Parliament Session: केंद्र सरकार लंबे समय से चर्चित वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को मंगलवार (17 दिसंबर), को शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पेश करेगी। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल इस बिल को दोपहर करीब 12 बजे सदन में पेश करेंगे। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है, जिसमें सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार को एनडीए के घटक दलों का समर्थन पहले ही मिल चुका है, जिससे बिल को संसद में पारित कराने की संभावना मजबूत है। हालांकि, विपक्ष इस बिल का विरोध करने की योजना बना रहा है।
वन नेशन, वन इलेक्शन का उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है, जिससे बार-बार चुनावों से बचा जा सके और संसाधनों की बचत हो। यह बिल राजनीतिक और संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन इसे लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को लेकर कल लोकसभा में विपक्ष के हंगामे की संभावना है। इस बिल को पेश करने से पहले, बीते गुरुवार को केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस कानून से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
इसके अलावा, सितंबर महीने में कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति के प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी थी। यह समिति एक देश-एक चुनाव की व्यवहार्यता पर सुझाव देने के लिए बनाई गई थी। वन नेशन, वन इलेक्शन के समर्थक इसे समय, धन, और प्रशासनिक संसाधनों की बचत का माध्यम बताते हैं। हालांकि, विपक्ष इसे राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने वाला कदम मान रहा है।
इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच कल संसद में तीखी बहस और संभावित हंगामे की स्थिति बन सकती है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह बिल जल्दबाजी में लाया जा रहा है और इस पर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। प्रस्तावित वन नेशन, वन इलेक्शन कानून के अनुसार, इसे दो चरणों में लागू करने की योजना है। पहले चरण में, लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। इसके बाद, दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव को एक साथ कराने की तैयारी है।
पहले चरण के तहत, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ आयोजित करने के लिए चुनावी कैलेंडर को समन्वित किया जाएगा, ताकि दोनों चुनावों में एक ही समय पर मतदान हो सके। इसके बाद, दूसरे चरण में नगर निगमों और पंचायतों के चुनाव भी इसी मॉडल के तहत कराए जाएंगे, जिससे चुनावों के बार-बार होने वाली प्रक्रिया को समाप्त किया जा सके।इस योजना का उद्देश्य चुनावों की लागत और संसाधनों की बचत करना, साथ ही चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाना है। हालांकि, इस विधेयक पर विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यह राज्यों के अधिकारों और स्थानीय स्वशासन पर प्रभाव डालने का आरोप लगाया जा रहा है।
कल, मंगलवार (17 दिसंबर), केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को दोपहर 12 बजे के करीब लोकसभा में पेश करेंगे। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सभी सांसदों को सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने को कहा है। इस बिल में कुछ क्लॉज और तथ्यों को लेकर यदि किसी सदस्य को आपत्ति होती है, तो सरकार इसे संसदीय समिति के पास भेजने का विकल्प रख सकती है। इस बीच, सरकार को अपने घटक दलों का समर्थन प्राप्त है, जबकि विपक्ष राजनीतिक कारणों से इस बिल के विरोध में है।
विपक्षी दलों द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है, जिससे संसद में हंगामा हो सकता है। इसके बावजूद, सरकार ने लोकसभा में बिल को पास कराने की पूरी तैयारी कर ली है। यह बिल यदि पारित होता है, तो इससे लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का रास्ता खुल सकता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में बदलाव आ सकता है।