पीथमपुर में कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन, MP सरकार कचरा जलाने के लिए मांगेगी समय, हाईकोर्ट में दिया जाएगा शपथ पत्र

यूनियन कार्बाइड (यूका) के रासायनिक कचरे के निष्पादन को लेकर धार जिले के पीथमपुर में उठे विवाद के बाद, सरकार ने हाईकोर्ट से इस मुद्दे पर समय मांगने का फैसला किया है। सोमवार को मुख्य सचिव की ओर से एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें जनभावनाओं का हवाला दिया जाएगा। इसमें यह दर्शाया जाएगा कि इस मामले में निर्णय लेने से पहले स्थानीय जनता की चिंताओं और पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखना आवश्यक है। यूका कचरे के निष्पादन का मामला लंबे समय से विवादास्पद रहा है, और इसे लेकर जनआक्रोश भी देखा गया है। सरकार का यह कदम जनभावनाओं और न्यायिक प्रक्रिया के बीच संतुलन साधने का प्रयास माना जा रहा है।

सरकार ने यूनियन कार्बाइड (यूका) के रासायनिक कचरे के निष्पादन को लेकर धार जिले के पीथमपुर में जनविरोध के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए जाने वाले शपथ पत्र में कहा जाएगा कि कचरे के निष्पादन का कार्य केवल स्थानीय लोगों की सहमति और उन्हें विश्वास में लेकर ही किया जाएगा।

इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। धार जिले के प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अपर मुख्य सचिव डा. राजेश राजौरा को जनता से संवाद स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन अधिकारियों का दायित्व है कि वे क्षेत्र के लोगों से संवाद कर भ्रांतियों को दूर करें और उन्हें इस प्रक्रिया के सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीकों के बारे में आश्वस्त करें।

प्रशासन भी स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चला रहा है ताकि इस मुद्दे पर व्याप्त गलतफहमियों को खत्म किया जा सके और लोगों का विश्वास जीता जा सके। सरकार का उद्देश्य जनभावनाओं का सम्मान करते हुए पर्यावरणीय सुरक्षा के मानकों का पालन सुनिश्चित करना है।

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने स्पष्ट किया है कि यूनियन कार्बाइड (यूका) के रासायनिक कचरे के निष्पादन की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप चल रही है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर जो भी भ्रांतियां और गलतफहमियां हैं, उन्हें पहले दूर किया जाएगा।

मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि स्थानीय जनता की चिंताओं और पर्यावरणीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि भ्रांतियों को दूर करने और सहमति बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

सरकार का यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और यह वैज्ञानिक व सुरक्षित तरीके से हो। जनता से संवाद और जागरूकता अभियान इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब त्वचा रोग, पानी की गुणवत्ता, और फसल खराब होने की शिकायतें सामने आईं, तो इनकी जांच के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और एम्स की टीमों को 12 गांवों में भेजा गया था। जांच के दौरान किसी भी स्थान पर मापदंड से अधिक कोई हानिकारक तत्व नहीं पाया गया।

इसके अलावा, केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट भी यही पुष्टि करती हैं कि क्षेत्र में रासायनिक कचरे का निष्पादन वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है। सरकार ने यह भी बताया कि हर राज्य में रासायनिक कचरे के सुरक्षित निष्पादन के लिए एक नियत स्थान होता है, और मध्य प्रदेश में यह कार्य धार जिले के पीथमपुर में किया जाना प्रस्तावित है।

जनता की चिंताओं को दूर करने और उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जागरूक करने के लिए संवाद स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय एजेंसियों के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हो।

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे के निष्पादन का कार्य पहले से ही प्रायोगिक और वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 4 मार्च 2013 को निर्देश दिया था कि केरल के कोच्चि में स्थित हिन्दुस्तान इन्सेक्टीसाइड लिमिटेड प्लांट से 10 टन रासायनिक कचरे का निष्पादन पीथमपुर में प्रायोगिक तौर पर किया जाए। 2013 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इस प्रक्रिया का सफल ट्रायल किया था, जिसमें सभी मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया था।

इसके बाद, जबलपुर हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि यूनियन कार्बाइड स्थल से रासायनिक कचरे को चार सप्ताह के भीतर पीथमपुर तक सुरक्षित रूप से परिवहन किया जाए। इस आदेश के अनुपालन में कचरे को सभी मानकों के अनुरूप पीथमपुर भेजा गया। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कचरे का निष्पादन सुरक्षित, वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दिशानिर्देशों के अनुरूप हो। जनसंवाद के माध्यम से जनता को इस प्रक्रिया की सुरक्षा और पारदर्शिता के बारे में आश्वस्त किया जा रहा है।

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने जानकारी दी कि केरल के कोच्चि स्थित हिन्दुस्तान इन्सेक्टीसाइड लिमिटेड प्लांट के कचरे के सफल निष्पादन के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल 2014 को निर्देश दिए कि यूनियन कार्बाइड के 10 टन रासायनिक कचरे का पीथमपुर में ट्रायल रन किया जाए।इसके पालन में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 2015 में पीथमपुर में इस कचरे के निष्पादन का सफलतापूर्वक ट्रायल रन किया। यह प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक और पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप की गई थी।

सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय एजेंसियों के निर्देशों का पालन करते हुए यूनियन कार्बाइड के कचरे के सुरक्षित निष्पादन के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए जागरूकता और संवाद के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की भ्रांति न रहे।