Indore News : MGM मेडिकल कॉलेज के छात्र के साथ रैगिंग! हॉस्टल को बताया ‘रावण की लंका’, जांच शुरू

Indore News : इंदौर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में रैगिंग के आरोपों ने तूल पकड़ लिया है, जिससे छात्रों का जीवन दुरूह हो गया है। रैगिंग से परेशान होकर जूनियर छात्रों ने अपनी दर्दनाक आपबीती सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा की है और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से तुरंत हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। छात्राें ने लिखा कि हॉस्टल को ‘रावण की लंका’ बना दिया गया है, और इस भयावह स्थिति के कारण अब तक 30 से ज्यादा छात्र हॉस्टल छोड़ चुके हैं।

सीनियर छात्रों द्वारा नशे में की जा रही रैगिंग

एक जूनियर छात्र ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए बताया कि सीनियर छात्र नशे की हालत में रात 10:30 बजे से लेकर सुबह 5:30 बजे तक जूनियर छात्रों को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार बनाते हैं। छात्रों को असहज और अपमानजनक कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया जाता है और फिर उन्हें छत पर बुला कर उनके साथ शारीरिक हिंसा की जाती है। इस प्रक्रिया को छात्र ‘रावण की लंका’ जैसे भयावह माहौल से जोड़ रहे हैं।

रैगिंग से परेशान होकर 30 छात्र छोड़ चुके हैं हॉस्टल

रैगिंग के बढ़ते दबाव के कारण अब तक 30 छात्रों ने हॉस्टल छोड़ दिया है। इन छात्रों का कहना है कि वे इस डर से अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते, क्योंकि सीनियर छात्रों के रौब से उनका जीवन दुष्कर हो सकता है। छात्र इस भयावह स्थिति से मुक्त होने के लिए पूरी तरह से चुप्प हैं और खुलकर बोलने से डर रहे हैं। हालांकि, यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, और छात्रों का कहना है कि इसका समाधान तत्काल जरूरी है।

CM से सोशल मीडिया पर मदद की गुहार

सभी परेशान छात्रों ने एक साथ सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा साझा की है। एक छात्र ने ‘प्लीज हेल्प मी’ नाम से एक अकाउंट बनाकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपील की है कि वे इस गंभीर मामले का संज्ञान लें और रैगिंग के खिलाफ ठोस कदम उठाएं। छात्रों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे व्यक्तिगत रूप से हॉस्टल का दौरा करें और रैगिंग की समस्या का समाधान करें, ताकि भविष्य में किसी छात्र को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

कॉलेज प्रशासन पर सवाल

रैगिंग के इन गंभीर आरोपों के बावजूद कॉलेज प्रशासन ने अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया है, जिससे छात्रों में असंतोष बढ़ रहा है। कॉलेज प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जूनियर छात्रों को इस भयावह स्थिति का सामना कब तक करना पड़ेगा। हालांकि, इस पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ. दलाल ने कहा कि कॉलेज प्रशासन मामले की जांच में पूरा सहयोग करेगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कलेक्टर के आदेश पर जांच टीम का गठन

इस मामले में कलेक्टर आशीष सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए मंगलवार को एक जांच टीम का गठन किया। जांच टीम में एसडीएम और तहसीलदार शामिल हैं, जिन्होंने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर मामले की गहनता से जांच शुरू कर दी है। कलेक्टर ने जांच अधिकारियों से कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है, जिसमें सीनियर छात्रों द्वारा जूनियर छात्रों के साथ की गई रैगिंग की घटनाओं की विस्तृत जानकारी और कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

क्या रैगिंग के दोषियों को मिलेगी सजा?

अब यह देखना है कि कलेक्टर और कॉलेज प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाते हैं। छात्रों का जीवन और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, और इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। यदि इस जांच में रैगिंग के आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों को सख्त सजा देने का वक्त आ चुका है, ताकि इस तरह की घटनाओं से भविष्य में किसी छात्र को न गुजरना पड़े।