इंसानों के अलावा कई जानवरों में भी एकतरफा लेफ्टी या राइटी होने का देखा गया है, हालांकि यह इतनी स्पष्टता से नहीं होता जैसा कि इंसानों में होता है। कई जानवरों में एक अंग (जैसे पैरों या हाथों) का अधिक इस्तेमाल होता है, और यह एक सामान्य प्रवृत्ति बन जाती है, जिसे “लेटरलिजेशन” कहा जाता है।
सेबेस्टियन ओकलेनबर्ग के अध्ययन में सामने आया। पहले यह माना जाता था कि केवल एक जीन (LRRTM1) की वजह से हम लेफ्टी या राइटी होते हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई जीन और वातावरण दोनों का योगदान होता है।
इस अध्ययन के अनुसार, ब्रेन का एक खास हिस्सा, जैसे कि कॉर्पस कॉलोसम और हेमिस्फेरिक डोमिनेंस, यह तय करता है कि किसी व्यक्ति या जानवर का एक हाथ या पैर दूसरे की तुलना में अधिक सक्रिय रहेगा। इसके अलावा, वातावरण और सामाजिक प्रभाव भी इसके निर्धारण में भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा वामहस्त होते हुए दाएं हाथ से काम करने के लिए प्रशिक्षित होता है, तो उसका मस्तिष्क उस दिशा में एडजस्ट कर सकता है।
इस तरह की जानकारी से हम यह समझ सकते हैं कि हमारी शारीरिक प्राथमिकताएं सिर्फ जैविक रूप से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और सांस्कृतिक कारकों से भी प्रभावित होती हैं। इस जटिलता के चलते ही यह अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पता चलता है कि मानव और जानवरों में बाएं और दाएं हाथ का उपयोग करने के पीछे एक जटिल जैविक प्रक्रिया है।
वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यदि आप लेफ्ट हैंडर हैं, तो आपके शरीर के अन्य हिस्सों, जैसे पैर और सिर, में भी वाम पक्षीय प्राथमिकता हो सकती है। यह एक व्यापक तंत्र के रूप में काम करता है, जिसे “लेटरलिजेशन” कहा जाता है, जहां विभिन्न शारीरिक गतिविधियाँ एकतरफा होती हैं और एक ही दिशा में झुकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप लेफ्ट हैंडर हैं, तो संभावना है कि आप बाएं पैर का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे या सिर को बायीं दिशा में घुमाना पसंद करेंगे।
हालांकि, बोलने और देखने की इंद्रियां और हाथों का संचालन अलग-अलग कार्य करती हैं, फिर भी इनका आपस में कुछ संबंध हो सकता है। मस्तिष्क के दोनों गोलार्ध (हेमिस्फेयर) एक दूसरे से जुड़े होते हैं और आपस में प्रभावित भी होते हैं। मस्तिष्क का दायां गोलार्ध शारीरिक गतिविधियों और इमोशन से जुड़ा होता है, जबकि बायां गोलार्ध भाषाई और तर्कशक्ति से संबंधित होता है। हालांकि इनकी स्वतंत्र भूमिकाएँ हैं, फिर भी शोध से यह पता चलता है कि मस्तिष्क की संरचना में बायां और दायां गोलार्ध एक-दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं, और इस कारण ही विभिन्न शारीरिक प्रतिक्रियाओं में सामंजस्य हो सकता है।
इसका मतलब यह है कि भले ही देखने और सुनने जैसी इंद्रियां स्वतंत्र रूप से काम करती हों, फिर भी शरीर के अन्य अंगों की गतिविधियाँ मस्तिष्क के लेटरलाइजेशन पैटर्न से प्रभावित हो सकती हैं। यही कारण है कि कई बार लेफ्ट हैंडर होने के साथ-साथ व्यक्ति के अन्य शारीरिक आदतें भी बायीं दिशा में झुकी हुई हो सकती हैं। लेफ्ट हैंडर या राइट हैंडर होने का पैटर्न सिर्फ हाथ तक सीमित नहीं होता, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों, जैसे पैर, सिर, और आंखों की प्राथमिकताएँ भी इससे प्रभावित हो सकती हैं।
मस्तिष्क के दोनों गोलार्ध (दायां और बायां) अलग-अलग कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन वे आपस में संवाद करते हैं और एक-दूसरे के कार्यों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, बायां गोलार्ध, जो भाषाई और तर्कशक्ति से संबंधित है, दाएं हाथ और शरीर के दायें हिस्से को नियंत्रित करता है, जबकि दायां गोलार्ध इमोशन्स, दृश्य-स्थिरता, और शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करता है, और यह बाएं हाथ और शरीर के बाएं हिस्से को नियंत्रित करता है।
जब हम किसी दिशा में अधिकतर गतिविधियां करते हैं (जैसे बाएं हाथ से काम करना), तो वह हमारे मस्तिष्क में एक तरह का पैटर्न स्थापित कर देता है, जो हमारे शरीर के अन्य हिस्सों में भी झलकता है। इस वजह से, बाएं हाथ से काम करने वाले व्यक्ति के शरीर के अन्य हिस्से, जैसे पैर और सिर, भी बायीं दिशा में प्राथमिकता दिखा सकते हैं। इस तरह के शोध से यह सिद्ध होता है कि शारीरिक प्रतिक्रियाएँ और आदतें केवल मस्तिष्क की संरचना पर निर्भर नहीं होतीं, बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व और शारीरिक अनुभवों से भी प्रभावित होती हैं।