Kalashtami 2024: पौष कालाष्टमी का पर्व पौष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से काल भैरव को समर्पित होता है। यह दिन खासतौर पर भक्तों के लिए काल भैरव की पूजा, व्रत और उपासना करने का होता है। काल भैरव, जिन्हें समय और न्याय का देवता माना गया है, की पूजा से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। साथ ही, उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में अनुशासन तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
काल भैरव की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और व्यक्ति का जीवन दिशा में अग्रसर होता है। इस दिन विशेष रूप से उनके भक्त रातभर जागरण करते हैं, उनका ध्यान करते हैं और उन्हें पंचामृत, बेलपत्र, और शराब का अर्पण करते हैं, जो उनकी पूजा का प्रमुख हिस्सा होते हैं। यह पर्व उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है, जो अपनी ज़िंदगी में परेशानियों या संघर्षों का सामना कर रहे होते हैं, क्योंकि काल भैरव की कृपा से सभी संकट समाप्त हो सकते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल की आखिरी कालाष्टमी पौष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 दिसंबर को दोपहर 2:31 बजे से प्रारंभ होगी और 23 दिसंबर को शाम 5:07 बजे तक समाप्त होगी। इस तिथि को निशिता मुहूर्त के आधार पर 22 दिसंबर को कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा। कालाष्टमी का व्रत विशेष रूप से काल भैरव की पूजा के लिए किया जाता है। इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात्रि में जागरण करते हुए काल भैरव की आराधना करते हैं। इस व्रत से व्यक्ति की जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति पाने की संभावना होती है।
कालाष्टमी पूजा के दिन किए जाने वाले शुभ उपाय और पूजा विधि
शुभ योग
1. सर्वार्थ सिद्धि योग
2. त्रिपुष्कर योग
3. आयुष्मान योग
4. सौभाग्य योग
इन शुभ योगों में पूजा करने से जातकों को तीन गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी।
पूजा के दौरान अपनाए जाने वाले उपाय
1. कच्चा दूध अर्पित करें
काल भैरव को कच्चा दूध अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
2. भोग अर्पित करें
लोग भोग के रूप में हलवा पुरी और मदिरा चढ़ाते हैं। इसके अलावा, इमरती, जलेबी और अन्य पांच मिठाइयों को भी अर्पित किया जा सकता है।
3. दान करें
इस दिन दान का खास महत्व होता है। आप चावल, दाल, आटा, कंबल, तिल आदि का दान कर सकते हैं, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
कालाष्टमी पूजा विधि
1. जल्दी उठकर स्नान करें
पूजा से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
2. दीपक जलाएं
काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
3. फूल, चंदन, और धूप अर्पित करें
फिर फूल, चंदन और धूप अर्पित करें।
4. मंत्र जाप करें
इस दौरान “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें, जो विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
5. भोग अर्पित करें
भगवान को भोग चढ़ाएं, उनकी व्रत कथा सुनें और आरती उतारें।
इन विधियों और उपायों से काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।