MP Teachers Permanent: करीब 15 हजार टीचर होंगे रेगुलर, अक्टूबर 2021 में हुई थी भर्ती, कमेटी कर रही काउंसलिंग

MP Teachers Permanent: मध्य प्रदेश में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। प्रदेश में 15,000 शिक्षकों को नियमित किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग ने एक विशेष कमेटी का गठन किया है, जो काउंसलिंग प्रक्रिया का संचालन कर रही है। काउंसलिंग के तहत शिक्षकों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। यह कदम न केवल शिक्षकों की कमी को दूर करेगा, बल्कि प्रदेश के शैक्षणिक स्तर में भी सुधार लाने में मदद करेगा।

मुख्य बिंदु

1. 15,000 शिक्षक होंगे नियमित।
2. काउंसलिंग प्रक्रिया के जरिए स्थान और विषय के अनुसार नियुक्ति।
3. शिक्षकों की कमी वाले क्षेत्रों में प्राथमिकता दी जाएगी।
4. इससे सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित होगी।

यह पहल प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए बड़ी राहत साबित होगी।

मध्य प्रदेश में शिक्षकों के नियमितीकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि भर्ती होने के बाद शिक्षकों को तीन साल का प्रोबेशन पीरियड पूरा करना होता है। इस अवधि के दौरान शिक्षक अपनी सेवाओं का प्रदर्शन करते हैं और उनके कार्य का मूल्यांकन किया जाता है।

नियमितीकरण प्रक्रिया के प्रमुख बिंदु

1. प्रोबेशन पीरियड:
• नियुक्ति के बाद शिक्षकों को 3 साल तक अनुबंध के आधार पर काम करना होता है।
• इस अवधि में शिक्षक के प्रदर्शन, उपस्थिति, और अन्य मानकों का मूल्यांकन किया जाता है।
2. नियमितीकरण की प्रक्रिया:
• प्रोबेशन पीरियड पूरा करने के बाद शिक्षकों को नियमित पद पर नियुक्ति दी जाती है।
• यह प्रक्रिया स्कूल शिक्षा विभाग की विशेष कमेटी द्वारा संचालित की जाती है।
3. लाभ:
• नियमितीकरण के बाद शिक्षक को वेतनमान, भत्तों, और अन्य सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं।
• इससे उनकी नौकरी स्थिर और सुरक्षित हो जाती है।

यह व्यवस्था न केवल शिक्षकों को अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार बनाती है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में भी सहायक होती है। मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था को सुधारने के प्रयासों पर नेताओं के अनुचित हस्तक्षेप के कारण गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार जहां उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है और शैक्षणिक नवाचार लागू कर रही है, वहीं नेताओं के लेटर पैड पर किए गए अटैचमेंट इन प्रयासों को कमजोर कर रहे हैं।

समस्या का विवरण

1. नेताओं का अनुचित हस्तक्षेप:
• नेता अपने लेटर पैड पर अपने चहेतों को नजदीकी स्कूलों में नियुक्ति या स्थानांतरण की अनुशंसा कर देते हैं।
• यह प्रक्रिया अक्सर बिना शैक्षणिक व्यवस्था को समझे और शिक्षकों की आवश्यकता को ध्यान में रखे की जाती है।
2. प्रभावित शैक्षणिक व्यवस्था:
• शिक्षकों का स्थानांतरण उन स्कूलों में हो जाता है, जहां उनकी जरूरत नहीं होती, जबकि अन्य स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी रहती है।
• इसके चलते बच्चों को कई विषयों की शिक्षा नहीं मिल पाती है।
3. जिम्मेदारों की मजबूरी:
• जिला शिक्षा अधिकारी और संकुल प्राचार्य नेताओं की सिफारिशों का पालन करने के लिए विवश होते हैं, जिससे शैक्षणिक व्यवस्था और कमजोर हो जाती है।

प्रभाव

• सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
• बच्चों को विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी के कारण समुचित शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है।
• सरकार के सुधार प्रयासों और नवाचारों का उद्देश्य सफल नहीं हो पाता।

समाधान के सुझाव

1. सिफारिश प्रक्रिया पर रोक:
• नेताओं के लेटर पैड पर नियुक्तियों और स्थानांतरण को सख्ती से प्रतिबंधित किया जाए।
• सभी स्थानांतरण और नियुक्तियां पारदर्शी प्रक्रिया और जरूरत के आधार पर हों।
2. शिक्षा विभाग को स्वायत्तता:
• शिक्षा विभाग को नेताओं के हस्तक्षेप से मुक्त कर स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार दिया जाए।
3. डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम:
• शिक्षकों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए एक डिजिटल सिस्टम बनाया जाए, जो पूरी तरह से स्कूलों की जरूरतों और प्राथमिकताओं पर आधारित हो।
4. नेताओं की जवाबदेही तय हो:
• ऐसे मामलों में अनुचित अनुशंसा करने वाले नेताओं पर जवाबदेही तय की जाए।

सरकार को इस समस्या का समाधान करना होगा ताकि सरकारी स्कूलों में बच्चों को उनकी जरूरत के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। यह मामला शिक्षकों की अनुपलब्धता और शिक्षकों के अटैचमेंट के कारण ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को दर्शाता है। गादिया की इस शासकीय माध्यमिक शाला में कुल 51 छात्रों के लिए सिर्फ एक शिक्षक की उपलब्धता एक गंभीर समस्या है।

प्रमुख समस्याएं

1. शिक्षक की कमी:
• एक शिक्षक के जिम्मे तीन कक्षाओं (6वीं, 7वीं, और 8वीं) के सभी विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी है, जो शिक्षण गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
2. अटैचमेंट की समस्या:
• दूसरी शिक्षिका का नयापुरा में अटैचमेंट होना स्कूल में शिक्षकों की संख्या और उनके कार्य संतुलन को बिगाड़ रहा है।
3. छात्रों की शिक्षा पर प्रभाव:
• बच्चों को विभिन्न विषयों की उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिससे उनका अकादमिक प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।

समाधान के सुझाव

1. अटैचमेंट नीति पर पुनर्विचार:
• शिक्षकों का अटैचमेंट जरूरत और प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए। गादिया जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए।
2. अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति:
• विद्यालय में तत्काल प्रभाव से अतिरिक्त शिक्षक भेजे जाने चाहिए ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
3. स्थानीय प्रशासन की भूमिका:
• स्थानीय प्रशासन को इस मुद्दे का संज्ञान लेना चाहिए और शिक्षा विभाग से मिलकर स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए।
4. शिक्षकों के प्रशिक्षण और मॉनिटरिंग:
• शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करने और उनकी नियमित मॉनिटरिंग के लिए सख्त नीति बनाई जानी चाहिए।

इस प्रकार की समस्याएं पूरे शिक्षा तंत्र को प्रभावित करती हैं और बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक असर डालती हैं। प्रशासन को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।