Banking Laws Amendment Bill 2024 : बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और जमाकर्ताओं की सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से 3 दिसंबर 2024 को बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। यह विधेयक कई महत्वपूर्ण बदलावों और नए प्रावधानों के साथ आया है, जो बैंकिंग प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए तैयार हैं।
नामांकित व्यक्तियों की संख्या बढ़ाने का प्रावधान
अब बैंक खातों में एक नहीं, बल्कि चार नामांकित व्यक्तियों को जोड़ा जा सकेगा। यह कदम कोविड-19 महामारी के दौरान उत्पन्न हुई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। इससे खाताधारक की मृत्यु के बाद उनके परिवार को पैसों तक पहुंच प्राप्त करने में सुविधा होगी। नए प्रावधान के तहत खाताधारक एकमुश्त नामांकन (एक निश्चित प्रतिशत के साथ) या क्रमिक नामांकन (जो उम्र के अनुसार वितरित किया जाएगा) का विकल्प चुन सकते हैं। इससे बैंकिंग प्रक्रिया में देरी कम होगी और धन की वापसी में तेजी आएगी।
निवेशकों की सुरक्षा और बेहतर सेवा
नए विधेयक में निजी बैंकों में जमाकर्ताओं को बेहतर सुरक्षा और सेवा प्रदान करने के लिए प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत बैंकों को निवेशकों के हितों की रक्षा करने और उन्हें उनके दावों का सही तरीके से निपटान करने के लिए प्रतिबद्ध किया गया है। इसके अतिरिक्त, अब वह दावों की प्रक्रिया को सरल बना सकते हैं, जैसे कि शेयरों, बांडों, ब्याज या मोचन आय को अब शिक्षा और संरक्षण निधि में स्थानांतरित किया जा सकेगा। यह निवेशकों को उनके अधिकारों का लाभ उठाने में मदद करेगा।
बैंक निदेशकों के लिए ‘पर्याप्त हित’ की नई परिभाषा
विधेयक में बैंक निदेशकों के लिए ‘पर्याप्त हित’ (adequate interest) की परिभाषा में बदलाव किया गया है। पहले यह सीमा 5 लाख रुपये थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह बदलाव लगभग छह दशकों से अपरिवर्तित सीमा को संशोधित करने के उद्देश्य से किया गया है और इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल वह निदेशक जिनका बैंक में पर्याप्त हित है, वे ही महत्वपूर्ण निर्णय ले सकें।
15 दिनों में रिजर्व बैंक को रिपोर्टिंग
अब बैंकों को अपनी रिपोर्ट रिजर्व बैंक को हर शुक्रवार की बजाय हर पखवाड़े के अंत में सौंपनी होगी। इससे रिजर्व बैंक को बैंकों के प्रदर्शन और स्थिति का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह सुनिश्चित करेगा कि बैंक अपने प्रबंधन और संचालन को दुरुस्त रखें।
निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष में राशि की वापसी का प्रावधान
विधेयक में एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पहले यदि किसी खाते में सात साल तक कोई लेन-देन नहीं होता था, तो उसे निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (Investor Education and Protection Fund) में भेज दिया जाता था। लेकिन अब खाताधारक इस कोष से अपनी राशि की वापसी का दावा कर सकता है, जिससे निवेशकों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा और सुविधा प्राप्त होगी।
नकदी भंडार रखने के नियम
इसके अलावा, विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि गैर-अधिसूचित बैंकों को अब शेष नकदी भंडार बनाए रखना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी रिजर्व रहे और वित्तीय संकट के समय ग्राहकों को कोई परेशानी न हो।
सहकारी बैंकों में बदलाव
विधेयक के तहत केंद्रीय सहकारी बैंकों के निदेशकों को राज्य सहकारी बैंकों के बोर्ड में कार्य करने की अनुमति भी दी गई है। इससे सहकारी बैंकों के प्रबंधन में सुधार और बेहतर समन्वय होगा।