JPC में प्रियंका समेत इन कांग्रेस नेताओं के नाम, भारत गठबंधन के नेताओं को भी मिला मौका

भारत में एक राष्ट्र-एक चुनाव के मुद्दे को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है, और अब यह मामला संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। इस समिति का गठन लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा। कांग्रेस ने अपनी ओर से जेपीसी के लिए चार नामों की सिफारिश की है, जिन्हें लोकसभा अध्यक्ष को भेजा जाएगा। इन नामों के जरिए कांग्रेस पार्टी अपनी विचारधारा और चिंताओं को जेपीसी में प्रस्तुत करेगी।

कांग्रेस ने चार नामों की सिफारिश की

कांग्रेस ने जेपीसी के गठन के लिए मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी, सुखदेव भगत और रणदीप सुरजेवाला के नाम फाइनल कर लिए हैं। यह चारों नेता कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में समिति में हिस्सा लेंगे। मनीष तिवारी और रणदीप सुरजेवाला दोनों ही पेशेवर वकील हैं, जबकि सुखदेव भगत आदिवासी नेता के तौर पर अपनी पहचान रखते हैं। प्रियंका गांधी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी और पार्टी की ओर से उनका नेतृत्व इस समिति में होगा।

क्या अन्य दलों के सदस्य भी होंगे शामिल?

जेपीसी में अन्य दलों से भी सदस्य हो सकते हैं। गठबंधन में शामिल डीएमके पार्टी से पी विल्सन और टी सेल्वागेथी के नामों की चर्चा हो रही है। पी विल्सन एक प्रमुख वकील हैं, और टी सेल्वागेथी डीएमके के प्रभावशाली सांसद हैं। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी (सपा) से धर्मेंद्र यादव का नाम भी जेपीसी में शामिल हो सकता है। धर्मेंद्र यादव ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर अपने पक्ष को भी मजबूती से रखा है। टीएमसी से कल्याण बनर्जी और साकेत गोखले के नाम भी चर्चा में हैं।

JPC में कितने सदस्य हो सकते हैं?

संविधान के अनुसार, जेपीसी की सदस्य संख्या लोकसभा अध्यक्ष द्वारा निर्धारित की जाती है। यह समिति लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनती है। आमतौर पर, इस समिति में राज्यसभा सदस्यों की तुलना में लोकसभा के सदस्य अधिक होते हैं। जेपीसी का मुख्य उद्देश्य किसी भी मुद्दे या विधेयक की गहन समीक्षा करना और उसके बारे में रिपोर्ट तैयार करना होता है।

JPC की रिपोर्ट पर आधारित होगा विधेयक

जेपीसी के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर सरकार एक संशोधन विधेयक सदन में पेश करती है। यह विधेयक एक संवैधानिक संशोधन होगा, और इसके लिए सरकार को विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी। इसीलिए सरकार जेपीसी के माध्यम से इस पर व्यापक चर्चा और सहमति बनाने की कोशिश कर रही है। अगर एक राष्ट्र-एक चुनाव पर आम सहमति बन जाती है, तो इस विधेयक को संसद में पारित करने का रास्ता साफ हो सकता है।

सरकार का मुख्य उद्देश्य जेपीसी के माध्यम से एक राष्ट्र-एक चुनाव के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति स्थापित करना है। यह मुद्दा संवैधानिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है, और इसके लिए सभी दलों की सहमति आवश्यक है। जेपीसी की रिपोर्ट और इसके आधार पर आगे की कार्रवाई सरकार के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी, जिससे इस संवैधानिक संशोधन को लागू किया जा सके।