पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार और स्मारक को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर जुबानी जंग तेज हो गई है।
मनमोहन सिंह और सिख समुदाय का महत्व
डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे, जिनका कार्यकाल 2004 से 2014 तक रहा। उनकी सादगी और आर्थिक सुधारों के लिए उन्हें देशभर में सम्मान मिला। ऐसे समय में जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के मुद्दे ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।
क्या है विवाद?
डॉ. सिंह के निधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार से उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए राजघाट के पास जमीन उपलब्ध कराने की मांग की। कांग्रेस ने इस मांग के पूरे न होने को सिख समुदाय का अपमान बताया। दूसरी ओर, भाजपा ने कांग्रेस पर इस दुखद समय में राजनीति करने का आरोप लगाया।
सरकार का रुख और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के माध्यम से बताया कि स्मारक के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश की जा रही है। इसके बावजूद, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि डॉ. सिंह जैसे कदावर नेता के लिए जमीन न मिलना सिख समुदाय का अपमान है। इस पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस ने डॉ. सिंह को कभी उचित सम्मान नहीं दिया और अब उनके निधन के बाद भी राजनीति कर रही है।
आप और अन्य दलों की प्रतिक्रिया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस विवाद में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 10 साल देश की सेवा करने वाले प्रधानमंत्री के लिए 1000 गज जमीन देना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने इसे सिख समुदाय के सम्मान से जोड़ते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की।
सिख समुदाय का राजनीतिक महत्व
दिल्ली में सिख मतदाताओं की भूमिका
दिल्ली में सिख समुदाय का जनसंख्या अनुपात लगभग 4% है। हालांकि, यह 9 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है। हरि नगर, कालकाजी, और राजौरी गार्डन जैसी सीटें प्रमुख हैं, जहां सिख मतदाता चुनाव परिणाम तय कर सकते हैं।
2013 तक सिख मतदाता कांग्रेस के पक्ष में थे, लेकिन 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने उनका समर्थन हासिल किया। भाजपा, कांग्रेस और आप, तीनों पार्टियां इस बार सिख मतदाताओं को लुभाने में जुटी हैं।
पंजाब में सिखों का वर्चस्व
पंजाब को सिख समुदाय का गढ़ माना जाता है। राज्य की 58% आबादी सिख है। 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 90 सीटें जीतकर सत्ता पर कब्जा किया, जिसमें सिख मतदाताओं का बड़ा योगदान था।
हरियाणा और राजस्थान में सिख समुदाय का प्रभाव
हरियाणा में सिख मतदाता 12 विधानसभा सीटों और 4 लोकसभा क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाते हैं। अंबाला और यमुनानगर जैसे क्षेत्रों में सिख मतदाता काफी प्रभावशाली हैं।
राजस्थान में श्रीगंगानगर और आसपास के इलाकों में सिख समुदाय 6 लाख मतदाताओं के साथ 7-8 विधानसभा सीटों के नतीजे तय करता है।
सिखों पर राजनीति क्यों?
दिल्ली विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, सिख मतदाता एक निर्णायक वर्ग बन गए हैं। भाजपा, कांग्रेस, और आप सभी दल सिख समुदाय को साधने के लिए प्रयासरत हैं.