साउथ तुकोगंज में डब्बू सिंधी का illegal construction : प्रशासन को खुली चुनौती

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर के साउथ तुकोगंज इलाके में भूमाफिया डब्बू सिंधी उर्फ जमनादास धामानी ने कमर्शियल बिल्डिंग का अवैध निर्माण ( illegal construction ) कर लिया है। इस निर्माण में नियमों की ऐसी अनदेखी की गई है कि यह मामला न केवल प्रशासनिक सख्ती की कमी को उजागर करता है, बल्कि इस बात की ओर भी इशारा करता है कि नगर निगम के अधिकारियों की साठगांठ के बिना यह संभव नहीं हो सकता।

40 हजार वर्गफीट ज्यादा पर है ये illegal construction

डब्बू सिंधी ने प्लॉट नंबर 16/2 पर स्वीकृत 21,627 वर्गफीट के बजाय 62,186 वर्गफीट का अवैध निर्माण ( illegal construction ) कर लिया है। इस निर्माण में लगभग 25,582 वर्गफीट पूरी तरह से अवैध है। तलघर में स्वीकृत 10,225 वर्गफीट के मुकाबले 21,000 वर्गफीट का निर्माण किया गया है, जिसमें 18,000 वर्गफीट में 41 गोदाम बनाए गए हैं। तलघर में बनाए गए 40 शोरूम में से 30 शोरूम 436 वर्गफीट के हैं, 7 शोरूम 525 वर्गफीट के, और 3 शोरूम 358 वर्गफीट के हैं। इस प्रकार कुल 17,829 वर्गफीट पर शोरूम का निर्माण हुआ है, जबकि स्वीकृति केवल 10,225 वर्गफीट की थी। इतना ही नहीं, एमओएस (न्यूनतम खुला स्थान) और ओटीएस (ओपन टू स्काय) जैसे सुरक्षा मानकों को भी पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। डब्बू ने पहली और दूसरी मंजिल पर भी स्वीकृत सीमा का उल्लंघन किया है। स्वीकृति केवल 14,418 वर्गफीट की थी, लेकिन कुल 40,000 वर्गफीट का निर्माण कर लिया गया है। दोनों मंजिलों पर 25,582 वर्गफीट का निर्माण अवैध है।

सवा अरब रुपए का खेल: प्रशासन को करोड़ों का नुकसान

डब्बू के इस अवैध निर्माण ने नगर निगम को 2.75 करोड़ रुपए के निर्माण शुल्क से वंचित कर दिया है। इसके अलावा, बाजार मूल्य के अनुसार, इस अवैध निर्माण की संपत्ति की कीमत लगभग 1.24 अरब रुपए है। डब्बू सिंधी ने इस अवैध निर्माण को छुपाने के लिए निर्माण स्थल को चारों ओर से चद्दरों से ढंक दिया है। इसके अलावा, उसने निर्माण स्थल पर बंदूकधारियों की तैनाती भी कर दी है, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति वहां प्रवेश न कर सके।

पूर्व पार्षद का खुलासा: कैसे हुआ यह खेल..?

पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया के अनुसार, इस प्लॉट के मूल मालिक राजेंद्र सिंह और माहेश्वरी देवी राणा हैं। लेकिन निर्माण डब्बू धामानी द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि नगर निगम ने 8 अगस्त 2022 को निर्माण की स्वीकृति दी थी, लेकिन वह भी नियमों के खिलाफ थी। उन्होंने मांग की है कि अवैध निर्माण को तोडऩे की सख्त कार्रवाई हो। इस निर्माण में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त जांच और सजा सुनिश्चित हो। स्थानीय निवासियों को भरोसा दिलाने के लिए पारदर्शी कार्रवाई की जाए।

अनुमति निरस्त: फिर भी जारी रहा निर्माण

नगर निगम ने पहले ही डब्बू सिंधी के निर्माण की अनुमति निरस्त कर चुका है। जोनल अधिकारी गीतेश तिवारी पहले कह रहे थे कि अनुमति निरस्त की जा चुकी है। और अब कह रहे हैं कि निर्माण पूरा हो जाने के बाद कार्रवाई करवाएंगे। साफ है कि निगम डब्बू पर मेहरबान है, इसीलिए अब भी निर्माण कार्य जारी है, जो गंभीर सवाल खड़े करता है। दरअसल प्रशासनिक सख्ती की कमी ने ही डब्बू को खुला मैदान दिया है, और यह अवैध निर्माण प्रशासन और नगर निगम की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार का खुला प्रतीक है। जबकि इस अवैध निर्माण ने उन लोगों में भी आक्रोश पैदा कर दिया है, जिनके मकान-दुकान थोड़े से अतिक्रमण के कारण तोड़े जा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भूमाफियाओं को खुली छूट मिली हुई है और शहर के सबसे प्रमुख इलाकों में यह हाल है? नागरिक यह भी आरोप लगा रहे हैं कि नगर निगम और प्रशासन की सक्रियता और सख्ती गरीबों और कमजोर लोगों पर ही नजर आती है, जबकि रसूखदार और माफिया टाइप के लोगों को इनका खुला संरक्षण मिला हुआ है।