मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में स्थित युग पुरुष बौद्धिक विकास केंद्र (युगपुरुष धाम आश्रम) पर शासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सामाजिक न्याय विभाग के संचनालय द्वारा आश्रम की मान्यता रद्द कर दी है। यह कदम तब उठाया गया जब आश्रम में हाल ही में 10 बच्चों की मौत हो गई। इस मामले के बाद इंदौर कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे, जिसमें कई गंभीर लापरवाहियां सामने आईं। इन लापरवाहियों ने प्रशासन को चिंता में डाल दिया, और इसके परिणामस्वरूप यह कार्रवाई की गई है।
युगपुरुष धाम आश्रम में बच्चों की मौत के कारणों में खून की कमी और इंफेक्शन जैसी गंभीर बीमारियों का हवाला दिया गया है। प्रशासनिक जांच में यह खुलासा हुआ कि बच्चों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही थीं, जिसके चलते उनकी तबियत बिगड़ती गई और अंततः उनकी मृत्यु हो गई। इन घटनाओं के बाद प्रशासन को मामले की गंभीरता का एहसास हुआ है, और अब पूरी स्थिति की गहन जांच की जा रही है ताकि लापरवाही के कारणों का पता चल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
युगपुरुष धाम आश्रम एक निजी संस्थान था, जिसे सरकारी अनुदान प्राप्त था। यह आश्रम मुख्य रूप से मानसिक और शारीरिक दिव्यांग अनाथ बच्चों के लिए संचालित किया जाता था, और यहां प्रदेशभर से करीब 200 बच्चों को रखा जाता था। इसके अतिरिक्त, आश्रम में एक अस्पताल भी संचालित होता था, जिसमें प्राथमिक उपचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया जाता था। हालांकि, हाल की घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि बच्चों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं और देखभाल नहीं मिल रही थी, जिससे उनकी हालत बिगड़ी और कई बच्चों की मौत हो गई।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि युगपुरुष धाम आश्रम में बच्चों के खाने-पीने की व्यवस्थाओं में गंभीर लापरवाही बरती जा रही थी। बच्चों को उचित पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही थीं, जिसके कारण उनकी स्थिति बिगड़ी और मौतों का सिलसिला शुरू हुआ। इस गंभीर लापरवाही के चलते प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए आश्रम की मान्यता रद्द कर दी है और मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने जांच के दायरे को और बढ़ा दिया है। अब यह मामले केवल बच्चों की मौत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे आश्रम के संचालन की गहन जांच की जा रही है। जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो और बच्चों को सही देखभाल, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। प्रशासन इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि आश्रम में बच्चों की सुरक्षा और भलाई के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जाएं।