नाकों पर डाकों का नया-नया ढंग है… गिरगिट वही पुराना है बस बदल गया रंग है…

प्रखर – वाणी

सौरभ शर्मा परिवहन विभाग का पूर्व सिपाही…इतने साल लूटता रहा दौलत और मठाधीशों की वाहवाही…चौपन किलो सोना और दस करोड़ नकद कार में मिल गए…आरटीओ के फंसे हुए अधिकारियों का तनाव देख कई ठेकेदारों के चेहरे खिल गए…परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का समाचार कोई नया नहीं है…कितना ही ऑनलाइन कर लो वहां से रिश्वतखोरी का चलन गया नहीं है…

आज भी पूरे के पूरे आरटीओ नीलाम हो जाते हैं…जो एजेंट ऊंची बोली लगाता है सारे कामकाज उसके नाम हो जाते हैं…नाकों पर डाकों का नया नया ढंग है…गिरगिट वही पुराना है बस बदल गया रंग है…नीचे से ऊपर तक हर कोई लूटना चाहता है…शीशे के महल में रहकर भी नहीं फूटना चाहता है…संतरी से मंत्री तक में बंदरबांट की चिंता यहां आम बात है…वाहनों के आवागमन के पूर्व ही सीमावर्ती नाका उसका खींच देता है खाका ये चलन होता दिन रात है…

बात सौरभ शर्मा और उसकी डायरी तक ही सीमित नहीं है…पकड़े गए तो चोर वरना साहूकार वाली कहावत वर्षों से कही है…कभी कोई विचार नहीं करता आखिर अक्सर आरटीओ दफ्तर में ही आग क्यों लगती है…लायसेंस से परमिट तक और फिटनेस से रिनिवल तक वहां की फौज किस तरह ठगती है…यहां पूरे कुएं में भांग नहीं भाग भरा कुआ है…इसके चक्रव्यूह से बचने हेतु करता हर कोई दुआ है…ऑनलाइन हो या ऑफलाइन अराजकता का सर्वत्र बोलबाला है…सरकारें आती है चली जाती है पर हर किसी के मुंह पर लगता ताला है…उजागर कांड का यदि सही पोस्टमार्टम हुआ तो अच्छे अच्छे तीस मारखां चरमरा जाएंगे…हालांकि उम्मीद कम ही है यदि सही जांच हुई तो बड़े बड़े महल ताश की तरह भरभरा जाएंगे…

आम आदमी दो जून की रोटी का संघर्ष कर रहा और यहां करोड़ों की दौलत ऑटो रिक्शा में लादना चाहते हैं…भंडाफोड़ होता जब जब भी है तब तब उसकी जद में बड़े बड़े महामना आते हैं…तत्कालीन सुर्खियों में तो हर काण्ड बड़ा ही विभत्स दिखाई देता है…समय के साथ हर घटनाक्रम का मंसूबा सबूतों की भेंट चढ़ टाँय टाँय फिस कहता है…ऐसे अनेक अवसर आते हैं जब हमें इकबाल साहब का ये शेर याद आता है…न समझोगे तो मिट जाओगे ए हिन्दोस्तां वालो… तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में…