुवांशिक कारण, मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याएं और प्राकृतिक रोशनी में कम समय बिताना भी मायोपिया के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है।

मायोपिया से बचाव के उपाय

बच्चों में मायोपिया के खतरे को कम करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. बच्चों को बाहरी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
  2. उन्हें हरे-भरे इलाकों में समय बिताने का मौका दें।
  3. स्क्रीन के उपयोग का समय सीमित करें।
  4. पढ़ाई या अन्य कामों के बीच में नियमित ब्रेक लेने की आदत डालें।
  5. स्क्रीन और किताबों से उचित दूरी बनाकर रखें।
  6. स्क्रीन का इस्तेमाल करते समय एंटीग्लेयर या ब्लू लाइट ब्लॉकिंग चश्मा पहनाएं।
  7. विटामिन ए और सी से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे गाजर, पालक और संतरा, बच्चों के आहार में शामिल करें।

मायोपिया जैसी समस्याओं को समय पर पहचानकर सही देखभाल और सावधानी बरतने से बच्चों की आंखों की रोशनी लंबे समय तक स्वस्थ रखी जा सकती है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की स्क्रीन आदतों पर ध्यान दें और उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत को प्राथमिकता दें।