स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र (व्यापमं) परिवर्तित नाम कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी ( ESB ) 340 करोड़ के सरप्लस में होने के बाद भी इस साल आयोजित होने वाली परीक्षाओं के लिए फीस बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। मंडल की अर्द्धवार्षिक बोर्ड मीटिंग में परीक्षाओं की फीस बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि एग्जाम फीस में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है।
तीसरी बार नाम बदलकर रखा ESB
व्यापमं पर सरकारी नौकरियों की परीक्षा आयोजित करने और एक दर्जन से ज्यादा परीक्षाओं में घोटाले, गड़बड़ी तथा अपात्र युवाओं का चयन करने के आरोप लग चुके हैं। इन आरोपों के चलते सरकार ने इसका तीसरी बार नाम बदलकर मप्र कर्मचारी चयन मंडल ( ESB ) किया है। पिछले साल जुलाई में बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने घोषणा की थी कि भर्ती परीक्षाओं में शुल्क को लेकर सरकार एक नई नीति बनाएगी। उधर, अधिकारियों का तर्क है कि साल 2012 से परीक्षा फीस नहीं बढ़ाई गई है। ईएसबी एक ऑटोनॉमस बॉडी है। इतनी कम फीस में परीक्षा कराकर खर्च निकालना संभव नहीं है। वहीं, जानकारों का कहना है कि देश के बाकी राज्यों के मुकाबले मप्र में एग्जाम फीस सबसे ज्यादा है। ईएसबी के पास 340 करोड़ रुपए सरप्लस पड़े हुए हैं। पड़ोसी राज्य गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की भर्ती परीक्षाओं के मुकाबले मप्र में एग्जाम फीस पहले से महंगी है।
जितना खर्च, उससे 3 गुना ज्यादा कमाई
कर्मचारी चयन मंडल के लिए परीक्षा आयोजित करवाना मुनाफे का सौदा है। मंडल छात्रों से वसूले परीक्षा शुल्क से हर साल करोड़ों रुपए की कमाई करता है जबकि परीक्षा कराने सहित दूसरे बंदोबस्त पर खर्च 250 रुपए प्रति छात्र आता है। बाकी पैसा बचत खाते में जाता है। साल 2011-12 में मंडल (व्यापमं) ने परीक्षा शुल्क से 98.30 करोड़ रुपए की कमाई की जबकि खर्च हुए 27.89 करोड़ रुपए। हर साल कमाई की ये रकम बढ़ती ही जा रही है। 2021 में बोर्ड ने भर्ती परीक्षाओं से 103 करोड़ रुपए की कमाई की और खर्चा मात्र 32.16 करोड़ रुपए हुआ। यानी बोर्ड को छात्रों से मिले परीक्षा शुल्क से करीब 71 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। वहीं, साल 2022 में एग्जाम फीस से ईएसबी को 62.43 करोड़ रुपए की कमाई हुई, खर्च हुआ 49.65 करोड़ रुपए। यानी करीब 13 करोड़ रुपए का मुनाफा। 2023 में वन टाइम फीस ली गई थी, इस वजह से कमाई से ज्यादा खर्च हुआ। साल 2024 में नौ परीक्षाओं की फीस से ईएसबी ने 18.16 करोड़ रुपए की कमाई की और इन परीक्षाओं पर 15.23 करोड़ रुपए खर्च हुए।
बेरोजगारों को 20 बार देनी पड़ रही फीस
कांग्रेस नेता पारस सकलेचा कहते हैं कि बेरोजगार युवाओं को 20 अलग-अलग परीक्षाओं के लिए 20 बार फीस देनी पड़ती है। कर्मचारी चयन मंडल व्यापारी की तरह दुकान चला रहा है। दिसंबर 2022 तक कर्मचारी चयन मंडल के पास 798 करोड़ का फिक्स डिपॉजिट था। वो भी तब जब परीक्षाओं के आयोजन के लिए उसने निजी एजेंसियों को पैसा दिया। जनवरी 2023 से 15 जून 2023 के साढ़े 5 महीने में कर्मचारी चयन बोर्ड ने 6 परीक्षाओं का आयोजन किया। इनमें 32.60 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा फीस के 107 करोड़ रुपए दिए। सकलेचा के मुताबिक, इस समय कर्मचारी चयन मंडल के पास 340 करोड़ रुपए फिक्स डिपॉजिट है। उनके बार-बार पूछने के बाद भी सरकार ये बताने को तैयार नहीं है कि ईएसबी इन अतिरिक्त रुपयों का क्या कर रही है?